आखिर क्या है जयप्रकाश नारायण और इंदिरा गांधी का अद्भुत किस्सा?

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आज हम आपको जयप्रकाश नारायण और इंदिरा गांधी का अद्भुत किस्सा बताने जा रहे हैं! पिछले कुछ सालों में राजनीति की सूरत हर तरह से बदली है। नेताओं के बयान बहुत हल्‍के हो गए हैं। राजनीतिक शालीनता और गरिमा गुम हो चुकी है। आक्रामकता गाली-गलौच तक उतर आई है। एक-दूसरे पर हमला करते हुए नेता हर हद तोड़ रहे हैं। खुलकर चोर, लुटेरा और डकैत बना दिया जाता है। हर कोई पूछ रहा है कि देश किस राजनीति की तरफ बढ़ गया है। एक वह भी दौर था। इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में जीत के बाद जयप्रकाश नारायण ने दिल्‍ली में सबसे पहले इंदिरा गांधी से मिलने का प्‍लान बनाया। लोग दंग थे। किसी ने सवाल किया कि आप यह क्‍या कर रहे हैं। इस इंदिरा ने ही आपको 18 महीने जेल में रखा था। क्‍या आप भूल गए। तब जेपी ने बहुत प्‍यारा जवाब दिया था। यह जवाब विरोधियों के भी दिल जीत लेने वाला था। उन्‍होंने कहा था कि वह अपने बड़े भाई जवाहर की बेटी इंदू से मिलने जा रहे हैं। इस मुलाकात के दौरान इंदिरा और जेपी दोनों की आंखें डबडबा गई थीं। जय प्रकाश नारायण को लोकनायक कहा जाता है। उनकी शख्स‍ियत बहुत बड़ी थी। जेपी इंदिरा को बेटी की तरह मानते थे। जेपी की पत्‍नी प्रभावती और इंद‍िरा की मां कमला नेहरू आपस में बहुत अच्‍छी दोस्‍त थीं। उस नाते प्रभावती इंदिरा को अपनी बेटी से कम नहीं समझती थीं। 1973 में कैंसर से प्रभावती की मौत हो गई थी। इसके बाद जेपी एक साल तक राजनीति से दूर हो गए थे। फिर उन्‍होंने ऐसा आंदोलन खड़ा किया जो इतिहास में दर्ज हो गया।

जेपी इंदिरा गांधी की नीतियों के खिलाफ हो गए थे। 1974 में पटना में छात्रों ने आंदोलन की शुरुआत की थी। जेपी ने इसका नेतृत्‍व इस शर्त के साथ स्‍वीकार किया कि यह शांतिपूर्ण तरीके से होगा। यह आंदोलन बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी मुहिम बनकर उभरा। फिर यह संपूर्ण क्रांति आंदोलन बन गया। जेपी आंदोलन से ही कई राजनीतिक धुरंधर निकले। इनमें मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार सरीखे नेता शामिल हैं।

संपूर्ण क्रांति के बाद देश में सरकार विरोधी माहौल बना। इंदिरा गांधी का सत्ता में रहना मुश्किल होने लगा। 1975 में इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगा दी। जेपी ने इसका नेतृत्‍व इस शर्त के साथ स्‍वीकार किया कि यह शांतिपूर्ण तरीके से होगा। यह आंदोलन बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी मुहिम बनकर उभरा। फिर यह संपूर्ण क्रांति आंदोलन बन गया। जेपी आंदोलन से ही कई राजनीतिक धुरंधर निकले। इनमें मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार सरीखे नेता शामिल हैं।जेपी को गिरफ्तार कर लिया गया। वह करीब 18 महीने जेल में रहे। इमरजेंसी खत्‍म होने के बाद जब चुनाव हुए तो जेपी ने उत्‍तर भारत में कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया। इंदिरा चुनाव हार गई थीं।

इस चुनावी जीत के बाद जब जेपी दिल्‍ली आए तो सबसे पहले इंदिरा गांधी से मिलने का प्‍लान फिक्‍स किया। लोगों को यह काफी अजीब लगा। तब किसी ने उनसे पूछा कि आप क्‍या कर रहे हैं। वो इंदिरा ही थीं जिन्‍होंने आपको 18 महीने जेल में रखा था। इस पर जेपी का जवाब था, ‘मैं अपने बड़े भाई जवाहर की बेटी इंदू से मिलने जा रहा हूं।’ जीत का जश्‍न मनाने के बजाय जेपी पहली बार हार का स्‍वाद चखने वाली इंदिरा गांधी से मिलने सफदरजंग रोड की एक नंबर कोठी में पहुंचे थे।जेपी ने इसका नेतृत्‍व इस शर्त के साथ स्‍वीकार किया कि यह शांतिपूर्ण तरीके से होगा। यह आंदोलन बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी मुहिम बनकर उभरा। फिर यह संपूर्ण क्रांति आंदोलन बन गया। जेपी आंदोलन से ही कई राजनीतिक धुरंधर निकले। इनमें मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार सरीखे नेता शामिल हैं। जेपी से मिलने पर इंदिरा के आंसू आ गए थे। उससे भी बड़ी बात यह थी कि अपनी बेटी समान इंदिरा से जीते जेपी भी डबाडब आंसुओं से भरे थे।

राजनीति में आज कटुता इतनी बढ़ गई है कि विरोधी दल के नेता एक-दूसरे को दुश्‍मन की तरह देखने लगे हैं।जेपी ने इसका नेतृत्‍व इस शर्त के साथ स्‍वीकार किया कि यह शांतिपूर्ण तरीके से होगा। यह आंदोलन बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी मुहिम बनकर उभरा। फिर यह संपूर्ण क्रांति आंदोलन बन गया। जेपी आंदोलन से ही कई राजनीतिक धुरंधर निकले। इनमें मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार सरीखे नेता शामिल हैं। देश के लिए यह पैर खींचू और वैमन्‍यता से भरी राजनीति सही नहीं है। इससे माहौल जहरीला होता जाएगा।