वर्तमान में RJD ने अपनी ही अलग राजनीति करना शुरू कर दिया है! राजनीतिक पार्टियां हर दिन जनता से वादा करती है। सड़क से लेकर सदन तक विरोध-प्रदर्शन करती है। कहती है कि हम तो विरोध में हैं। विरोध करते रहेंगे, लेकिन जैसे ही कुर्सी मिलती है। सारे वायदे-कायदे भूल जाते हैं। मौन धारण कर कहते हैं कि हम तो वो गलियां बहुत पहले ही छोड़ चुके हैं। हम तो सरकार के साथ हैं और सरकार की हर नीति का समर्थन करते हैं। कुछ यही हाल आरजेडी और तेजस्वी यादव का है। कल तक गला फाड़ कर कहते थे बिहार में शराबबंदी असफल है। नीतीश कुमार को शराबबंदी कानून को वापस ले लेना चाहिए। आज कह रहे हैं कि जो पियेगा वह मरेगा ही। एक तरह से कहा जाए तो तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार की हां में हां मिलाते हुए उनके बयान का समर्थन किया और सरकार को क्लीन चिट देने का काम किया है। तेजस्वी यादव जब सत्ता में नहीं थे, तब कहते थे कि बिहार में जहरीली शराब से मौत इसलिए हो रही है क्योंकि मुख्यमंत्री, सरकार और प्रशासन भ्रष्ट है। सरकार पूरी तरह विफल है। दरअसल, बिहार की राजनीति में पलटी मार सियासत के लिए नीतीश कुमार बदनाम हैं। नीतीश कुमार कब पलटी मार जाएं, कोई नहीं जानता। शायद यही कारण था कि आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने नीतीश कुमार को ‘पलटू राम’ नाम से बुलाते थे। समय के साथ-साथ बिहार की सियासत में ये नाम प्रचलित हो गया। हालांकि छपरा शराबकांड के बाद एक बार फिर इस नाम की चर्चा होने लगी है। बिहार की जनता जानना चाहती है कि बिहार में असली पलटू राम कौन है? हालांकि कोई ये तय नहीं कर पा रहा है कि किसको कहा जाए।
दरअसल, 14 दिसंबर को बिहार के सारण जिले से खबर आई कि जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत हो गई है। सारण से खबर पटना-दिल्ली पहुंची। राजनीति तेज हो गई। बिहार विधानसभा में मुद्दा उठा। सदन में विपक्षी बीजेपी हो-हंगामा करने लगी। हंगामा देख सदन में सीएम नीतीश कुमार ने आपा खो दिया। सदन में ही चिल्लाने लगे। कहने लगे क्या हुआ… क्या हुआ। पूरे दिन नीतीश कुमार के ऊपर ही बिहार की सियासत होती रही। अगले दिन यानी 15 दिसंबर को नीतीश कुमार सामने आए। पत्रकारों ने जब उनके छपरा कांड को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि जो पियेगा वह मरेगा ही। खैर नीतीश कुमार हर शराबकांड के बाद यही कहते हैं। चौंकाने वाला बयान तो तेजस्वी यादव ने दिया। उनका बयान सुनकर ऐसा लगा कि शायद उनकी यदाश्त कमजोर हो गई है। या तेजस्वी यादव सत्ता में बने रहने के लिए नीतीश कुमार के सामने इस कदर नतमस्तक हो गए हैं कि सारी पुरानी बातें भूल गए हैं।
छपरा कांड को लेकर पत्रकारों ने तेजस्वी यादव से सवाल किया तो उन्होंने नीतीश कुमार की हां में हां मिलाते हुए कहा कि जो पियेगा वह मरेगा ही। तेजस्वी यादव ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए दावा किया कि जहरीली शराब पीने से मौत के मामलों में बीजेपी शासित राज्यों का रिकॉर्ड सबसे खराब है। आरजेडी नेता ने कहा कि जहरीली शराब से मौत के मामले में मध्य प्रदेश और कर्नाटक शीर्ष पर है, जबकि शराबबंदी वाले राज्य गुजरात के हालात बिहार से बदतर हैं।
तेजस्वी यादव का बयान सुनकर बिहार की जनता आज की तारीख में एक ही गाना गा रही होगी ‘भूल गए रे हर बात मगर…’। खैर तेजस्वी यादव भूल गए होंगे। लेकिन उनका सोशल मीडिया अकाउंट आज भी गवाही दे रहा है, नीतीश कुमार के लिए जो प्यार है, यूं ही नहीं है। सत्ता चीज है ऐसी है। अच्छे-अच्छे लोग भूल जाते हैं। हालांकि हम उनके कुछ पुरनाे बयान को ही याद दिलाएंगे, जो उन्होंने बिहार में पहले हुए जहरीली शराबकांडों के बाद दिया था.. जिस वक्त तेजस्वी यादव इस तरह के बयान दे रहे थे, उस वक्त वे विपक्ष में थे और विरोधी दल के नेता था। आज सत्ता में हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के डिप्टी हैं। शायद यही कारण है कि अब शराब पीने वाले को ही मौत के लिए जिम्मेवार बता रहे हैं और बिहार सरकार को क्लीन चिट दे रहे हैं। नीतीश कुमार को बेदाग बता रहे हैं। शायद सत्ता में बने रहने के लिए तेजस्वी यादव ने अपने पुराने बयानों से पलटी मारकर नीतीश कुमार की हां में हां मिला रहे हैं।