Thursday, September 19, 2024
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आखिर क्या है कंगना रनौत से जुड़ा हुआ विवादित मामला?

आज हम आपको कंगना रनौत से जुड़ा हुआ विवादित मामला बताने जा रहे हैं! पिछले हफ्ते का एंथम ‘मंडी बदनाम हुई, डार्लिंग तेरे लिए, ‘ पूरे भारत में गूंजा जब कंगना रनौत एक बार फिर क्वीन साइज विवाद में घिर गईं। मामला तब सामने आया जब पूर्व पत्रकार और कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत के सोशल मीडिया अकाउंट से एक पोस्ट जिसे बाद में हटा दिया गया किया गया। इसमें उन्होंने कंगना रनौत के नाम का जिक्र किया। बॉलीवुड एक्ट्रेस को हिमाचल प्रदेश के मंडी लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार बनाए जाने पर सुप्रिया श्रीनेत के सोशल मीडिया हैंडल से ये पोस्ट हुआ। हालांकि जब उनके इस भद्दे, आपत्तिजनक और सेक्सिस्ट पोस्ट पर सवाल उठाए गए तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि ‘कई लोग मेरा फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट एक्सेस करते हैं।’ यह विवाद दो कारणों से दिलचस्प है। पहला, यह पहली बार हो सकता है कि किसी छोटे शहर के नाराज निवासी एक अपमानजनक पोस्ट के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करें। ऐसा इसलिए क्योंकि पोस्ट में मंडी और रेट के बारे में स्पष्ट जिक्र था। श्याम बेनेगल की उसी नाम की पुरस्कार विजेता फिल्म याद है, जिसमें एक दयालु वेश्यालय मालकिन रुक्मिणी बाई अपने प्रतिष्ठान को बचाने के लिए लड़ती है? आक्रोश समझ में आता है और उचित है। फिर सुप्रिया श्रीनेत की अचानक एंट्री हुई जिसमें कहा गया कि जो कोई भी मुझे जानता है, वह अच्छी तरह जानता है कि मैं किसी भी महिला के प्रति कभी भी व्यक्तिगत और अभद्र टिप्पणी नहीं कर सकती। खैर, मैडम, वे टिप्पणियां आपके आधिकारिक हैंडल और अकाउंट पर पोस्ट की गई थीं। जिम्मेदारी से बचने का ये कोई अच्छा तरीका नहीं है। वास्तव में, यह एक और बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा उठाता है कि क्या आपके नाम से पोस्ट की जाने वाली चीजों पर आपका कोई नियंत्रण नहीं है? क्या यह आपकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं है कि आप अपने ‘पोस्ट’ की निगरानी करें और उन्हें क्लीयर करें? अब, यह दावा करना कि मूल ट्वीट एक ‘पैरोडी अकाउंट’ से पोस्ट किया गया था, बेहद खोखला लगता है। हालांकि, यह मामला अब चुनाव आयोग के पास है, जो पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का मजाक उड़ाने वाले बीजेपी नेता दिलीप घोष की टिप्पणी की भी जांच कर रहा है।

दूसरा, राजनीति में रूढ़िवादी महिलाओं के सवाल के बारे में है। ये टिप्पणियां दिखाती हैं कि आज भी, महिलाओं को ‘उनकी जगह दिखाने’ की कोशिश की जाती है, खासकर अगर वे फिल्मी बैकग्राउंड से हों। वे यह भूल जाते हैं कि राजनीतिक क्षेत्र में कद्दावर महिलाओं की लंबी लिस्ट है, जिन्होंने अपने शोबिज क्रिडेंशियल का मजाक उड़ाने के कई प्रयासों के बावजूद खुद को साबित किया। सार्वजनिक जीवन में कुछ नाम लिया जाए तो इसमें स्मृति ईरानी, जया बच्चन, हेमा मालिनी, किरण खेर, नगमा, गुल पनाग, जया प्रदा, राम्या… और ये लिस्ट यहीं खत्म होती नजर नहीं आ रही।

स्मृति ईरानी ने इस मामले में पलटवार का नेतृत्व किया जब वह कंगना रनौत के बचाव में आगे आईं। उन्हें और अन्य लोगों की तरह ‘वुमेन ऑफ स्टील’ के तौर पर पेश किया। कंगना ने इस विवाद में खुद को एक संयमित प्रतिक्रिया तक सीमित रखा, उन्होंने कहा कि अपने 20 साल के करियर में, मैंने कई भूमिकाएं निभाई। फिल्म ‘रज्जो’ में एक वेश्या से लेकर ‘थलाइवी’ में एक क्रांतिकारी नेता का रोल निभाया। हमें अपनी बेटियों को पूर्वाग्रह की बेड़ियों से मुक्त करना चाहिए। हर महिला अपनी गरिमा की हकदार है। सुनो!

जवाबी कार्रवाई में, कांग्रेस ने एक पुराना वीडियो शेयर किया जिसमें कंगना रनौत, उर्मिला मातोंडकर को सॉफ्ट पॉर्न स्टार कहा था। अगर यह मदद करता है, तो मुझे अर्ध-साक्षर लोगों की ओर से ‘सॉफ्ट पॉर्न लेखक’ के रूप में खारिज कर दिया गया था। वो भी उन लोगों ने जिन्होंने कभी कोई किताब नहीं पढ़ी थी। अगर कोई इन हमलों और जवाबी अटैक की स्पष्ट राजनीति से परे देख सकता है, तो एक बात बिल्कुल स्पष्ट है। महिलाएं अक्सर ऐसी जगह फंसी रहती हैं जहां उनकी बहुत अधिक क्षमता और रचनात्मक ऊर्जा एक अत्यधिक संदेहपूर्ण समाज की ओर से लगाए गए लेबल से लड़ने में खत्म हो जाती है, जिसने उन्हें कठोरता से पहले से आंक लिया है। कंगना के मामले में देखें तो उन्हें पुरुष प्रधान फिल्म उद्योग में भाई-भतीजावाद (नेपोटिज्म) जैसे मुद्दों को उजागर करने के लिए एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। करन जौहर के साथ इंटरव्यू के बाद से, उन्हें सहकर्मियों की ओर से लगभग बहिष्कृत कर दिया गया। उन्हें ‘मुसीबत पैदा करने वाली’ करार दिया गया है। इससे उन्हें कई भूमिकाएं और आकर्षक सपोर्ट गंवाना पड़ा। कोई बात नहीं। शक्तिशाली लोगों से भिड़ने का यह निर्णय उनका व्यक्तिगत विशेषाधिकार है और वह इसके रिजल्ट को पहचानने में काफी बुद्धिमान हैं।

2024 के चुनाव में कई मल्टी-स्टारर कास्ट उम्मीदवार के तौर पर नजर आ रहे हैं। रवि किशन गोरखपुर से अपनी सीट बचाने के लिए उतरे हैं। ‘ड्रीम गर्ल’ हेमा मालिनी तीसरी बार मथुरा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। उनके सहयोगी, तीन बार के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा को आसनसोल के लिए टीएमसी ने उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में हम कुछ दिलचस्प, कठिन जीत वाली लड़ाइयों के लिए तैयार हैं। इस बीच, कंगना रनौत के लिए आखिरी बात कहते हैं, ‘अगर किसी युवक को टिकट मिलता है, तो उसकी विचारधारा पर हमला किया जाता है। अगर किसी युवती को टिकट मिलता है, तो उसकी सेक्सुअलिटी पर हमला किया जाता है।’ इस प्रैक्टिस को रोकने का समय आ गया है क्योंकि पोल शो शुरू होने जा रहा।

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