आज हम आपको भारतीय सेना की नई प्रमोशन पॉलिसी के बारे में जानकारी देने वाले हैं! भारतीय सेना में अब प्रमोशन बोर्ड साल में दो बार भी बैठ सकता है। इसी महीने से लागू नई प्रमोशन पॉलिसी में इसका प्रावधान किया गया है। अब तक साल में एक बार ही प्रमोशन बोर्ड बैठता था यानी एक बार ही तय होता था कि किसका प्रमोशन होना है या नहीं। सेना के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक यह प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि सेना की अलग अलग आर्म और सर्विस में अगर कोई पीछे छूट गया है तो उसे भी बराबरी पर ला सकें। साथ ही प्रमोशन पॉलिसी में पहले के सारे कंफ्यूजन को हटाया गया है। अब तक कई अलग अलग पॉलिसी लेटर के आधार पर प्रमोशन के नियम माने जाते थे और इसमें इसलिए कंफ्यूजन रहता था क्योंकि कोई पहली पॉलिसी लेटर का उल्लेख करता था तो कोई दूसरी पॉलिसी लेटर का। अब जो पॉलिसी बनाई गई है वह भविष्य को ध्यान में रखकर बनाई है ताकि कम से कम 10 साल तक कोई बदलाव की जरूरत ना हो। इसमें संगठन के इंटरेस्ट को भी ध्यान में रखा है और सेना के सभी अधिकारियों की महत्वाकांक्षाओं का भी ख्याल रखा है। पहले पांच साल का डेटा देखकर अनुमान लगाते थे कि कर्नल के और ब्रिगेडियर के कितने पद खाली हो रहे हैं और उस हिसाब से ही प्रमोशन दिया जाता था। इसमें सिर्फ रिटायर होने वाले लोग ही नहीं होते बल्कि प्री मैच्योर रिटायरमेंट, डेपुटेशन पर जाने वाले लोग भी होते थे। इसमें त्रुटि का मार्जिन ज्यादा रहता था तो ओवर प्रमोशन हो जाते थे। इससे नई रैंक में पोस्ट पाने के लिए वेटिंग पीरियड ज्यादा हो जा रहा था और फिर हर प्रमोशन पर इसका असर दिख रहा था। अब तीन साल में कितने पद खाली होंगे इसका अनुमान एक साथ लगाया जाएगा जिससे त्रुटि की गुंजाइश कम होगी और फिर प्रमोशन पाने के बाद पोस्टिंग होने में वेटिंग पीरियड भी कम होगा।
इसके साथ ही नई प्रमोशन पॉलिसी में मेजर जनरल स्टाफ बनने वालों के लिए भी कैरियर में आगे का रास्ता खुल गया है। अब तक कोई अधिकारी मेजर जनरल स्टाफ बन जाते थे तो उनके कैरियर में फुल स्टाप लग जाता था और उन्हें फिर आगे प्रमोशन नहीं मिलता था। लेकिन अब मेजर जनरल स्टाफ का भी प्रमोशन हो सकेगा और वह लेफ्टिनेंट जनरल स्टाफ बन सकेंगे। यही नहीं इसी महीने से भारतीय सेना ने प्रमोशन की नई पॉलिसी लागू की है। इसमें ऐसे प्रावधान हैं, जिनसे आर्मी फिट बनेगी। पॉलिसी के तहत सीनियर रैंक टू स्टार, थ्री स्टार जनरल में शेप-1 यानी मेडिकली फिट अधिकारी को ही प्रमोशन दिया जाएगा। अब तक स्टाफ पोस्टिंग में प्रमोशन के लिए यह नियम नहीं था, लेकिन अब स्टाफ पोस्टिंग भी पूरी तरह फिट ऑफिसर को ही मिलेगी। साथ ही, आर्मी अलग-अलग कोर्स के वेटेज को लेकर भी बदलाव करने की योजना बना रही है। इस बारे में स्टडी चल रही है। प्रमोशन के लिए कोर्स का वेटेज इस तरह करने की प्लानिंग है कि अफसर कोर्स के पीछे नहीं, एक्सपर्टीज यानी अपनी फील्ड में महारत पर फोकस करें।
सेना में स्टडी चल रही है कि प्रमोशन के लिए अलग-अलग कोर्स के जो नंबर दिए जाते हैं, उन्हें इस तरह बदला जाए कि अधिकारी अपनी फील्ड में महारत हासिल करने पर फोकस करें और इससे जुड़े कोर्स को प्राथमिकता दें। इसे क्वांटिफाइड सिस्टम ऑफ सिलेक्शन कहते हैं। एक अधिकारी ने उदाहरण दिया, जैसे अभी MTech करने पर कम वेटेज है और स्टाफ कॉलेज का ज्यादा वेटेज है, लेकिन अब इस पर फोकस किया जा रहा है कि अधिकारी अपनी फील्ड की एक्सपर्टीज पर जोर दें और उनके प्रमोशन के चांस भी प्रभावित ना हों। करीब छह महीने पहले इस बारे में स्टडी शुरू हुई है जिसे पूरा होने में कम से कम एक साल लगेगा।
नई प्रमोशन पॉलिसी में फिट रहने पर जोर दिया गया है। अगर ऑफिसर पूरी तरह फिट हैं, तभी कर्नल और ब्रिगेडियर रैंक में उन्हें कमांड पोजिशन दी जाएगी। अगर वह शेप-1 यानी एकदम फिट नहीं हैं, तो उन्हें स्टाफ पोस्टिंग ही मिलेगी। अब तक शेप-1 न होने पर भी मेजर जनरल या लेफ्टिनेंट जनरल बन जाया करते थे, लेकिन उन्हें स्टाफ पोस्टिंग ही मिलती थी। नई पॉलिसी में प्रावधान है कि अगर ऑफिसर मेडिकली फिट नहीं हैं, तो उन्हें प्रमोशन ही नहीं मिलेगा यानी वह ब्रिगेडियर से ऊपर प्रमोट नहीं किए जाएंगे। पूर्वी लद्दाख में जब चीन के साथ अचानक तनाव बढ़ा, तब कई अधिकारियों को तुरंत पीस पोस्टिंग से वहां भेजा गया। क्योंकि वहां तुरंत तैनाती बढ़ाने की जरूरत थी। बाद में यह तय किया गया कि शेप-1 को ही कमांड पोस्टिंग और सीनियर रैंक में प्रमोशन मिलेगा।