आज हम आपको भारत के दिव्यास्त्र अग्नि 5 की खूबी बताने वाले हैं! भारत ने सोमवार को ‘दिव्यास्त्र’ हासिल कर लिया। बंगाल की खाड़ी के ऊपर पहली बार कई हथियारों को ले जाने वाली अपनी सबसे दुर्जेय अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण सफल रहा। यह खासकर चीन के खिलाफ भारत के विश्वसनीय रणनीतिक निवारण क्रेडिबल स्ट्रैटिजिक डेटरेंस के लिहाज से बहुत बड़ी उपलब्धि है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर 5,000 किमी से अधिक की मारक क्षमता वाली अग्नि-5 मिसाइल का फ्लाइट टेस्ट की घोषणा की। अग्नि 5 में ‘मिशन दिव्यास्त्र’ के तहत MIRV (मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री वीइकल) तकनीक है। पीएम ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, ‘हमारे DRDO वैज्ञानिकों के मिशन दिव्यास्त्र पर गर्व है। दिव्यास्त्र स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि-5 मिसाइल का पहला फ्लाइट टेस्ट मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री वीइकल टेक्नॉलजी से लैस है।’ MIRV पेलोड का मतलब है, कई परमाणु हथियार ले जाने वाली एक मिसाइल जो प्रत्येक हथियार को अलग-अलग गति से अलग-अलग ट्राजेक्ट्री के साथ सैकड़ों किलोमीटर दूर अलग-अलग लक्ष्यों को भेदने के लिए प्रोग्राम किया गया है। तीनों सेनाओं की स्ट्रैटिजिक फोर्सेज कमांड में अब तक शामिल अग्नि सीरीज की सभी मिसाइलें एक ही हथियार ले जा सकती हैं। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन कई वर्षों से एमआईआरवी और ‘युद्धाभ्यास वाले हथियार या बुद्धिमान पुन: प्रवेश वाहन इंटेलिजेंट री-एंट्री वीइकल्स के लिए काम कर रहा है ताकि दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणालियों को ध्वस्त किया जा सके। ऐसे में अगर किसी दुश्मन देश ने पहले मिसाइल हमला कर दिया तो जवाब में प्रभावी हमला किया जा सकेगा।
एमआईआरवी मिसाइलों में दुश्मन के डिफेंस सिस्टम्स को चकमा देने के लिए असली हथियार के साथ-साथ फर्जी हथियार भी हो सकते हैं। सोमवार को ओडिशा तट पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप पर कई री-एंट्री वीइकल्स के साथ अग्नि-5 मिसाइल का तीन चरणों वाला फ्लाइट टेस्ट की विभिन्न टेलीमेट्री और रडार स्टेशनों द्वारा ट्रैक और निगरानी की गई थी। इस मौके पर डीआरडीओ ने कहा, ‘मिशन तय मापदंडों पर खरा उतरा है।’ टेस्ट फ्लाइट में मिसाइल में कितने हथियार फिट किए गए थे, इस पर कोई आधिकारी जानकारी नहीं दी गई है। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि अग्नि-5 का परीक्षण तीन हथियारों के साथ किया गया था, जिसकी मारक क्षमता लगभग 3,500-किमी तक ही सीमित थी क्योंकि यह पहली एमआईआरवी उड़ान थी। एक सूत्र ने बताया, ‘यह सिस्टम स्वदेशी एवियोनिक्स सिस्टम और उच्च सटीकता वाले सेंसर पैकेज से लैस है, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि री-एंट्री वीइकल्स टार्गेट पॉइंट्स तक बिल्कुल सटीक तौर पर पहुंचे। यह क्षमता भारत की बढ़ती तकनीकी प्रगति की ही एक झलक है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मिशन दिव्यास्त्र के साथ भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास एमआईआरवी क्षमता है। प्रॉजेक्ट डायरेक्टर एक महिला हैं और महिलाओं का इसमें महत्वपूर्ण योगदान है।’
अभी सिर्फ अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के पास पनडुब्बी से प्रक्षेपित होने वाली एमआईआरवी मिसाइलें हैं तो चीन के पास जमीन से उड़ान भरने वाली। वहीं, रूस के पास जमीन और समुद्र, दोनों से लॉन्च होने में सक्षम एमआईआरवी मिसाइलें हैं। उधर, पाकिस्तान भी एमआईआरवी मिसाइल विकसित कर रहा है।सोमवार को हुए फ्लाइट टेस्ट ने साबित कर दिया है कि एमआईआरवी मिसाइलों में शामिल ‘कॉम्प्लेक्स कोर टेक्नॉलजी’ के मामले में भारत पीछे नहीं है। हालांकि, स्ट्रैटिजिक फोर्सेज कमांड को इन मिशाइलों को अपने बेड़े में शामिल करने में समय लगेगा। बेशक चीन ने लंबी दूरी की मिसाइलों का एक दुर्जेय शस्त्रागार बनाया है, जिसमें इसकी डोंग फेंग-41 (DF-41) अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल की मारक क्षमता 12,000 किमी से अधिक है।इसके अलावा, चीन के पास अब 500 से अधिक परमाणु हथियार हमले को तैयार हैं और 2030 तक ऐसे हथियारों की संख्या 1,000 से अधिक हो सकती है। सैटेलाइट इमेजरी से पता चलता है कि चीन 300 से अधिक नए मिसाइल साइलो का भी निर्माण कर रहा है। अनुमानों के अनुसार, भारत के पास 164 और पाकिस्तान के पास 170 हथियार हैं।एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा, ‘परमाणु हथियार युद्ध लड़ने के लिए नहीं हैं। लेकिन किसी ने पहले हमला कर दिया तो भारत जवाबी कार्रवाई में दुश्मन के दांत खट्टे करने को तैयार होगा।’ उन्होंने कहा, ‘MIRV मिसाइलें एक अच्छा विकल्प हैं क्योंकि हमारे पास सीमित संख्या में मिसाइलें हैं। हमें समुद्र से प्रक्षेपित होने वाले परमाणु हथियारों की क्षमता हासिल करने के लिहाज से एक लंबा रास्ता तय करना होगा। इसके लिए परमाणु-संचालित पनडुब्बियां और परमाणु हथियार ले जाने वाली मिसाइलों का निर्माण करना होगा।’