आज हम आपको एक उपभोक्ता के महत्वपूर्ण अधिकार बताने जा रहे हैं! अगर आप अपने हक को लेकर जागरुक नहीं होंगे तो चुपचाप अन्याय सहते रहेंगे। कोई आपको चूना लगाए, नुकसान पहुंचाए फिर भी आप घुटते रहेंगे, सहते रहेंगे। लेकिन अगर आप अपने हक को जानते हैं और ये भी पता है कि उनकी रक्षा के लिए क्या कानूनी तरीके हैं तो आप चुपचाप घुटेंगे नहीं, अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे। आपका ये अधिकार है कि आप जो भी सामान खरीदें या सेवा लें वह शुद्ध और गुणवत्ता वाला हो, उसकी गैरवाजिब कीमत न ली जा रही हो आदि। लेकिन कई बार ऐसा नहीं होता। ऐसी स्थिति में आप उपभोक्ता फोरम में जा सकते हैं। हाल में आए दो फैसले बताते हैं कि अगर आप अपने अधिकारों के प्रति जागरुक हैं तो आपको सहना नहीं पड़ेगा। एक मामला है बस में स्मोकिंग का। ड्राइवर और सहयात्री के धूम्रपान की वजह से एक शख्स को घुटन हो रही थी। वह इसके खिलाफ उपभोक्ता आयोग पहुंचा और अब आयोग ने संबंधित राज्य के परिवहन आयोग को उस शख्स को 15 हजार रुपये मुआवजे का आदेश दिया है। एक और चर्चित मामला मशहूर फर्नीचर रिटेलर आइकिया का है। उसने एक महिला से कंपनी के लोगो वाले कैरी बैग के लिए 20 रुपये वसूले। इसके खिलाफ महिला उपभोक्ता फोरम चली गई अब आइकिया को न सिर्फ कैरी बैग के एवज में वसूली गई राशि रिफंड करना पड़ा जबकि 3000 रुपये मुआवजा भी देना पड़ा।
सबसे पहले बात बस में स्मोकिंग से परेशानी पर मिले मुआवजे की। मामला हरियाणा का है। एक शख्स ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत की कि 3 अलग-अलग मौकों पर उसे हरियाणा रोडवेज की बस में यात्रा करते वक्त सहयात्रियों या फिर ड्राइवर की स्मोकिंग की वजह से बहुत ज्यादा घुटन और परेशानी का सामना करना पड़ा। उसने आपत्ति दर्ज कराई लेकिन उसकी नहीं सुनी गई। अधिकारियों के पास भी शिकायतें की लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसके बाद शख्स ने जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत की। प्रदूषित और भय के माहौल में यात्रा करने से पहुंचे मानसिक आघात और असुरक्षा के लिए मुआवजे की मांग की। डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम ने उसकी शिकायत खारिज कर दी तो चंडीगढ़ राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की। उसकी अपील स्वीकार हुई। राज्य उपभोक्ता आयोग ने हरियाणा स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन को आदेश दिया कि तीनों मामलों में शिकायतकर्ता को 5-5 हजार रुपये यानी कुल 15 हजार रुपये मुआवजा दे। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने भी राज्य उपभोक्ता आयोग के फैसले पर मुहर लगाई। इस तरह शख्स ने अपने हक की लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की।
हाल ही में एक और आदेश बहुत चर्चित हुआ। ये मामला कर्नाटक का है। बेंगलुरु में संगीता बोहरा नाम की एक महिला ने बहुराष्ट्रीय फर्नीचर रिटेलर आइकिया से खरीदारी की। 6 अक्टूबर 2022 को उन्होंने नागासांद्रा आइकिया स्टोर में 2,428 रुपये के सामान खरीदे। बिलिंग के बाद चला कि उनसे आइकिया का लोगो लगे एक कैरीबैग के लिए भी 20 रुपये वसूले गए हैं। उन्होंने इसका विरोध किया कि कंपनी के लोगो वाले बैग के लिए किस बात का पेमेंट? इसे लेकर उनकी वहां के कर्मचारियों से बहस भी हुई। आखिरकार महिला ने डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम में शिकायत की। फोरम ने आइकिया को फटकार लगाते हुए उसे आदेश दिया कि वजह 20 रुपये ब्याज के साथ महिला को लौटाएं। इसके अलावा महिला को 1000 रुपये मुआवजा और कानूनी लड़ाई में खर्च के एवज में उसे 2000 रुपये अतिरिक्त का भुगतान करे।
ऐसा ही एक चर्चित मामला पिछले साल का था। एक शख्स ने मशहूर ई-कॉमर्स साइट फ्लिपकार्ट से एक प्रेशर कुकर खरीदा। कुकर घटिया क्वॉलिटी का था। उसकी क्वॉलिटी तय मानकों के अनुरूप नहीं थी। शख्स ने केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण में शाकियत दर्ज कराई। सीसीपीए ने फ्लिपकार्ट पर अपने प्लेफॉर्म पर घटिया क्वॉलिटी के प्रेशर कुकरों की बिक्री होने देने को लेकर एक लाख रुपये जुर्माना लगाया। इतना ही नहीं, उसे इस तरह के बेचे गए सभी 598 कुकरों को वापस मंगाने और उनके पैसे लौटाने का भी आदेश दिया। जाहिर है, कंज्यूमर ही असली किंग है। उसके अधिकारों का सम्मान करना ही होगा चाहे कोई छोटा-मोटा दुकानदार हो या फिर बड़ी से बड़ी कंपनी।
उपभोक्ता के अधिकार क्या हैं, इसे समझने से पहले ये जानना जरूरी है कि आखिर उपभोक्ता है कौन। दरअसल, कोई भी शख्स जो कोई सामान खरीदता है या कोई सर्विस लेता है तो वह उपभोक्ता है। अब बात उसके अधिकारों की। उपभोक्ता का ये अधिकार है कि वह जो कोई भी सामान खरीदता है या फिर कोई सेवा लेता है तो वह शुद्ध हो, तय गुणवत्ता वाला हो, उसकी क्वॉन्टिटी उतनी हो जितना दावा किया जा रहा है और मूल्य भी वाजिब हो। एमआरपी से ज्यादा कीमत पर न वसूली गई हो। डिफेक्टेड यानी किसी तरह की खराबी वाली न हो। अनएक्सपायर्ड हो यानी उसकी एक्सपाइरी डेट खत्म न हुई हो। प्रोडक्ट के बारे में झूठी या आधी-अधूरी सूचना न दी गई हो। अगर उपभोक्ता सामान या सर्विस से संतुष्ट नहीं है तो उसे सुने जाने का अधिकार है। अगर उसे लगता है कि उसके अधिकार का उल्लंघन हुआ तो वह इसके खिलाफ शिकायत कर सकता है।
मान लीजिए कि आपने कोई सामान खरीदी लेकिन वह खराब क्वॉलिटी का निकल गया। या फिर आपने कोई सर्विस ली लेकिन उससे आप संतुष्ट नहीं हैं तो ऐसी स्थिति में आपको क्या करना चाहिए? आप संबंधित दुकानदार या सर्विस प्रोवाइडर से शिकायत कर सकते हैं। अगर वहां आपकी सुनवाई नहीं हुई तो आप अपने कंज्यूमर राइट्स की रक्षा के लिए कानूनी रास्ते अपना सकते हैं।