आज हम आपको बताएंगे की सबसे ज्यादा बाल विवाह कहां होते हैं… एक समय ऐसा था जब हमारा देश बाल विवाह के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता था… क्योंकि यहां पर बाल विवाह सबसे ज्यादा प्रचलित था, लेकिन अगर मैं वर्तमान की बात करूं तो वर्तमान में भी बाल विवाह देश के अधिकतर हिस्सों में होते हैं, हालांकि यह विवाह गैरकानूनी है, लेकिन फिर भी चोरी छुपे बाल विवाह वर्तमान में हो रहे हैं… इसी बीच ये सवाल उठता है कि आखिर यह बाल विवाह क्यों होते हैं और भारत में ऐसा कौन सा राज्य है जहां सबसे ज्यादा बाल विवाह अब भी होते हैं? तो आज हम आपको इसी बारे में जानकारी देने वाले हैं! आपको बता दें कि असम सरकार ने बाल विवाह पर रोक लगाने के मकसद से मुस्लिम विवाह और तलाक से जुड़े 1935 के कानून को खत्म कर दिया. 23 फरवरी को मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने फैसला लिया है कि अब ऐसे विवाह पूरी तरह से समाप्त कर दिए जाएंगे… ये समान नागरिक संहिता यूसीसी की दिशा में बड़ा कदम बताया जा रहा है… सीएम हिमंत बिस्वा ने ये भी कहा कि अगर लड़का और लड़की शादी की कानूनी उम्र लड़कियों के लिए 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल तक नहीं पहुंचे हैं, तो भी उनकी शादी करा दी जाती थी.. जो कहीं ना कहीं गैरकानूनी विवाह यानी बाल विवाह को प्रेरित करता है… जिसे अब समाप्त कर दिया जाएगा… बता दें कि भारत में बाल विवाह की समस्या गंभीर है. दुनिया के 40% से ज्यादा बाल विवाह भारत में ही होते हैं. यहां लगभग आधी लड़कियों की 18 साल से पहले ही शादी कर दी जाती है. हालांकि हाल के दशकों में बाल विवाह की समस्या में कमी आई है. 1993 में जहां 49% लड़कियों की शादी कम उम्र में हो जाती थी, वहीं 2021 में यह आंकड़ा घटकर 22% हो गया है.
ये आंकड़े भले ही सकारात्मक है, लेकिन पूरे देश में बाल विवाह की समस्या अभी भी गंभीर है. 2021 में भी लगभग हर पांचवीं लड़की और हर छठे लड़के का विवाह 18 साल से कम उम्र में ही हो जाता है. यानी 2021 में लगभग 135 लाख लड़कियां और 14 लाख लड़के बाल विवाह के शिकार बने. अब भी कुछ चार-पांच राज्यों में देश के आधे से ज्यादा लड़के-लड़कियों का बाल विवाह होता है. इनमें बिहार, झारखंड, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य सबसे ऊपर हैं. गांवों में शहरों के मुकाबले बाल विवाह की समस्या ज्यादा गंभीर है. गांव में 56% और शहरों में 29% लड़कियों का विवाह 18 साल से पहले हो जाता है… .बता दे भारत में विवाह की कानूनी उम्र पुरुषों के लिए 21 साल और महिलाओं के लिए 18 साल है. लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल की हालिया रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, मणिपुर को छोड़कर देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 1993 से 2021 के बीच लड़कियों के बाल विवाह में कमी आई है. लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल ने 1993 से 2021 तक 5 बार 1993, 1999, 2006, 2016, 2021 में हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे एनएफएचएस के आंकड़ों के अध्ययन के आधार पर एक रिपोर्ट जारी की है. अनुमान के अनुसार, 2021 में बाल विवाह की शिकार हुई लड़कियों की संख्या लगभग 1 करोड़ 34 लाख 64 हजार 450 थी, जबकि लड़कों की संख्या लगभग 14 लाख 54 हजार 894 थी… लड़कियों के बाल विवाह मामले में कुल आंकड़ों का आधे से ज्यादा हिस्सा सिर्फ चार राज्यों में पाया गया- बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, और महाराष्ट्र. वहीं लड़कों के लिए ये आंकड़े गुजरात, बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा थे.. यानी सीधी सी बात यह है कि अब भी बाल विवाह काफी प्रचलित है… लेकिन सवाल यह कि आज फिर ऐसी कुप्रथा को कैसे समाप्त किया जा सकता है? तो आपको बता दे कि बाल विवाह की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार को कई स्तर पर काम करने होंगे. कम उम्र में शादी करने वाले बच्चों को शिक्षा पूरी करने का मौका नहीं मिलता है. इससे गरीबी का चक्र बना रहता है और परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं होता है. इसके अलावा कम उम्र में गर्भधारण करने से लड़कियों की मृत्यु दर बढ़ जाती है. जब बच्चे शिक्षा और रोजगार में योगदान नहीं दे पाते, तो देश का विकास भी धीमा हो जाता है. यूनिसेफ का कहना है कि देश में बाल विवाह को रोकने के लिए पर्याप्त निवेश नहीं किया जाता है. लोगों को जागरूक करने और कानूनों को लागू करने के लिए धन की कमी है. साथ ही सामाजिक और राजनीतिक इच्छाशक्ति की भी कमी है. लड़कियों को लड़कों की तुलना में बराबर का महत्व न दिया जाना भी एक कारण है. शिक्षा और सशक्तिकरण ही बाल विवाह खत्म करने का सबसे सटीक तरीका है. उन्हें आत्मनिर्भर बनने और पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना होगा… यानी यह कि अब बाल विवाह रोकने के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है और कानून का सख्त होना भी बहुत जरूरी है!