Sunday, December 22, 2024
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आखिर क्या है दिल्ली की ग्रेटर कैलाश की कोठी नंबर W-3 का राज?

आज हम आपको दिल्ली की ग्रेटर कैलाश की कोठी नंबर W-3 का राज बताने वाले हैं! कुछ जगह हॉन्टेड बन जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है कि ये जगह शुरू से ही हॉन्टेड रही हों। इन जगहों से जुड़ा होता है एक ऐसा खौफनाक इतिहास जिसकी वजह से ये लोगों की नजर में भूतिया बन जाती है। टीम एनबीटी ऐसी ही जगहों बारे में आपको बता रही है जहां हुए जुर्म और फिर धीरे-धीरे उन जगहों को लोगों ने हॉन्टेड कहना शुरू कर दिया। दिल्ली की पॉश कॉलोनी ग्रेटर कैलाश जहां बड़ी कोठियां हैं, जिसे दिल्ली की बड़ी कॉलोनियों में से एक माना जाता है। इसी कॉलोनी में एक मकान भूतिया कहलाता है। ग्रेटर कैलाश की कोठी नंबर W-3 जहां लोग दिन दोपहर आने जाने से डरते हैं। उन्होंने इस कोठी को खरीदा तो यहां पर तीन दिन तक हवन करवाया गया। पूजा पाठ हुई, तब जाकर वो इस घर में आए। हालांकि आज भी ये घर बंद ही रहता है। बता दें कि धीरे-धीरे उन जगहों को लोगों ने हॉन्टेड कहना शुरू कर दिया। दिल्ली की पॉश कॉलोनी ग्रेटर कैलाश जहां बड़ी कोठियां हैं, जिसे दिल्ली की बड़ी कॉलोनियों में से एक माना जाता है। इसी कॉलोनी में एक मकान भूतिया कहलाता है।इस घर से कई सालों तक खौफ का नाम जुड़ा रहा। लोग कहते थे इस घर से चीखने चिल्लाने, हंसने मुस्कुराने बोलने की आवाजें आती हैं। ये घर सालों से बंद रहा, लेकिन आस पड़ोस के लोगों को यहां अक्सर डरावनी आवाजें सुनाई देती।

ग्रेटर कैलाश वन में बनी ये कोठी 27 साल बंद रही। ऐसा नहीं था कि ये सुनसान इलाके में है, लेकिन बावजूद इसके इस मकान में रहने कोई नहीं आया। न किराए पर दिया गया और न ही इस कोठी को किसी ने खरीदा। टीम एनबीटी ने जानने कोशिश की कि आखिर क्यों इतने सालों तक ये कोठी बंद रही। आखिर क्यों लोग इसे भूतिया मानने लगे। यहां जाकर आसपास के लोगों से बात करके पता चला कि इस कोठी में एक बुजुर्ग कपल यादू कृष्णन कौल और मधू कौल रहते थे। खबरों के मुताबिक साल 1986 में यादू कृष्णन कौल और मधु कौल की हत्या हो गई। उनके ही घर में उनके योगा टीचर ने उनका कत्ल कर दिया। कहा जाता है कि गला रेतने के बाद उनके शरीर को वहीं अंडरग्राउंड टैंक में छुपा दिया गया। इन दोनों का और कोई नहीं था इसलिए किसी को हत्या का पता भी नहीं चल पाया, लेकिन जब लाश सड़ने लगी बदबू से आस पड़ोस के लोगों को खबर लगी। हालांकि पुलिस ने इस मामले में दूसरी थ्योरी दी थी। पुलिस ने इस घटना को लूटपाट की घटना अंजाम दिया था।

मामला चाहे जो भी रहा हो दोनों की मौत के बाद ये घर वीरान हो गया। घर में कोई नहीं रहता था, ताला लग चुका था। बस इसके बाद धीरे-धीरे ये कोठी भूतिया के नाम से मशहूर होने लगी। इसे अफवाह कहें या लोगों का भ्रम लोगों ने ये बोलना शुरू कर दिया कि यहां बुजुर्ग दंपत्ति की आत्मा भटकती है। ये बात दूर-दूर तक फैलने लगी। उनके ही घर में उनके योगा टीचर ने उनका कत्ल कर दिया। कहा जाता है कि गला रेतने के बाद उनके शरीर को वहीं अंडरग्राउंड टैंक में छुपा दिया गया। इन दोनों का और कोई नहीं था इसलिए किसी को हत्या का पता भी नहीं चल पाया, लेकिन जब लाश सड़ने लगी बदबू से आस पड़ोस के लोगों को खबर लगी। हालांकि पुलिस ने इस मामले में दूसरी थ्योरी दी थी। पुलिस ने इस घटना को लूटपाट की घटना अंजाम दिया था।कई सालों तक W-3 की चर्चा दिल्ली में रही, लेकिन फिर कुछ सालों पहले दिल्ली के ही गुप्ता परिवार ने इसे खरीद लिया।

कहते हैं जब उन्होंने इस कोठी को खरीदा तो यहां पर तीन दिन तक हवन करवाया गया। पूजा पाठ हुई, तब जाकर वो इस घर में आए। हालांकि आज भी ये घर बंद ही रहता है। बता दें कि धीरे-धीरे उन जगहों को लोगों ने हॉन्टेड कहना शुरू कर दिया। दिल्ली की पॉश कॉलोनी ग्रेटर कैलाश जहां बड़ी कोठियां हैं, जिसे दिल्ली की बड़ी कॉलोनियों में से एक माना जाता है। इसी कॉलोनी में एक मकान भूतिया कहलाता है। ग्रेटर कैलाश की कोठी नंबर W-3 जहां लोग दिन दोपहर आने जाने से डरते हैं। इस घर से कई सालों तक खौफ का नाम जुड़ा रहा। लोग कहते थे इस घर से चीखने चिल्लाने, हंसने मुस्कुराने बोलने की आवाजें आती हैं। गुप्ता परिवार कभी-कभी छुट्टियां मनाने इस घर में आता है, लेकिन जब से उन्होंने इस घर को खरीदा है तब से लोगों ने इसे भूतिया कहना कम जरूर कर दिया है।

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