आखिर क्या है कोयला घोटाला केस और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे की कहानी?

0
120

आज हम आपको बताएंगे कि आखिर कोयला घोटाला केस और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे की कहानी क्या है! दिल्ली हाईकोर्ट ने कोयला घोटाला मामले में दोषी करार पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे की सजा पर रोक लगा दी है। उन्हें तीन साल की सजा हुई थी। दिलीप रे हाईकोर्ट में अपील के दौरान कहा कि वो चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसी को लेकर उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सजा पर रोक की अपील की थी। इस मामले में कोर्ट ने अहम फैसला देते हुए दिलीप रे की सजा पर रोक लगा दी। अब दिलीप रे आगामी चुनाव लड़ सकेंगे। इस मामले में कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस भी जारी किया। कोर्ट ने सीबीआई से दिलीप रे के आवेदन पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। दिलीप रे, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कोयला राज्य मंत्री थे। अभी वो 71 वर्ष के हैं। दिलीप रे का जन्म 9 जनवरी 1954 को ओडिशा राज्य में हुआ था। वो एक भारतीय राजनीतिज्ञ और होटल व्यवसायी हैं। वो केंद्रीय इस्पात, कोयला और संसदीय मामलों के मंत्री रहे थे। रे तीन प्रधानमंत्रियों की सरकार का हिस्सा बनने वाले एकमात्र उड़िया सांसद थे। उनके पिता का नाम हृषिकेश रे और मां का नाम कल्याणी रे था। उन्होंने 1969 में राज कुमार कॉलेज, रायपुर से अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। 1974 में सेंट जोसेफ कॉलेज, दार्जिलिंग से ग्रेजुएशन किया। जिसका नेतृत्व बीजू पटनायक ने किया था। रे को 1996 में संसद के ऊपरी सदन यानी राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया था और वह लगातार दो कार्यकाल 1996-2002; 2002-2008 तक सदन के सदस्य बने रहे। एक सांसद के रूप में, उन्होंने कई मंत्रालय संभाले और विभिन्न संसदीय समितियों के सदस्य थे।फिर जेसीसी कॉलेज ऑफ लॉ, कोलकाता में उन्होंने दाखिला लिया, 1976 में अपनी कानून की डिग्री पूरी की। इसके बाद एमबीए किया।

दिलीप रे ने अपनी राजनीतिक पारी 1985 में शुरू की। राउरकेला निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार विधायक चुने गए। वो 1985 से 90 तक विधायक रहे। इसके बाद साल 1990 में फिर से विधायक चुने गए। उन्होंने जनता दल सरकार 1990-95 में उद्योग मंत्री के रूप में कार्य किया, जिसका नेतृत्व बीजू पटनायक ने किया था। रे को 1996 में संसद के ऊपरी सदन यानी राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया था और वह लगातार दो कार्यकाल 1996-2002; 2002-2008 तक सदन के सदस्य बने रहे। एक सांसद के रूप में, उन्होंने कई मंत्रालय संभाले और विभिन्न संसदीय समितियों के सदस्य थे।

अक्टूबर 2020 में उन्हें दिल्ली की विशेष सीबीआई कोर्ट ने कोयला घोटाला मामले में दोषी ठहराया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे अलावा कोयला मंत्रालय के दो पूर्व अधिकारियों प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्या नंद गौतम को भी दोषी ठहराया गया था। रायपुर से अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। 1974 में सेंट जोसेफ कॉलेज, दार्जिलिंग से ग्रेजुएशन किया। फिर जेसीसी कॉलेज ऑफ लॉ, कोलकाता में उन्होंने दाखिला लिया, 1976 में अपनी कानून की डिग्री पूरी की। इसके बाद एमबीए किया।इनके खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया गया था। उस समय पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे को तीन साल की सजा हुई थी। दिल्ली की विशेष सीबीआई अदालत ने 1999 में झारखंड के ब्रह्मडीहा कोयला ब्लॉक को बोकारो स्थित एक कंपनी को अवैध आवंटन में उनकी भूमिका के लिए दोषी पाया था। इसी को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे को तीन साल जेल की सजा सुनाई और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। कोल ब्लॉक आवंटन से जुड़ा ये केस साल 1999 में सामने आया था। मामला झारखंड के गिरिडीह स्थित ब्रह्मडीहा कोयला ब्लॉक को सीटीएल को आवंटित करने से संबंधित है। बताया जा रहा कि कोयला मंत्रालय की 14वीं स्क्रीनिंग कमेटी ने कैस्ट्रन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के पक्ष में गिरिडीह का 105.153 हेक्टेयर गैर-राष्ट्रीयकृत कोयला खनन क्षेत्र आवंटित किया था।

सीबीआई ने चार्जशीट में कहा था कि दिलीप रे, प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्यानंद गौतम ने कोयला ब्लॉक के आवंटन की खरीद को लेकर साजिश रची थी। नियमों को ताक पर रखकर सीटीएल को कोयला ब्लॉक तो मिला था लेकिन खनन की अनुमति नहीं मिलने के बावजूद खनन किया गया। इस मामले में 26 अक्टूबर, 2020 को ट्रायल कोर्ट ने दिलीप रे को तीन साल जेल की सजा सुनाते हुए उन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। इसके बाद मामला हाईकोर्ट में पहुंचा। हाईकोर्ट ने 27 अक्टूबर, 2020 को दिलीप रे की दोषसिद्धि और सजा को चुनौती देने वाली अपील पर सीबीआई को नोटिस जारी किया। इसके साथ ही उनकी तीन साल की जेल की सजा को निलंबित कर दिया गया।