यह सवाल उठना लाजिमी है कि मोदी की विजय रथ यात्रा या राहुल की भारत न्याय यात्रा आखिर क्या असर करेगी! लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण शुरू करने वाले हैं। इसका नाम ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ रखा गया है। यह 14 जनवरी को मणिपुर से शुरू होगी और 20 मार्च को मुंबई में खत्म होगी। यात्रा के पहले संस्करण को कांग्रेस सुपरहिट मानती रही है। कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में जीत का श्रेय भी पार्टी ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को ही दिया था। तब उसी का शोर था। हालांकि, एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में करारी शिकस्त के बाद भारत जोड़ो यात्रा की चमक फीकी पड़ गई। उस यात्रा से कांग्रेस को सियासी फायदा हुआ या नहीं, ये भले ही बहस का विषय हो लेकिन इस पर कोई शक नहीं कि यात्रा से राहुल गांधी की छवि जरूर निखरी। एक जुझारू नेता की छवि। अब लोकसभा चुनाव से बमुश्किल 3 महीने पहले वह अब देश को पूरब से पश्चिम की ओर नाप रहे हैं। 15 राज्यों से गुजरने वाली यात्रा से क्या राहुल गांधी कोई करिश्मा कर पाएंगे? इन राज्यों में कांग्रेस की क्या स्थिति है? पिछले चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन क्या था? यात्रा का आखिरी चरण आते-आते लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान भी हो चुका होगा। तो कहीं इससे बीजेपी 2024 के चुनाव को ‘नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी’ का रंग देने में तो सफल नहीं हो जाएगी? आइए आंकड़ों के आईने में इन सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं। राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ कुल 15 राज्यों से होकर गुजरेगी। करीब 6700 किलोमीटर की दूरी तय होगी। यात्रा 110 जिलों और करीब 100 लोकसभा सीटों से होकर गुजरेगी। रूट पर जो 15 राज्य हैं उनमें लोकसभा की कुल 357 सीटें हैं। जिन राज्यों से होकर ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ निकलेगी, वे हैं- मणिपुर, नगालैंड, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र। पहले रूट में अरुणाचल प्रदेश नहीं था लेकिन बाद में उसे शामिल किया गया।
राहुल गांधी की ये यात्रा जिन 15 राज्यों से गुजरेगी, उन राज्यों में लोकसभा की कुल मिलाकर 357 सीटें हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन को देखें तो इन राज्यों में कांग्रेस की स्थिति बहुत ही खराब है। कितनी खराब इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि इन 357 सीटों में पार्टी महज 14 पर ही जीत हासिल कर पाई थी। भारत जोड़ो न्याय यात्रा वाले राज्यों में से 5 तो ऐसे हैं जहां 2019 में कांग्रेस खाता तक नहीं खोल पाई थी। ये हैं- मणिपुर, नगालैंड, अरुणाचल, राजस्थान और गुजरात।
इतना ही नहीं, सियासी लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे यूपी समेत यात्रा रूट के 7 राज्यों में कांग्रेस पिछली बार महज 1 सीट पर सिमट गई थी। यूपी के अलावा बाकी 6 राज्य हैं मेघालय, बिहार, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र। यात्रा रूट के 15 राज्यों में कांग्रेस का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन असम में है जहां 2019 में उसके खाते में 3 सीटें आई थीं। बंगाल और छत्तीसगढ़ में उसने 2-2 सीटों पर जीत दर्ज की थी। राहुल गांधी की यात्रा जिन 15 राज्यों से होकर गुजरेगी, वहां की कुल 357 सीटों में से 239 पर बीजेपी का कब्जा है यानी 67 प्रतिशत सीटों पर कमल खिला था। यूपी में अपना दल और बिहार में एलजेपी जैसी सहयोगी पार्टियों की सीटें इसमें शामिल नहीं हैं। राहुल गांधी की यात्रा वाले 2 राज्यों नगालैंड और मेघालय में बीजेपी 2019 में खाता तक नहीं खोल पाई थी। हालांकि, 3 राज्य ऐसे भी हैं जहां पार्टी ने सारी की सारी सीटों पर जीत का परचम लहराया। ये राज्य हैं- राजस्थान, गुजरात और अरुणाचल प्रदेश।
2014 में नरेंद्र मोदी की अगुआई में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद राज्यों के चुनावों में भी कांग्रेस को हार पर हार का सामना करना पड़ा है। बीच-बीच में कुछ राज्यों में जीत से पार्टी उत्साहित होती है लेकिन वह उत्साह ज्यादा वक्त तक नहीं टिक पाता। उदाहरण के तौर पर पिछले साल कांग्रेस ने कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश से बीजेपी को सत्ता से बाहर किया लेकिन साल बीतते-बीतते उसे मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे हिंदी पट्टी के 3 अहम राज्यों में करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 2014 के शानदार प्रदर्शन को और बेहतर ही किया। 2014 और उसके बाद बीजेपी की जबरदस्त चुनावी जीतों में सबसे बड़ा फैक्टर है नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता। मोदी मैजिक के सहारे पार्टी जीत हासिल करने वाली मशीन की तरह बन गई है। राहुल गांधी 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाल रहे हैं। ठीक पहले क्या, चुनाव के दौरान ही वह यात्रा पर रहेंगे क्योंकि यात्रा के आखिरी पड़ाव पर आते-आते लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान भी हो चुका होगा। ऐसे में यात्रा की वजह से राहुल गांधी को जो कवरेज मिलेगी, उसका इस्तेमाल कर बीजेपी 2024 की लड़ाई को ‘नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी’ का शक्ल देने की कोशिश कर सकती है। 2014 और 2019 में उसे इसका भरपूर फायदा ही मिला है। दूसरी तरफ, विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के बाकी दल शायद ही चाहेंगे कि चुनाव मोदी बनाम राहुल का रूप ले। वजह ये है कि मोदी के मुकाबले में विपक्ष के पास उनके कद का कोई भी चेहरा नहीं है। यही वजह है कि विपक्षी गठबंधन के ज्यादातर दल बिना पीएम फेस के चुनाव में उतरने के हिमायती हैं।