यह सवाल उसने लाजमी है कि कांग्रेस बीजेपी का सामना कैसे कर पाएगी! लोकसभा चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं। बीजेपी जीत की हैट्रिक लगाने की जुगत में है तो कांग्रेस चुनावी लड़ाई को पूरी ताकत से अंजाम तक पहुंचाने की रणनीति बना रही है। इस बीच कुछ आंकड़े बता रहे हैं कि बीजेपी और कांग्रेस के बीच कई बड़े अंतर हैं जिनका लोकसभा चुनावों पर गहरा असर पड़ सकता है। चुनावों पर नजर रखने वाली संस्था द एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस न केवल सत्ता और लोकप्रयिता बल्कि संपत्ति और संसाधन के मामले में भी बीजेपी से बहुत ज्यादा पिछड़ी है। वहीं, कांग्रेस ने हाल ही में तीन राज्यों की सत्ता भी खो दी है जबकि बीजेपी ने अपने शासन वाले राज्यों की संख्या बढ़ा ली है। पहले बात एडीआर रिपोर्ट की। वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान बीजेपी की कुल संपत्ति 4990.195 करोड़ रुपये थी जो अगले वित्त वर्ष 2021-22 में 21.17% बढ़कर 6046.81 करोड़ हो गई। वहीं कांग्रेस की संपत्ति वित्त वर्ष 2020-21 में 691.11 करोड़ रुपये थी जो अगले वित्त वर्ष 2021-22 में 16.58% ही बढ़ी। अब उसके पास कुल 805.68 करोड़ की संपत्ति है।लोकसभा चुनावों पर तनिक भी असर तो होता ही होगा, तो इस मामले में भी कांग्रेस पार्टी बीजेपी के कोसों पीछे है। बीजेपी अभी अपने दम पर 11 राज्यों में सरकार चला रही है जबकि 12वें प्रदेश हरियाणा में उसकी गठबंधन सरकार है लेकिन मुख्यमंत्री पद उसी के हिस्से है। वहीं, चार अन्य राज्यों में बीजेपी सरकार में शामिल है। दूसरी तरफ कांग्रेस के सिर्फ तीन राज्यों में अपने मुख्यमंत्री हैं जबकि तीन अन्य राज्यों की सरकार में वो गठबंधन साथी के रूप में शामिल है। एडीआर रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2021-22 में सबसे अधिक कांग्रेस ने 41.95 करोड़ की देनदारी घोषित की है जबकि बीजेपी पर सिर्फ 5.17 करोड़ का देनदारी है। इस तरह, वित्त वर्ष 2021-22 में बीजेपी के पास कुल 6041.64 करोड़ रुपये जबकि कांग्रेस के पास 763.73 करोड़ की पूंजी होने का आधिकारिक आंकड़ा है। यानी बीजेपी पूंजी के मामले में कांग्रेस से करीब 7 गुना आगे है।
यूं तो पिछलो दे लोकसभा चुनावों से खासा स्पष्ट हो गया है कि मतदाता विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अलग-अलग कसौटियों पर मतदान करते हैं। राज्यों के चुनावों में जहां स्थानीय मुद्दों पर वोट होता है तो आम चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे हावी रहते हैं। यही वजह है कि जिन राज्यों में मतदाताओं ने कांग्रेस को शासन की बागडोर सौंपी, उन्हीं राज्यों के वोटर लोकसभा चुनावों के वक्त बीजेपी के साथ चले गए। फिर भी अगर मान लिया जाए कि राज्य में सरकार होने का लोकसभा चुनावों पर तनिक भी असर तो होता ही होगा, तो इस मामले में भी कांग्रेस पार्टी बीजेपी के कोसों पीछे है। बीजेपी अभी अपने दम पर 11 राज्यों में सरकार चला रही है जबकि 12वें प्रदेश हरियाणा में उसकी गठबंधन सरकार है लेकिन मुख्यमंत्री पद उसी के हिस्से है। वहीं, चार अन्य राज्यों में बीजेपी सरकार में शामिल है। दूसरी तरफ कांग्रेस के सिर्फ तीन राज्यों में अपने मुख्यमंत्री हैं जबकि तीन अन्य राज्यों की सरकार में वो गठबंधन साथी के रूप में शामिल है।
इन सबके बीच यह जिक्र करना भी प्रासंगिक होगा कि हालिया चुनाव में तीन राज्यों की सत्ता पर काबिज होकर बीजेपी का मनोबल सातवें आसमान पर है तो लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी को बड़ी मायूसी हाथ लगी है। बीजेपी ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकारों को धराशायी कर दिया और सत्ता अपने हाथ में ले ली। वहीं, मध्य प्रदेश की अपनी सरकार बचाने में भी कामयाब रही।कांग्रेस ने 41.95 करोड़ की देनदारी घोषित की है जबकि बीजेपी पर सिर्फ 5.17 करोड़ का देनदारी है। इस तरह, वित्त वर्ष 2021-22 में बीजेपी के पास कुल 6041.64 करोड़ रुपये जबकि कांग्रेस के पास 763.73 करोड़ की पूंजी होने का आधिकारिक आंकड़ा है। यानी बीजेपी पूंजी के मामले में कांग्रेस से करीब 7 गुना आगे है। कांग्रेस को दक्षिण के राज्य तेलंगाना में जीत जरूर मिली, लेकिन उत्तर के इन तीन राज्यों में मिली बड़ी हार ने उसका रंग फीका कर दिया। वित्त वर्ष 2021-22 में बीजेपी के पास कुल 6041.64 करोड़ रुपये जबकि कांग्रेस के पास 763.73 करोड़ की पूंजी होने का आधिकारिक आंकड़ा है। यानी बीजेपी पूंजी के मामले में कांग्रेस से करीब 7 गुना आगे है।विधानसभा चुनावों के लिए 3 दिसंबर को आए नतीजों ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए फिलहाल माहौल तैयार कर दिया। स्वाभाविक तौर पर बीजेपी तने सीने के साथ आगे बढ़ रही है तो कांग्रेस के कदम झुकी नजरों के साथ बढ़ रहे हैं।