आज हम आपको नीतीश कुमार के सियासी सफर के मायने बताने जा रहे हैं! मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नए साल में एक बार फिर बिहार यात्रा पर निकलने वाले हैं। बताया जाता है कि जनता दल यूनाइटेड ने इसे लेकर पूरी तैयारी कर ली है। जेडीयू के सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार 14 जनवरी के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ये बिहार यात्रा शुरू हो सकती है। इस बार यात्रा का उद्देश्य 2024 लोक सभा चुनाव को लेकर जनता के मूड को भांपना होगा। क्योंकि 2020 में बिहार की जनता ने एनडीए के पक्ष में मतदान किया था लेकिन ढाई साल बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी को सत्ता से हटाकर लालू प्रसाद यादव की आरजेडी के साथ मिलकर महागठबंधन की सरकार का गठन कर लिया। जाहिर है नीतीश कुमार अपनी यात्रा में ये भी जानने की कोशिश करेंगे कि महागठबंधन को लेकर बिहार की जनता की सोच क्या है। जनता दल यूनाइटेड के सूत्र ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बिहार यात्रा को लेकर तैयारी की जा रही है। लेकिन अभी तारीख तय नहीं की गई है। आपको बता दें कि इसके पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 16 बार बिहार की यात्रा कर चुके हैं और जनता के बीच जाकर उनका फीडबैक ले चुके हैं। मिली जानकारी के अनुसार अपनी 17 वीं यात्रा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोगों को यह बताने की कोशिश करेंगे कि उन्होंने बीजेपी का साथ क्यों छोड़ा। इसके अलावा वह जनता को यह भी बताएंगे कि वह गठबंधन सरकार में जनता के लिए किस प्रकार की योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है। नीतीश राज्य भर में घूमकर लोगों यह समझाने का प्रयास करेंगे कि, महागठबंधन सरकार की वर्तमान में कौन – कौन सी योजना संचालित हो रही है। इसके अलावा मुख्यमंत्री अपने महत्वाकांक्षी योजना शराबबंदी को लेकर भी जनता का मूड भांपने की कोशिश करेंगे। गौरतलब है कि आमतौर पर माना जाता है कि बिहार में शराबबंदी फेल है। इसके अलावा लाखों लोग शराबबंदी कानून की वजह से जेल में बंद है बावजूद इसके जहरीली शराब से बिहार में अब तक कहीं 100 लोगों की मौत हो चुकी है।
बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद नीतीश कुमार के बिहार यात्रा पर निकलने पर चुटकी लेते हुए कहा कि नीतीश कितनी भी यात्रा कर ले, उनकी साख वापस नहीं आ सकती। क्योंकि अब वह जनता की नजर से उतर चुके हैं। बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि 2024 में प्रधानमंत्री बनने का सपना सच में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भारत यात्रा पर निकलने वाले थे। उन्होंने यह भी कहा था कि 2025 का विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। लेकिन नीतीश कुमार न तो प्रधानमंत्री बन सकते हैं और न ही बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ सकते हैं। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि कमजोर हो चुके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता के बीच जाकर खुद को ताकतवर बनाने की कोशिश करने वाले हैं ताकि मुख्यमंत्री की कुर्सी बची रहे।
बिहार प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को 2024 की एकजुट करने की भरपूर कोशिश की लेकिन फेल हो गए। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि विपक्षी दलों के नेताओं से मिलकर नीतीश कुमार खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताने की कोशिश में लगे हुए थे। लेकिन किसी राजनीतिक दल के नेता ने नीतीश कुमार को तवज्जो नहीं दी। इसलिए, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राहुल गांधी को पिछलग्गू बनाने का सपना टूट गया है। तभी से वे न तो राहुल गाँधी को नहीं जानते हैं और न ही उनकी यात्रा के बारे में सुने है। निखिल आनंद ने कहा कि यह बात खुद नीतीश कुमार ने मीडिया से बातचीत के दौरान कही। जब पत्रकारों ने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि राहुल गांधी की यात्रा दिल्ली पहुंच गई है और उन्होंने कई बातें बोली हैं। पत्रकारों के सवाल के जवाब में नीतीश कुमार ने कहा कि हम इसके बारे में कुछ नहीं जानते न ही सुने हैं। यानि कि मतलब नहीं निकला तो पहचानते नहीं। यही नीतीश जी का काइयाँपन भरा वास्तविक चरित्र है। निखिल आनंद ने कहा कि नीतीश कुमार गजब के आदमी है। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि राहुल गांधी को इग्नोर करके PM का सपना देख रहे हैं। याद होगा कि लालू जी के साथ नीतीश कुमार ने काँग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास गए थे तो भाव नहीं मिला। इतना ही नहीं अन्य नेताओं की तरह सोनिया गांधी ने नीतीश कुमार के साथ फोटो तक नहीं खिंचाया था। लगता है उसी का बदला नीतीश जी ले रहे हैं।
इन दिनों देश में विपक्षी दलों के नेताओं के यात्रा का दौर चल रहा है। बीजेपी का कहना है कि अपने कर्मों से हाशिए पर पहुंच चुके विपक्ष के नेता अपने गिरते ग्राफ को उठाने की कोशिश में लगे हुए हैं। तो क्या 2024 लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों के ऊपर मंडरा रहा है अस्तित्व बचाने का खतरा ? 2024 लोकसभा चुनाव के लिए 2022 में ही क्यों निकालने पड़ रही है विपक्षी दलों के नेताओं को यात्रा ? सवाल उठता है कि देश में आखिर ऐसा क्या हो गया है कि विपक्ष के नेताओं को पद यात्रा करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। अगर विपक्ष के नेताओं की तैयारी 2024 लोकसभा चुनाव की है तो, 15 महीने पहले इस तरह की यात्रा का क्या मतलब है ? हालांकि बीजेपी भी 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुड़ चुकी है लेकिन मीडिया की नजरों में आने की बजाय वह चुपचाप अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में काम कर रही है।