आज हम आपको बतायेंगे कि दत्तात्रेय होसबोले ने इमरजेंसी के बारे में क्या कहा! आपातकाल की 48वीं बरसी को याद करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि भीषण अत्याचार जो हुआ वह इतिहास के पन्नों में दर्ज है। आपातकाल के बारे में बात करते हुए दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर अत्याचार करना और उस पर प्रतिबंध लगाना तत्कालीन सरकार की प्राथमिकता थी।
लोकतंत्र वाले किसी भी देश में, उत्पीड़न या आवाजों को दबाने का कोई भी प्रयास सफल नहीं हो सकताइमरजेंसी लागू होने की सूचना मिली तब वह किस शहर में थे और उसी शहर में अटल-आडवाणी भी थे। आपातकाल के दौरान की एक घटना को याद करते हुए उनकी आंखें भी नम हो जाती हैं।उन्होंने कहा कि कुछ भी कहोगे छपेगा नहीं। बिना जलपान किए सभी लोग कमरे में चले गए, मैं भी वहां मौजूद था। थोड़ी देर में पुलिस आ गई। दत्तात्रेय होसबोले ने बताया कि जब उन्हें इमरजेंसी लागू होने की सूचना मिली तब वह किस शहर में थे और उसी शहर में अटल-आडवाणी भी थे।इमरजेंसी लागू होने की सूचना मिली तब वह किस शहर में थे और उसी शहर में अटल-आडवाणी भी थे। आपातकाल के दौरान की एक घटना को याद करते हुए उनकी आंखें भी नम हो जाती हैं।उन्होंने कहा कि कुछ भी कहोगे छपेगा नहीं। बिना जलपान किए सभी लोग कमरे में चले गए, मैं भी वहां मौजूद था। थोड़ी देर में पुलिस आ गई। आपातकाल के दौरान की एक घटना को याद करते हुए उनकी आंखें भी नम हो जाती हैं।उन्होंने कहा कि कुछ भी कहोगे छपेगा नहीं। बिना जलपान किए सभी लोग कमरे में चले गए, मैं भी वहां मौजूद था। थोड़ी देर में पुलिस आ गई।
अटल, आडवाणी और एसएन मिश्रा तीनों को पुलिस अरेस्ट करके थाने ले गई। इमरजेंसी लागू होने की सूचना मिली तब वह किस शहर में थे और उसी शहर में अटल-आडवाणी भी थे। आपातकाल के दौरान की एक घटना को याद करते हुए उनकी आंखें भी नम हो जाती हैं।उन्होंने कहा कि कुछ भी कहोगे छपेगा नहीं। बिना जलपान किए सभी लोग कमरे में चले गए, मैं भी वहां मौजूद था। थोड़ी देर में पुलिस आ गई।आपातकाल की एक और घटना का जिक्र करते हुए दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि बेंगलुरु में गायत्री नाम की महिला ने सत्याग्रह किया। पुलिस ने उनको अरेस्ट कर लिया। इमरजेंसी लागू होने की सूचना मिली तब वह किस शहर में थे और उसी शहर में अटल-आडवाणी भी थे। आपातकाल के दौरान की एक घटना को याद करते हुए उनकी आंखें भी नम हो जाती हैं।उन्होंने कहा कि कुछ भी कहोगे छपेगा नहीं। बिना जलपान किए सभी लोग कमरे में चले गए, मैं भी वहां मौजूद था। थोड़ी देर में पुलिस आ गई। वक्त वह गर्भवती थीं। जेल में जब उनको प्रसव वेदना हुई तक उनको हॉस्पिटल ले जाया गया। जिस बेड पर डिलीवरी हुई उनके दोनों पैरों को जंजीर से बांधा था। यह कहते हुए दत्तात्रेय होसबोले की आंखें नम हो जाती हैं।
एक और घटना के बारे में बताते हुए होसबोले ने कहा कि ओम प्रकाश कोहली थोड़े दिव्यांग थे पुलिस ने तिहाड़ में उनको लात मारा और काफी अपमान भी किया।इमरजेंसी लागू होने की सूचना मिली तब वह किस शहर में थे और उसी शहर में अटल-आडवाणी भी थे। आपातकाल के दौरान की एक घटना को याद करते हुए उनकी आंखें भी नम हो जाती हैं।उन्होंने कहा कि कुछ भी कहोगे छपेगा नहीं। बिना जलपान किए सभी लोग कमरे में चले गए, मैं भी वहां मौजूद था। इमरजेंसी लागू होने की सूचना मिली तब वह किस शहर में थे और उसी शहर में अटल-आडवाणी भी थे। आपातकाल के दौरान की एक घटना को याद करते हुए उनकी आंखें भी नम हो जाती हैं।उन्होंने कहा कि कुछ भी कहोगे छपेगा नहीं। बिना जलपान किए सभी लोग कमरे में चले गए, मैं भी वहां मौजूद था। थोड़ी देर में पुलिस आ गई। देर में पुलिस आ गई। पैरों पर खड़े होना उनके लिए मुश्किल था। तब वह कॉलेज के प्रोफेसर थे। ऐसी घटनाएं पूरे देश में हुईं। दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि आपातकाल तब लगाया जाता है जब देश को खतरा होता है। जब कोई व्यक्ति या पार्टी असुरक्षित और अस्थिर हो तो संविधान का दुरुपयोग लोकतंत्र में कभी नहीं होना चाहिए।