आखिर क्या जादू करते है गडकरी?

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गडकरी को वर्तमान समय के जादूगर कहा जाता है, ये ऐसा जादू करते हैं जो विपक्ष को भी मदहोश कर दे! केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भारतीय जनता पार्टी में एक ऐसा चेहरा हैं जिनके चाहने वाले दूसरे दलों में भी दिखाई देते हैं। विपक्ष के कई नेता गडकरी के काम और व्‍यवहार की खुलकर तारीफ करते हैं। इस फेहरिस्‍त में अब राजद नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का भी नाम शामिल हो गया है। तेजस्‍वी ने गडकरी को ऐसा प्रोग्रेसिव नेता बताया है जो पार्टी और राज्‍य नहीं देखते हैं। डेप्‍युटी सीएम ने केंद्रीय मंत्री को अपना अभिभावक तक बता डाला है। तेजस्‍वी यह भी बोले हैं कि केंद्र में गडकरी जैसे और मंत्री होने चाहिए। यह पहली बार नहीं है जब विपक्ष के किसी नेता ने गडकरी की तारीफ की हो। इसके पहले सोनिया गांधी, जयराम रमेश, मल्लिकार्जुन खरगे से लेकर दिनेश त्रिवेदी, असदुद्दीन ओवैसी और संजय झा तक गडकरी की तारीफ में खुलकर बोल चुके हैं। हाल में कांग्रेस के कई नेताओं ने एक सुर में गडकरी की प्रशंसा की थी। साथ ही बोला था कि अगर वह प्रधानमंत्री के लिए बीजेपी की पसंद होते तो भारत की राजनीतिक संस्‍कृति जहरीली नहीं होती। आखिर वह क्‍या बात है जो नितिन गडकरी को बीजेपी के दूसरे नेताओं से अलग करती है? क्‍यों विपक्ष भी उनके काम का मुरीद है? आइए, यहां इस बात को समझने की कोशिश करते हैं।

नितिन गडकरी की एक खास बात है जो उन्‍हें दूसरे बीजेपी नेताओं से अलग खड़ा कर देती है। वह खूबी है व्‍यक्तिगत हमले न करने की। गडकरी व्‍यक्तिगत हमले करने से बचते हैं। वह बीजेपी की विचारधारा को जरूर ऊपर रखते हैं। हालांकि, ऐसा करते हुए दूसरों पर हमलावर नहीं होते हैं। न ही वह विचारधारा को थोपने की कोशिश करते हुए दिखाई देते हैं। अपनी बात को गडकरी किस्‍से कहानियों की मदद से रखते हैं। ये तथ्‍यों पर आधारित होती हैं। इन्‍हें कहने और बताने का सहज ढंग लोगों को चोट नहीं पहुंचाता है। वह अपनी हर बात कहते हैं। लेकिन, हंसते हुए। अपने अनूठे अंदाज में। यह बेहद शालीन और निराला होता है।नितिन गडकरी विपक्षी दलों के नेताओं को सम्‍मान देने में बिल्‍कुल नहीं हिचकते। इसका एक उदाहरण तो बिल्‍कुल ताजा है। उन्‍होंने हाल में 1991 के सुधारों के लिए मनमोहन सिंह की जमकर तारीख की थी। वह बोले थे इन सुधारों के लिए देश मनमोहन सिंह का हमेशा कर्जदार रहेगा। नितिन गडकरी देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की भी तारीफ कर चुके हैं। उन्‍होंने नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी को भारतीय लोकतंत्र के दो आदर्श नेता बताया था।

गडकरी अपने बयानों में भाषा की मर्यादा का हमेशा ख्‍याल रखते हैं। वह कुछ भी ऐसा नहीं बोलते हैं जिससे किसी दूसरे की भावनाएं आहत हों। गडकरी बातचीत और बयानबाजी में बेहद सधे शब्‍दों का इस्‍तेमाल करते हैं।परिवहन मंत्री की एक और बड़ी खूबी है। वह चुटकी लेते हुए अपनी पार्टी को भी नहीं बख्‍शते। कुछ समय पहले एक सेमिनार में उन्‍होंने बीजेपी समेत सभी नेताओं पर तंज कसा था। वह बोले थे कि समस्या सबके साथ है। हर कोई दुखी है। एमएलए इसलिए दुखी हैं कि वे मंत्री नहीं बने। मंत्री बन गए तो इसलिए दुखी हैं कि अच्छा विभाग नहीं मिला। जिन मंत्रियों को अच्छा विभाग मिल गया, वे इसलिए दुखी हैं कि मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। मुख्यमंत्री इसलिए दुखी हैं कि पता नहीं कब तक पद पर रहेंगे।

नितिन गडकरी हमला करने के बजाय अपने काम को गिनाते हैं। अपने भाषणों में वह बताते हैं कि उन्‍होंने किन परियोजनाओं को अमलीजामा पहनाया। सरकार का किन परियोजनाओं पर फोकस है। कौन से प्रोजेक्‍ट चल रहे हैं। वह किसी राज्‍य विशेष के बजाय देश की बात करते हैं। उसे नहीं ऊंचाइयों पर ले जाने का हौसला देते हैं। भरोसा दिलाते हैं कि उनसे जो कुछ भी बन पड़ेगा वह करेंगे।

कांग्रेस के राज्‍यसभा सदस्‍य विवेक तन्‍खा ने हाल में कहा था – ‘देश में गडकरी की छवि एक अच्‍छे ईमानदार मंत्री की है। वह विपक्ष को सम्‍मान देने में विश्‍वास करते हैं। ऐसे व्‍यक्ति के साथ मंच साझा करने में थोड़ा भी संकोच नहीं होता है।’ गडकरी को लेकर यही विचार कई दूसरे विपक्षी नेताओं के भी हैं। वे न केवल गडकरी के काम बल्कि उनके व्‍यवहार के भी कायल हैं। गडकरी की सहजता और सादगी उन्‍हें आकर्षित करती है। शायद यही कारण है कि तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी को गडकरी से मुलाकात करने में संकोच नहीं होता है। वहीं, जब दूसरे कांग्रेसी नेता सदन में गडकरी की तारीफ कर रहे होते हैं तो सोनिया गांधी भी डेस्‍क को थपथपाते हुए दिखती हैं।