आखिर दहेज जैसी सामाजिक कुरीतियों पर क्या है कानून?

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आज हम आपको बताएंगे कि दहेज जैसी सामाजिक कुरीतियों पर कानून क्या कहता है! देश का सबसे शिक्षित राज्य ‘केरल’ पिछले दो-तीन दिनों से चर्चा में हैं। दरअसल यहां एक लड़की के खूबसूरत सपनों को दहेज का ऐसा डंक लगा कि एक पल में ही सबकुछ तहस नहस हो गया। शादी की शहनाई बजने से पहले मातम पसर गया। हम बात कर रहे हैं केरल के तिरुवनंतपुरम की 26 वर्षीय महिला डॉक्टर शहाना की। बॉयफ्रेंड के साथ शादी के लिए शहाना का परिवार राजी हो गया था। दोनों परिवारों में शादी की तैयारियां शुरू होने वाली थी, लेकिन अचानक शादी टूट गई। वजह थी दहेज की मांग पूरी ना होना। शहाना इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाई और मौत को गले लगा लिया। आरोपी मंगेतर डॉक्टर रुवैस पर दहेज की मांग पूरी न होने पर शादी से मुकरने का आरोप है। परिजनों ने आरोप लगाया कि शादी तय हो चुकी थी, लेकिन बाद में रुवैस के परिवार ने दहेज के रूप में 150 सॉवरेन गोल्ड, 15 एकड़ जमीन और एक BMW कार की मांग की। शहाना का परिवार पहले 50 सॉवरेन गोल्ड, 50 लाख रुपये की संपत्ति और एक कार देने पर सहमत हुआ था। हालांकि, रुवैस का परिवार इस बात के लिए राजी नहीं हुआ और शादी से पीछे हट गया। इससे शहाना टूट गई और डिप्रेशन में चली गई। दहेज की फरमाइश ने एक जिंदगी को सुसाइड की दहलीज पर लाकर खड़ा कर दिया और पीछे कई सवाल छोड़ दिए।

चांद को फतह करने वाले भारत जैसे देश में पिछले 60 सालों से भी ज्यादा समय से दहेज कुप्रथा हजारों-लाखों जिंदगियों को खत्म कर चुकी है। उसके बावजूद आज भी दहेज का कल्चर समाज में जिंदा है। कम 7 साल और अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। खास बात यह है कि शादी के 7 साल के दौरान अगर महिला की किसी भी संदिग्ध परिस्थिति में मौत होती है तो पति और अन्य ससुरालियों पर दहेज हत्या मामले में आईपीसी की धारा-304 बी के तहत केस दर्ज किए जाने का प्रावधान है।दहेज एक सामाजिक समस्या है, ऐसा हम सब पढ़ते हुए आए हैं। लेकिन जब कथाकथित सभ्य और संभ्रांत समाज में भी दहेज का दंश जान निगल रहा है तो फिर न्याय कैसे मिले? ऐसे हालात में देश के कानून की भूमिका अहम हो जाती है। आइए जानते देश में दहेज हत्या को लेकर कानून क्या कहता है?

1961 में बने दहेज निरोधक कानून में दहेज लेना और देना जुर्म बनाया गया है। हालांकि 1983 में आईपीसी में संशोधन कर धारा-498 ए दहेज प्रताड़ना बनाई गई, जिसके तहत पत्नी को प्रताड़ित करने के मामले में सजा का प्रावधान किया गया। धारा-498 ए के तहत दहेज के लिए पत्नी को प्रताड़ित करने पर पति और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। दहेज प्रताड़ना का मामला गैर जमानती है और यह संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इस मामले में दोषी पाए जाने पर अधिकतम 3 साल कैद का है।

दहेज हत्या का मामला भी गैर जमानती और संज्ञेय अपराध है और इस मामले में दोषी पाए जाने पर मुजरिम को कम के कम 7 साल और अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। खास बात यह है कि शादी के 7 साल के दौरान अगर महिला की किसी भी संदिग्ध परिस्थिति में मौत होती है तो पति और अन्य ससुरालियों पर दहेज हत्या मामले में आईपीसी की धारा-304 बी के तहत केस दर्ज किए जाने का प्रावधान है।

भारत में दहेज प्रथा सदियों से चली आ रही है। आज भी शादियों में दहेज खुलेआम लिया और दिया जा रहा है, पाई और मौत को गले लगा लिया। आरोपी मंगेतर डॉक्टर रुवैस पर दहेज की मांग पूरी न होने पर शादी से मुकरने का आरोप है। परिजनों ने आरोप लगाया कि शादी तय हो चुकी थी, लेकिन बाद में रुवैस के परिवार ने दहेज के रूप में 150 सॉवरेन गोल्ड, 15 एकड़ जमीन और एक BMW कार की मांग की। शहाना का परिवार पहले 50 सॉवरेन गोल्ड, 50 लाख रुपये की संपत्ति और एक कार देने पर सहमत हुआ था। हालांकि, रुवैस का परिवार इस बात के लिए राजी नहीं हुआ और शादी से पीछे हट गया।जिसका इससे शहाना टूट गई और डिप्रेशन में चली गई। दहेज की फरमाइश ने एक जिंदगी को सुसाइड की दहलीज पर लाकर खड़ा कर दिया और पीछे कई सवाल छोड़ दिए।खामियाजा लड़कियों को भुगतना पड़ रहा है। राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक 2022 में देश में कुल 58,24,946 आपराधिक मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 4 लाख 45 हजार 256 मामले महिलाओं के खिलाफ हुए अपराध के हैं।