आखिर पीएम मोदी को लेकर क्या चाह रहा है विपक्ष?

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आज हम आपको बताएंगे कि पीएम मोदी को लेकर विपक्ष क्या चाह रहा है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजकोट दौरे पर हैं, इस दौरान उन्होंने एक बार फिर ‘मोदी की गारंटी’ का जिक्र किया। उन्होंने दो टूक बोला कि आज देश कह रहा- ‘मोदी की गारंटी यानी, गारंटी पूरा होने की गारंटी। देश को मोदी की गारंटी पर इसलिए अटूट भरोसा है, क्योंकि मैंने राजकोट को गुजरात की पहले एम्स की गारंटी दी थी। तीन साल पहले इसका शिलान्यास किया था और आज लोकार्पण किया, आपके सेवक ने गारंटी पूरी की।’ प्रधानमंत्री ने इससे पहले भी ‘मोदी की गारंटी’ का जिक्र करते हुए एक तरह से जनता के सामने ये बताने की कोशिश की है कि जो उनकी सरकार कहती है उसे पूरा भी करती है। इसीलिए उन्होंने ‘गारंटी’ शब्द का इस्तेमाल किया। कई मौकों पर उन्होंने इस कमेंट के जरिए कांग्रेस समेत विपक्षी दलों पर अटैक भी किया। हालांकि, अब विपक्षी पार्टियों खास तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘मोदी की गारंटी’ पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने ‘मोदी की गारंटी’ नारे पर आपत्ति जताई और कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र के तानाशाही की ओर बढ़ने का संकेत है। खरगे ही नहीं एनसीपी संस्थापक शरद पवार ने भी इस पर रिएक्ट किया। उन्होंने कहा कि ‘मोदी की गारंटी’ कभी पूरी नहीं हुई।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने बीजेपी के नारे ‘मोदी की गारंटी’ पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह उन लोगों की गारंटी है जो अपने टैक्स के माध्यम से फंड करते हैं। हम टैक्स देते हैं। ये लोगों की गारंटी है। खरगे ने प्रधानमंत्री के आत्म-केंद्रित दृष्टिकोण की भी आलोचना की। कर्नाटक समाज कल्याण विभाग की ओर से आयोजित एक सम्मेलन में बोलते हुए रविवार को खरगे ने ‘मोदी की गारंटी’ वाले कमेंट पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने जोर देकर कहा कि जिन देशों में लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ते हैं, वहां लोकतंत्र बचा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बीजेपी पर चुनाव जीतने के लिए हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया। खरगे ने पीएम मोदी के ‘मैं, मैं’ कहने की आदत को भारत के तानाशाही की ओर बढ़ने के संकेत के रूप में संदर्भित किया। खरगे ने तानाशाही को रोकने के लिए अधिकारों की रक्षा के महत्व का जिक्र किया। उन्होंने कर्नाटक, मणिपुर और उत्तराखंड चुनावों में हार्स ट्रेडिंग को लेकर चिंता जताई, और कहा कि इस तरह की कार्रवाई भारतीय संविधान और लोकतंत्र को कमजोर करती हैं। इससे पहले खरगे ने एक कमेंट में कहा था कि ‘मोदी की गारंटी’ केवल झूठ फैलाने की है।

खरगे ही नहीं शरद पवार ने भी ‘मोदी की गारंटी’ पर कमेंट किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अक्सर अपनी ‘मोदी की गारंटी’ के बारे में बात करते हैं, लेकिन उनके ‘गारंटी कार्ड’ में कोई खास तारीख ही नहीं हैं। अगर हम बदलाव लाना चाहते हैं, तो हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं का एकजुट होना बहुत जरूरी है। पिछले 60-70 सालों में, हमने कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं को देखा है, लेकिन कभी भी संविधान और सामाजिक एकता को लेकर चिंता करने की जरूरत महसूस नहीं हुई। लेकिन, मोदी के सत्ता में आने के बाद से पिछले 10 सालों में, हमने एक अलग प्रधानमंत्री देखा है जो लगातार अपने पूर्व के नेताओं से अलग रुख अपनाते हैं। यही नहीं लोगों में उनके प्रति दुश्मनी पैदा करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

शरद पवार ने कहा कि पीएम मोदी अक्सर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आलोचना करते हैं और उन पर हमला करते हैं। नेहरू, जो एक ऐसे परिवार से थे जिन्होंने काफी संघर्ष किया, यहां तक कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जेल भी गए। उन्होंने देश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए अथक प्रयास किया, राष्ट्रीय विकास के लिए कई संस्थाओं और संगठनों की स्थापना की। नेहरू के योगदान के बावजूद, मोदी उनकी आलोचना करते रहते हैं। शरद पवार ने किसानों के लिए 70,000 करोड़ रुपये के कर्ज माफ करने के फैसले के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तारीफ की।

पवार ने कहा कि किसान अभी संकट का सामना कर रहे हैं, जैसे वे मनमोहन सिंह के कार्यकाल में कर रहे थे जब हमें पता चला कि किसान कर्ज के बोझ तले दबे आत्महत्या कर रहे हैं। मनमोहन सिंह ने तुरंत किसानों के लिए 70,000 करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर दिए। लेकिन, अब हम किसानों के मुद्दों को फिर से उठते हुए देख रहे हैं। पहले, किसानों ने दिल्ली की सीमा पर लगभग एक साल तक विरोध प्रदर्शन किया था। अब हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की ओर से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे विरोध प्रदर्शन के साथ इतिहास खुद को दोहराता हुआ प्रतीत हो रहा है। दुर्भाग्य से, सरकार ने उनकी गुहारों को अनसुना कर दिया है, जिससे मुझे विश्वास हो गया है कि सरकार हमारे किसानों का सम्मान नहीं करती है। इस सरकार को सत्ता से हटाना बहुत जरूरी है।

शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार ने ‘मोदी की गारंटी’ के बैनर तले कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन बिना किसी खास तारीख के ये गारंटी खोखली हैं। कई वादे किए गए हैं, लेकिन कोई भी पूरा नहीं हुआ है। राष्ट्रीय एकता बनाए रखने के लिए, नेहरू, इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं ने हमेशा केंद्र और राज्यों के बीच मजबूत संबंध बनाए रखा। उन्होंने लगातार राज्यों का सम्मान किया। लेकिन, मौजूदा सरकार इस मामले में विफल हो रही है। मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए, राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ सम्मान का व्यवहार किया जाता था। लेकिन मोदी के नेतृत्व में, राज्य सरकारों के साथ सहयोग की कमी है, जिससे कई अनसुलझे मुद्दे हैं, जिनमें महाराष्ट्र के मुद्दे भी शामिल हैं।