Monday, December 23, 2024
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आखिर क्या है पीएम मोदी की असली ताकत का राज?

आज हम आपको पीएम मोदी की असली ताकत का राज बताने जा रहे हैं! लोकसभा चुनाव की घोषणा होने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावा कर चुके हैं कि इस बार उनके दल बीजेपी को कम-से-कम 370 सीटें मिलने वाली है। पीएम ही नहीं, उनके मंत्रियों और पार्टी का दावा है कि पिछले 10 वर्षों में केंद्र सरकार ने देश का बहुआयामी विकास किया है। आर्थिक प्रगति से लेकर वैज्ञानिक उपलब्धियों तक और कल्याणकारी योजनाओं से लेकर गरीबी उन्मूलन तक, भारत ने मोदी सरकार में प्रगति की कई सीढ़ियां फटाफट चढ़ी हैं। विभिन्न सर्वेक्षणों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता आज भी कायम है। यहां तक वैश्विक स्तर पर भी पीएम मोदी ही लीडरों की लिस्ट में टॉप पर रहते हैं। देश में मोदी सरकार को एक बड़े वर्ग का समर्थन हासिल है क्योंकि सरकार के कई मंत्री अच्छा काम कर रहे हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आई 100 लिस्ट में शीर्ष पर हैं। 73 वर्षीय पीएम मोदी के सबसे शक्तिशाली भारतीय होने के पीछे कारण यह बताया गया है कि वे लगातार लोकप्रिय बने हुए हैं। आईई ने पीएम की टॉप रैंकिंग का कारण बताते हुए लिखा है कि उनकी सरकार के दो कार्यकालों में जनकल्याण के काम बढ़े हैं, विकास को गति मिली है, महंगाई नियंत्रित है और दुनिया में भारत के लिए एक विशेष स्थान सुरक्षित हुआ है। इसमें कहा गया है कि यह सब एक दुर्जेय पार्टी मशीनरी के कारण संभव हो रहा है जिसने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और राम मंदिर के अभिषेक सहित वैचारिक वादों को पूरा करने में मोदी सरकार की जबर्दस्त मदद की है। आई कहता है कि मोदी सरकार की आलोचना के केंद्र में अक्सर सत्ता का केंद्रीकरण, जांच एजेंसियों का उपयोग, संस्थानों को कमजोर करना, असहमति की गुंजाइश और अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व घटने जैसे मुद्दे होते हैं। पीएम मोदी की विशेष खासियतों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि जी20 शिखर सम्मेलन में नई दिल्ली ने वैश्विक उच्च पटल पर आम सहमति हासिल की तो पीएम ने अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन करते हुए बहुत कड़क संदेश भेजा है कि उनके लिए धर्म के साथ राज्य का जुड़ाव सीमा का उल्लंघन नहीं है बल्कि राजनीति में एक नई लकीर खींचने जैसा है।

आगामी आम चुनाव में एनडीए के 400 सीटों के लक्ष्य का बोझ लगभग पूरी तरह से मोदी अपने कंधों पर उठाए हुए हैं। यदि वो लौटते हैं तो भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के अपने वादे के प्रति शासन और राजनीति में कौन से नए अध्याय लिखेंगे? वह परिसीमन, केंद्र-राज्य संबंधों और सामाजिक सद्भाव पर उनके कदम कैसे आगे बढ़ेंगे, यह उनकी विरासत को आकार देगा। अमित शाह और नरेंद्र मोदी का साथ दशकों से बना हुआ है। गुजरात में दोनों की जोड़ी बनी और आज दिल्ली तक काफी मजबूती से आगे बढ़ रही है। कहा जाता है कि अमित शाह बीजेपी के चाणक्य हैं। उन्हें चुनावी चाणक्य भी माना जाता है। उन्होंने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की भूमिका निभाते हुए पार्टी को सफलता के नए-नए स्वाद चखाए। आज वो बीजेपी अध्यक्ष नहीं हैं, फिर भी पार्टी की रणनीति को आकार देने में आगे रहते हैं। देश के गृह मंत्री के तौर पर अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से संविधान की धारा 370 को निरस्त करने का ऐतिहासिक कदम उठाया। इसके अलावा, उन्होंने अंग्रेजी कानूनों को खत्म करने के अभियान को पंख लगा दिया जब न्याय संहिता ही बदल दी। आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य कानून को पूरी तरह रिप्लेस कर देने वाले तीन नए कानून 1 जुलाई से लागू हो जाएंगे।

मोदी सरकार के विदेश मंत्री की छवि उस चतुर और हौसलामंद इंसान की है जिसने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की जबर्दस्त वकालत करता है और किसी भी दबाव को सिरे से खारिज कर देता है। अपने इन गुणों के कारण जयशंकर, मोदी सरकार के सबसे मुखर मंत्री माने जाते हैं। वैश्विक मंच पर उनके बयान अक्सर वायरल हो जाते हैं। वो अमीर और ताकतवर देशों को अपने अकाट्य तर्कों से आईना दिखाते हैं और भारत के हितों की खुलकर पैरवी करते हैं। मोदी सरकार में भारत का मान दुनियाभर में बढ़ने के पीछे विदेश मंत्री एस जयशंकर का बड़ा योगदान है। उन्होंने भारत की अंतरराष्ट्रीय शक्ति को निखार रहे हैं और लगातार वाहवाही बटोर रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध हो या इजरायल-हमास के बीच छिड़ा संघर्ष, जयशंकर के कूटनीतिक कदमों ने दुनिया को चौंकाया है। खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के प्रयासों को लेकर अमेरिका ने आरोप लगाया तो जयशंकर तुरंत ऐक्टिव हो गए और इसका असर हुआ कि अमेरिका के तेवर नरम पड़ गए। इसी तरह, कनाडा ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाया तो उसकी कैसी भद्द पिटी, यह दुनिया ने देखा।

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में गृह मंत्री का जिम्मा संभालने वाले राजनाथ सिंह अभी देश के रक्षा मंत्री हैं। वो बेहद मिलनसार लेकिन कड़क मिजाज राजनेता हैं। रक्षा मंत्री के रूप में उनकी यह शख्सियत निखरकर सामने आई है। उन्हें गृह मंत्री और रक्षा मंत्री, दोनों का अनुभव है इस कारण आंतरिक और बाह्य सुरक्षा पर उनका नजरिया काफी स्पष्ट और प्रभावी है। उन्होंने सैन्य आधुनिकीकरण की मजबूत नींव रखी और साजो-सामान से लेकर विभिन्न देशों के साथ रक्षा समझौतों तक को आकार देने में गंभीर भूमिका निभाई है। राजनीति, समाज से लेकर विभिन्न वर्गों में अपनी पहुंच और पकड़ के कारण राजनाथ सिंह सरकार के लिए कई मौकों पर काफी उपयोगी साबित हुए हैं। इसका एक उदाहरण किसान आंदोलन भी है जिसका समाधान निकालने के लिए मोदी सरकार उनका उपयोग पिछले दरवाजे से बातचीत के लिए कर रही है। यह राजनाथ सिंह ही थे जिन्होंने राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत हुई तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को सीएम पद का मोह छोड़ने को मनाया था।

एस. जयशंकर और अश्विनी वैष्णव की तरह ही हरदीप सिंह पुरी भी पीएम मोदी की खोज हैं। उन्होंने इन्हें सरकार में अपनी क्षमता साबित करने का मौका दिया। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री के रूप में हरदीप पुरी ने यूक्रेन युद्ध के बीच रूस से भारत के तेल आयात का काफी आत्मविश्वास के साथ बचाव किया। पुरी के पास आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय भी है जो मोदी सरकार की फ्लैगशिप स्कीम ‘पीएम आवास योजना’ के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। पुरी के मंत्रालय ने ही संसद भवन का निर्माण भी करवाया। इसके साथ ही ‘भारत मंडपम कन्वेंशन सेंटर’ के निर्माण से भी पुरी की छवि मजबूत हुई है। पीएम मोदी ने इस कन्वेंशन सेंटर की जमकर तारीफ की है। इसी में भारत ने जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी।

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