आखिर ट्रेन में जनरल यात्रियों को कब मिलेगा सम्मान?

0
72

यह सवाल उठना लाजिमी है की ट्रेन में जनरल यात्रियों को सम्मान कब मिलेगा! रेलवे ने एक बार फिर से ‘बेचारे’ रेल यात्रियों की सुध लेने की बात की है। जी हां, ट्रेन के बेचारे यात्री का मतलब ‘सेकेंड क्लास’ या ‘जनरल कोच’ में यात्रा करने वाले यात्रियों से है। इनकी बेचारगी की हालत देखनी हो तो नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली, आनंद विहार आदि जैसे रेलवे स्टेशन पहुंचिए। वहां से पूरब की तरफ जाने वाली किसी भी लोकप्रिय रेलगाड़ी का जनरल डिब्बा देख लीजिए। इसमें बुरी तरह से ये बेचारे ठुंसे होते हैं। स्थिति यह होती है कि जनरल डिब्बे के शौचालयों में भी पैसेंजर ठुंसे रहते हैं। अब इसी जनरल कोच यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए रेलवे ने पूड़ी-सब्जी के स्पेशल पैकेट बिकवाने की बात की है। रेलवे बोर्ड के आरामदायक और एयर कंडीशंड कमरे में बैठने वाले अधिकारियों को इन दिनों जनरल कोच और स्लीपर कोच में यात्रा करने वाले पैसेंजर्स याद आ रहे हैं। कुछ लोग इसकी वजह ‘आम चुनाव’ को बताते हैं। इनका कहना है कि जिस तरह से देश में गर्मी का प्रकोप बढ़ रहा है, एसी में रहने वाले लोग वोट डालने निकल नहीं रहे हैं। यूपी की लोकप्रिय ट्रेन के जनरल कोच को आप एक बार देख लेंगे तो आपको मिचली होने लगेगी। इस ट्रेन में यात्रा करना तो दूर, आप घुस भी नहीं पाएंगे। इस ट्रेन की यात्रा चाहे आप एक घंटे की करें या 24 घंटे की, आप नेचर्स कॉल यानी मल-मूत्र भी नहीं त्याग पाएंगे। क्योंकि इस डिब्बे के शौचालय में भी यात्री ही ठुंसे रहते हैं। अब आप कल्पना कीजिए के उनकी यात्रा कैसे होती होगी?वोट डालने में आगे रहते हैं इन्हीं ‘जनरल’ कोच में यात्रा करने वाले ‘आम आदमी’। रेल मंत्री भी राजनीतिक व्यक्ति हैं। उन्हें जनरल कोच में यात्रा करने वालों की अहमियत पता है। इसलिए अब जनरल कोच के यात्रियों की खातिर सस्ती पूड़ी-सब्जी का इंतजाम किया जा रहा है।

आज के अखबारों में यह खबर छपी है। खबर है कि देश के 100 रेलवे स्टेशनों पर जनरल कोच के यात्रियों को ध्यान में रख कर सस्ते पूड़ी-सब्जी के पैकेट बिकवाने की व्यवस्था की जा रही है। 20 रुपये के इस पैकेट में सात पूड़ी, सब्जी और अचार रहेगा। साथ ही 50 रुपये में छोले-भठूरे, पाव भाजी, राजमा चावल, छोले चावल आदि भी बिकवाने की व्यवस्था की जा रही है। इनके लिए रेल नीर की भी व्यवस्था की जा रही है। ताकि यात्रा के दौरान इन्हें खाने-पीने को मिल जाए। बिहार-यूपी की लोकप्रिय ट्रेन के जनरल कोच को आप एक बार देख लेंगे तो आपको मिचली होने लगेगी। इस ट्रेन में यात्रा करना तो दूर, आप घुस भी नहीं पाएंगे। इस ट्रेन की यात्रा चाहे आप एक घंटे की करें या 24 घंटे की, आप नेचर्स कॉल यानी मल-मूत्र भी नहीं त्याग पाएंगे। क्योंकि इस डिब्बे के शौचालय में भी यात्री ही ठुंसे रहते हैं। अब आप कल्पना कीजिए के उनकी यात्रा कैसे होती होगी?

चलती ट्रेन में सस्ती पूड़ी-सब्जी के पैकेट कोई नया कांसेप्ट नहीं है। दरअसल, जब 1977 में जनता सरकार बनी थी, तभी ‘जनता एक्सप्रेस’ और ‘जनता खाना’ का कांसेप्ट आया था। जनता एक्सप्रेस में सिर्फ सेकेंड क्लास के डिब्बे थे। इसमें सिर्फ आम आदमी या गरीब आदमी सफर करते थे। बता दें कि रेलवे ने पूड़ी-सब्जी के स्पेशल पैकेट बिकवाने की बात की है। रेलवे बोर्ड के आरामदायक और एयर कंडीशंड कमरे में बैठने वाले अधिकारियों को इन दिनों जनरल कोच और स्लीपर कोच में यात्रा करने वाले पैसेंजर्स याद आ रहे हैं। कुछ लोग इसकी वजह ‘आम चुनाव’ को बताते हैं। इनका कहना है कि जिस तरह से देश में गर्मी का प्रकोप बढ़ रहा है, एसी में रहने वाले लोग वोट डालने निकल नहीं रहे हैं। वोट डालने में आगे रहते हैं इन्हीं ‘जनरल’ कोच में यात्रा करने वाले ‘आम आदमी’। रेल मंत्री भी राजनीतिक व्यक्ति हैं। उन्हें जनरल कोच में यात्रा करने वालों की अहमियत पता है। इसलिए अब जनरल कोच के यात्रियों की खातिर सस्ती पूड़ी-सब्जी का इंतजाम किया जा रहा है। अमीरों के लिए फर्स्ट क्लास था। इसी तरह जनता खाना मतलब सस्ती पूड़ी-सब्जी का पैकेट। अमीरों के लिए तो तरह तरह के व्यंजनों का इंतजाम तो पहले से ही था। कालांतर में जनता खाना रेलवे स्टेशन और ट्रेनों के लिए दुर्लभ चीज हो गया। इसी को फिर से चालू कराने का प्रयास है।