आखिर क्या है अग्निवीर की शहादत का मामला?

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आज हम आपको अग्निवीर की शहादत का मामला बताने वाले हैं! सियाचिन में ड्यूटी के दौरान एक अग्निवीर की शहादत के बाद भर्ती की यह नई स्कीम फिर से चर्चा में आ गई है। आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे ने महाराष्ट्र के अग्निवीर गवते अक्षय लक्ष्मण की शहादत पर शोक व्यक्त किया है। काराकोरम रेंज में लगभग 20,000 फुट की ऊंचाई पर सियाचिन ग्लेशियर को दुनिया के सबसे ऊंचे रण क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। यहां सैनिकों को खून जमा देने वाली ठंड और तेज हवाओं का सामना करना पड़ता है। जैसे ही यह खबर आई सियासत भी शुरू हो गई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पेंशन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अग्निवीर, भारत के वीरों के अपमान की योजना है। अग्निवीरों की शहादत के बाद उनके परिजनों को पेंशन या दूसरे लाभ नहीं दिए जाते हैं। हालांकि कुछ देर बाद राहुल के आरोपों को भाजपा ने सिरे से खारिज कर दिया। पिछले साल अग्निपथ योजना शुरू हुई है। इसके तहत सैनिकों की अल्पकालिक भर्ती होती है। ड्यूटी के दौरान यह पहले अग्निवीर की मौत है। एक अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद के रहने वाले अग्निवीर ऑपरेटर लक्ष्मण की ऊंचाई पर पैदा हुई मेडिकल जटिलताओं के कारण मृत्यु हो गई। इससे पहले अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने 11 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में संतरी ड्यूटी के दौरान आत्महत्या कर ली थी। चूंकि मृत्यु ‘खुद की चोट’ से हुई थी, इसलिए उन्हें कोई गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया। जबकि लक्ष्मण को ‘बैटल कैजुएलिटी’ के रूप में सभी सम्मान दिए जाएंगे।

अग्निवीर की पात्रता के अनुसार उनके परिवार को 48 लाख रुपये का गैर-अंशदायी बीमा, 44 लाख रुपये की अनुग्रह राशि, अग्निवीर द्वारा योगदान की गई सेवा निधि 30% सरकार की तरफ से समान योगदान के साथ, और उस पर ब्याज भी मिलेगा। सरकारी सूत्रों ने बताया है कि उनके परिजनों को मृत्यु की तारीख से चार साल पूरे होने तक 13 लाख रुपये से ज्यादा और सशस्त्र बल युद्ध हताहत कोष से 8 लाख रुपये का योगदान मिलेगा। हालांकि रेगुलर सैनिकों के उलट कोई पारिवारिक पेंशन या पूर्व सैनिक लाभ नहीं मिलेगा, जिसके कारण एक बार फिर अग्निपथ योजना पर सवाल खड़े होने लगे हैं।

रिटायर्ड मेजर नवदीप सिंह ने एक्स पर लिखा, ‘बाकी सभी सेवाओं में किसी ऑपरेशनल एरिया में मृत्यु के बाद परिवार को अंतिम वेतन के बराबर पारिवारिक पेंशन और आजीवन सेवा लाभ मिलते हैं। अग्निवीर के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है।’ एयर वाइस मार्शल (रिटायर्ड) मनमोहन बहादुर ने लिखा कि अगर सियाचिन में लक्ष्मण के साथ एक रेगुलर जवान की मौत हो जाती, तो उनके परिवार को ‘इसी टास्क, इसी जोखिम और इसी सेवा में’ सभी लाभ मिलते। मेजर सिंह ने आगे कहा, ‘एक अस्थायी ट्रेनी सिविल कर्मचारी की मौत भले ही छुट्टी पर रहते नशे में दुर्घटना या आत्महत्या से हो, उसके घरवाले पारिवारिक पेंशन के हकदार होंगे लेकिन सियाचिन में हताहत इस अग्निवीर का परिवार नहीं।’

राहुल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, ‘एक युवा देश के लिए शहीद हो गया- सेवा के समय न ग्रेच्युटी, न दूसरी सैन्य सुविधाएं और शहादत पर परिवार को पेंशन तक नहीं।’ भाजपा के आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने आरोपों को बेबुनियाद और गैरजिम्मेदाराना बताया है। उन्होंने कहा, ‘अग्निवीर गवाते अक्षय लक्ष्मण ने सेवा के दौरान अपने प्राण गंवाए हैं इसलिए वह ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले सैनिक के रूप में लाभ पाने के हकदार हैं।’ मालवीय ने कहा, ‘इसके तहत लक्ष्मण के घरवालों को 48 लाख रुपये का गैर-अंशदायी बीमा, 44 लाख रुपये की अनुग्रह राशि, अग्निवीर द्वारा योगदान की गई सेवा निधि 30 प्रतिशत, सरकार द्वारा समान योगदान के साथ और उस पर ब्याज की रकम भी मिलेगी।’

उन्होंने दावा किया कि अग्निवीर की मृत्यु की तारीख से चार साल पूरे होने तक परिजनों को उसके शेष सेवाकाल के लिए उसका वेतन मिलेगा, जो 13 लाख रुपये से ज्यादा होगा।एक रेगुलर जवान की मौत हो जाती, तो उनके परिवार को ‘इसी टास्क, इसी जोखिम और इसी सेवा में’ सभी लाभ मिलते। मेजर सिंह ने आगे कहा, ‘एक अस्थायी ट्रेनी सिविल कर्मचारी की मौत भले ही छुट्टी पर रहते नशे में दुर्घटना या आत्महत्या से हो, उसके घरवाले पारिवारिक पेंशन के हकदार होंगे लेकिन सियाचिन में हताहत इस अग्निवीर का परिवार नहीं।’ सशस्त्र बल युद्ध हताहत कोष से आठ लाख रुपये भी मिलेंगे। मालवीय ने तंज कसा, ‘फर्जी खबरें न फैलाएं। आप राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा रखते हैं, कोशिश करें और वैसा ही व्यवहार करें।’