आखिर क्या खास है दिल्ली MCD के चुनाव में?

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दिल्ली MCD चुनाव हर पार्टी के लिए खास अहमियत रखता है! दिल्ली में दिल्ली नगर निगम चुनावों की घोषणा हो गई है। एमसीडी के एकीकरण के बाद होने वाले इस चुनाव में राज्य में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। एमसीडी का चुनाव इतना अहम होता है कि इसपर कब्जा जमाने के लिए सभी दल पूरी ताकत लगा देते हैं। हजारों करोड़ रुपये के बजट वाले एमसीडी के पास कई सारी शक्तियां भी होती हैं, जिसपर हर दल कब्जा करना चाहता है। एमसीडी के एकीकरण से पहले ये तीन क्षेत्र ईस्ट, नॉर्थ और साउथ दिल्ली म्युनिसिपल कारपोरेशन में बंटे हुए थे। कुल 272 सीटें थीं। लेकिन तीनों निगमों के एकीकरण के बाद सीटें घटकर 250 रह गई हैं।एमसीडी के पास कई तरह के अधिकार होते हैं। इसके जरिए राज्य में अस्पताल, डिस्पेंसरीज, पानी की सप्लाई। ड्रेनेज सिस्टम की देखभाल, बाजारों की देखरेख करना। पार्कों का निर्माण करना और उसकी देखभाल का प्रबंध करना। सड़क और ओवर ब्रिज का निर्माण और मेंटेनेंस करना। कचरे के निस्तारण का प्रबंध। स्ट्रीट लाइट, प्राइमरी स्कूल, प्रॉपर्टी और प्रोफेशनल टैक्स कलेक्शन, टोल टैक्स कलेक्शन सिस्टम, शमशान और जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जैसे बेहद अहम काम एमसीडी के जरिए किए जाते हैं।

एमसीडी के जरिए कई ऐसे काम किए जाते हैं जो लंबे समय में सभी पार्टियों के वोट बैंक के लिए बेहद अहम होता है। सड़क निर्माण से लेकर स्कूल और टैक्स कलेक्शन आय का बड़ा स्रोत होता है। एमसीडी पर कब्जा करके राजनीतिक दल बड़ी आबादी के हितों के लिए काम कर सकती है। वैसे भी एमसीडी चुनाव एक तरह विधानसभा चुनाव की तैयारी होती है। सभी दल इन चुनावों के लिए पूरा जोर आजमाइश करते हैं।दिल्ली एमसीडी का बजट 15 हजार करोड़ से ज्यादा का होता है। इस बड़े बजट के जरिए कई सारे विकास कार्यों को अंजाम दिया जाता है। ऐसे में इतने बड़े बजट वाले एमसीडी पर कब्जा करने की हसरत सभी दलों की रहती है। एमसीडी को दिल्ली सरकार से भी खर्चे के लिए बजट मिलता है।

दरअसल, दिल्ली सरकार और एमसीडी दोनों सड़क और नाले की सफाई का काम करवाती है। 60 फीट से ज्यादा चौड़ी सड़क के मरम्मत का काम दिल्ली सरकार का होता है जबकि इससे पतली सड़क का काम एमसीडी का होता है। इसी तरह लाइसेंस देने का काम भी दोनों पक्ष करते हैं। दिल्ली सरकार बड़े वाहनों का लाइसेंस जारी करती है जबकि एमसीडी छोटे वाहनों को लाइसेंस जारी करता है।एमसीडी के जरिए कई ऐसे काम किए जाते हैं जो लंबे समय में सभी पार्टियों के वोट बैंक के लिए बेहद अहम होता है। सड़क निर्माण से लेकर स्कूल और टैक्स कलेक्शन आय का बड़ा स्रोत होता है। एमसीडी पर कब्जा करके राजनीतिक दल बड़ी आबादी के हितों के लिए काम कर सकती है। वैसे भी एमसीडी चुनाव एक तरह विधानसभा चुनाव की तैयारी होती है। सभी दल इन चुनावों के लिए पूरा जोर आजमाइश करते हैं।दिल्ली एमसीडी का बजट 15 हजार करोड़ से ज्यादा का होता है। इस बड़े बजट के जरिए कई सारे विकास कार्यों को अंजाम दिया जाता है। ऐसे में इतने बड़े बजट वाले एमसीडी पर कब्जा करने की हसरत सभी दलों की रहती है। एमसीडी को दिल्ली सरकार से भी खर्चे के लिए बजट मिलता है।उन्होंने वहीं, एमसीडी प्राइमरी स्कूल संचालित करता है वहीं दिल्ली सरकार बड़े बच्चों के स्कूल, कॉलेज और प्रोफेशनल संस्थानों का संचालन करती है। ऐसे में जिस पार्टी की दिल्ली में सरकार होती है, वह चाहता है कि एमसीडी पर भी उसका कब्जा रहे।

आप के उदय से पहले बीजेपी और कांग्रेस के बीच एमसीडी चुनाव क्वार्टरफाइल मुकाबले की तरह माना जाता था। क्योंकि इसके बाद पार्टियां विधानसभा चुनाव में जाती थी और फिर लोकसभा चुनाव होता था।एमसीडी के जरिए कई ऐसे काम किए जाते हैं जो लंबे समय में सभी पार्टियों के वोट बैंक के लिए बेहद अहम होता है। सड़क निर्माण से लेकर स्कूल और टैक्स कलेक्शन आय का बड़ा स्रोत होता है। एमसीडी पर कब्जा करके राजनीतिक दल बड़ी आबादी के हितों के लिए काम कर सकती है। वैसे भी एमसीडी चुनाव एक तरह विधानसभा चुनाव की तैयारी होती है। सभी दल इन चुनावों के लिए पूरा जोर आजमाइश करते हैं।दिल्ली एमसीडी का बजट 15 हजार करोड़ से ज्यादा का होता है। इस बड़े बजट के जरिए कई सारे विकास कार्यों को अंजाम दिया जाता है। ऐसे में इतने बड़े बजट वाले एमसीडी पर कब्जा करने की हसरत सभी दलों की रहती है। एमसीडी को दिल्ली सरकार से भी खर्चे के लिए बजट मिलता है। पिछले दो चुनाव से आप भी मजबूती से चुनाव में उतर रही है। आप पिछले 8 साल से दिल्ली की सत्ता में काबिज है लेकिन उसका प्रदर्शन एमसीडी में अच्छा नहीं रहा है। बीजेपी डेढ़ दशक से ज्यादा वक्त से एमसीडी पर काबिज है।