आज हम आपको बताएंगे कि अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की किन सीटों के सहारे जीत रहे हैं! लोकसभा चुनाव का पहला चरण 19 अप्रैल को है। वेस्ट यूपी की आठ सीटों पर इस दिन मतदान होगा। सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव का रिजल्ट 4 जून को आएगा। एक तरफ जहां अपने प्रत्याशियों के चयन में बीजेपी काफी स्पष्ट नजर आ रही है, वहीं सपा और बसपा में ऊहापोह की स्थिति है। अखिलेश यादव और मायावती अब तक कई बार अपने घोषित प्रत्याशियों का टिकट काट चुके हैं। उनकी जगह पर नए प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया गया है। इन दोनों दलों को जिताऊ प्रत्याशी ढूंढने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। हम आपको यूपी की उन सात लोकसभा सीटों के बारे में बताएंगे जहां सपा ने बसपा से आए नेताओं को अपना खेवनहार बनाया है। सपा को इन जिलों में पार्टी का कोई ऐसा नेता नहीं मिला जिस पर शीर्ष नेतृत्व भरोसा जता सके। सबसे पहले गाजीपुर लोकसभा सीट की बात करते हैं। माफिया मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी 2019 में यहां से बसपा के टिकट से जीतकर सांसद बने थे। 2024 लोकसभा चुनाव में वह सपा के पाले में आ गए हैं। सपा ने उनको यहां से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। गाजीपुर की राजनीति के धुरी के केंद्र माने जाने वाले अफजाल अंसारी को टिकट देकर सपा ने बीजेपी के सामने कड़ी चुनौती पेश की है। अफजाल अंसारी अब तक 10 बार चुनाव लड़ चुके हैं जिसमें से सात बार जीत चुके हैं। वह पांच बार के विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं। 2019 में बसपा के टिकट से चुनाव मैदान में उतरे अफजाल अंसारी ने तत्कालीन रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा को हराकर खलबली मचा दी थी।
श्रावस्ती लोकसभा सीट के निवर्तमान सांसद राम शिरोमणि वर्मा 2019 चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के तहत बसपा के प्रत्याशी थे। उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार और तत्कालीन सांसद दद्दन मिश्रा को भारी मतों से हराया था। गत 23 मार्च को बसपा ने राम शिरोमणि वर्मा और उनके भाई राम सुरेश वर्मा को निष्कासित कर दिया था। दोनों नेताओं के ऊपर बसपा ने अनुशासनहीनता का आरोप लगा यह कार्रवाई की थी। बसपा से निकाले जाने के बाद राम शिरोमणि वर्मा सपा के पाले में आ गए। अब अखिलेश यादव ने उन पर भरोसा जताया है।
सपा ने इस बार डुमरियागंज सीट से बाहुबली हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी पर दांव खेला है। भीष्म शंकर तिवारी 2009 लोकसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर जीतकर संसद पहुंच चुके हैं। तिवारी ने बीजेपी के शरद त्रिपाठी को करीब 30 हजार मतों से हराया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में शरद त्रिपाठी ने हार का बदला लेते हुए भीष्म शंकर तिवारी को हरा दिया था। 2024 लोकसभा चुनाव में भीष्म शंकर तिवारी सपा के टिकट से मैदान में हैं। करीब 35 सालों से सियासत में सक्रिय लालजी वर्मा की मतदाताओं पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। 2007 में बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे लालजी वर्मा को अंबेडकरनगर से अपना प्रत्याशी बनाकर अखिलेश यादव ने पूर्वांचल में पीडीए समीकरण साधने का प्रयास किया है। पहली बार 1997 में लालजी वर्मा जेल राज्यमंत्री बने। 2002 में बसपा और बीजेपी की गठबंधन सरकार में भी वह मंत्री रहे। 2022 विधानसभा चुनाव से पहले लालजी वर्मा अपने मित्र राम अचल राजभर के साथ सपा में शामिल हुए थे।
मायावती सरकार में मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा अब टीम अखिलेश का अहम हिस्सा हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन घोटाले में वह लंबे समय तक जेल में भी रह चुके हैं। 2011 में बाबू सिंह कुशवाहा ने बसपा से बगावत कर दी थी। इसके बाद बसपा ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। एक समय था जब मायावती सरकार में बाबू सिंह कुशवाहा की तूती बोला करती थी। 1997 में पहली बार बसपा ने उन्हें विधान परिष्ज्ञद सदस्य बनाया। 2003 में जब बसपा की सरकार बनी तो कुशवाहा को पंचायती राज मंत्री बनाया गया। 2016 में कुशवाहा ने अपनी जन अधिकारी पार्टी भी बनाई थी। 2014 में बाबू सिंह कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या सपा के टिकट से गाजीपुर से चुनाव लड़ी थीं पर उन्हें मनोज सिन्हा ने 32 हजार वोटों से हरा दिया था।
बसपा सरकार में दो बार मंत्री रह चुके आरके चौधरी को सपा ने मोहनलालगंज लोकसभा सीट से टिकट दिया है। फैजाबाद में जन्मे आरके चौधरी ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत बहुजन समाज पार्टी से की थी। वह इसके संस्थापक सदस्य भी थे। इसके साथ ही वो कांशीराम के बेहद करीबी भी रहे हैं। वह मोहनलाल गंज सीट से 3 बार लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत अपना चुके हैं। हालांकि, तीनों बार उन्होंने हार का मुंह देखना पड़ा। 2019 में वह मायावती के साथ मनमुटाव के चलते कांग्रेस में शामिल हो गए और लोकसभा चुनाव लड़ा। इसके बाद उन्होंने अखिलेश यादव की साइकिल पर सवार होने का फैसला किया और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए।
सपा ने सलेमपुर सीट से पूर्व सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रहे वरिष्ठ नेता रमाशंकर राजभर को अपना प्रत्याशी बनाया है। राजभर 2009 में बसपा से सांसद चुने गए थे। 2017 में वह बसपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए थे। 2009 में राजभर ने तत्कालीन सांसद हरिकेवल प्रसाद को हराया था। इससे पहले 2004 के चुनाव में भी रमाशंकर राजभर बसपा के टिकट से सलेमपुर में चुनाव लड़े थे पर बीजेपी के हरिकेवल प्रसाद ने उन्हें हरा दिया था। 2024 के चुनाव में रमाशंकर राजभर का मुकाबला हरिकेवल प्रसाद के पुत्र और वर्तमान बीजेपी सांसद रविंद्र कुशवाहा से है।