आखिर अतीक अहमद की जिंदगी में कॉलेज का क्या है कांड?

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अतीक अहमद की जिंदगी में एक कॉलेज कांड भी बहुत फेमस है! प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड के बाद एक बार फिर अतीक अमहद पर योगी सरकार कड़ी कार्रवाई में जुट गई थी। अतीक अहमद को गुजरात की जेल से यूपी लाने की तैयारी भी हो रही थी , ताकि उमेश हत्याकांड में पूछताछ हो सके। इधर, अतीक अहमद के परिवार को उसके एनकाउंटर का डर भी सताने लगा था। अब 100 से ज्यादा दर्ज मुकदमों वाला अपराधी भी खौफ खा रहा है। हां ये बात अलग है कि आज तक किसी मुकदमे में अतीक अमहद को सजा नहीं सुनाई गई थी। सभी मामलों की सुनवाई और जांच जारी थी। एक बात और ये है कि अतीक अहमद पिछले 6 साल से जेल में ही बंद था। जेल पहुंचने के पीछे वजह एक कॉलेज में मारपीट थी, जिसके बाद अतीक कभी बाहर ही नहीं आ पाया। अतीक अहम पर 1997 से सबसे पहला मुकदमा हत्या का दर्ज हुआ था। इसके बाद आज तक अतीक अहमद के खिलाफ करीब 100 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। इसमें हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, रंगदारी जैसे संगीन अपराधों की एक लंबी लिस्ट है। अतीक पर 1989 में इलाहाबाद के शौक इलाही उर्फ चांद बाबा की हत्या, नस्सन की 2002 में हत्या, 2004 में बीजेपी नेता अशरफ की हत्या और 2005 में बसपा पूर्व विधायक राजू पाल की हत्या का आरोप भी लगा। प्रयागराज यानी पिछले दिनों के इलाहाबाद में चांद बाबा का खौफ था। तब अतीक अहमद की उम्र 20-22 साल के लगभग थी। अतीक तेजी से नाम और पैसा कमाने के चक्कर में लगा था। उन दिनों पुलिस भी चांद बाबा के इलाके में जाने से कतरा था। तब स्थानीय स्तर पर उठ रहे अपराधी अतीक अहमद को पुलिस और नेताओं का साथ मिल गया। हालांकि एक दिन चांद बाबा की फिल्मी स्टाइल में हत्या करा दी गई। इसके साथ अतीक अहमद का नाम जुड़ा। इसके बाद से अतीक का खौफ इलाहाबाद ही नहीं यूपी और पड़ोसी राज्यों तक पहुंच गया। 1986 में अतीक को गिरफ्तार भी किया गया। लेकिन अपनी पहुंच के चलते उसे ज्यादा दिन जेल में नहीं रहना पड़ा। फिर अतीक 1989 में सक्रिय राजनीति में उतर आया। इसी दौरान चांद बाबा की हत्या की गई।

चर्चा है कि अतीक अहमद और राजू पाल एक जमाने में काफी करीब थे। हालांकि किसी बात पर दोनों में विवाद हो गया। इसके बाद 2002 में राजू पाल राजनीति में आ गए। अतीक अहमद 2004 में सांसद बना तो इलाहाबाद की विधानसभा सीट से भाई अशरफ को चुनाव लड़ाया। इस चुनाव में बसपा ने राजू पाल को टिकट दिया और वो जीत भी गए। 25 जनवरी 2005 को राजू पाल की गाड़ी पर अंधाधुंध फायरिंग की गई। इसमें उन्हें 19 गोली लगी। राजू पाल पर अस्पताल पहुंचने तक दो बार हमला किया गया था और उनकी मौत हो गई। इस मामले में अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ समेत अन्य लोगों पर केस दर्ज किया गया। इसी मामले में उमेश पाल गवाह थे, जिनकी हाल में हत्या कर दी गई।

लखनऊ में हुए गेस्ट हाउस कांड में अतीक अहमद का नाम भी जुड़ा था। इसके बाद भी अतीक अहमद कई मुकदमे होने पर भी 2007 तक आजाद घूमता रहा। इसी साल जैसे ही मायावती सत्ता में आईं, सपा ने अतीक अहमद को पार्टी से बाहर कर दिया। दूसरी तरफ मायावती ने अतीक अहमद के केस खोलने शुरू कर दिए और उसे मोस्ट वांटेड अपराधी घोषित किया गया।

अतीक अहमद पर वैसे तो हत्या से लेकर कई गंभीरत आपराधिक मुकदमे दर्ज थे। इसके बाद भी उसे ज्यादा दिनों तक जेल में नहीं रहना पड़ा था। 2016 में सपा ने अतीक अहमद को कानपुर कैंट से चुनाव के लिए टिकट दिया। चुनाव की तैयारी में लगा अतीक अपने समर्थकों के साथ इलाहाबाद के शियाट्स कॉलेज पहुंच गया और वहां जमकर तोड़फोड़, मारपीट हुई। कुछ दिन बाद ही अखिलेश यादव ने अतीक को पार्टी से बाहर निकाल दिया। इसी साल जैसे ही मायावती सत्ता में आईं, सपा ने अतीक अहमद को पार्टी से बाहर कर दिया। दूसरी तरफ मायावती ने अतीक अहमद के केस खोलने शुरू कर दिए और उसे मोस्ट वांटेड अपराधी घोषित किया गया।इसी बीच हाई कोर्ट ने शियाट्स कॉलेज मामले में अतीक की गिरफ्तार का आदेश दे दिया। फरवरी 2017 में अतीक को गिरफ्तार कर लिया गया। यहीं से अतीक अहमद का बुरा वक्त शुरू हो गया। अतीक से जुड़े सभी मामलों में कोर्ट ने जमानत खारीज कर दी। दूसरा तरफ प्रदेश में बीजेपी की योगी सरकार आ गई। तब से लेकर आज तक अतीक अहमद जेल में ही बंद था। और अब उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई है!