कई ऐसी कंपनियां है जो पीरियड लीव देती है! केरल की एक यूनिवर्सिटी ने लड़कियों के उस ‘दर्द’ को महसूस किया है जिससे वे हर महीने गुजरती हैं। इसका नाम विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीयूएसएटी) है। इस जानी-मानी यूनिवर्सिटी ने एक व्यवस्था की है। उसने हर सेमेस्टर में फीमेल स्टूडेंट्स की अटेंडेंस में कमी के लिए अतिरिक्त दो फीसदी की छूट की मंजूरी दी है। सीयूएसएटी स्वायत्त यूनिवर्सिटी है। इसमें अलग-अलग विषयों में 8000 से ज्यादा छात्र हैं। उनमें से आधे से ज्यादा लड़कियां हैं। यूनिवर्सिटी में पिछले कुछ समय से मेन्सट्रुएशन बेनिफिट देने की मांग उठ रही थी। यह खबर ऐसे समय आई है जब हाल में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका जारी की गई है। इसमें माहवारी के वक्त महिलाओं को छुट्टी देने की मांग की गई है। कई देशों में पीरियड लीव या मेन्सट्रुएशन बेनिफिट की व्यवस्था है। यही नहीं, कई कंपनियां ‘उन दिनों’ के लिए अलग से छुट्टी देती हैं। इनका मेडिकल, अर्न्ड और कैजुअल लीव से लेनादेना नहीं होता है। इस तरह की छुट्टी कौन सी कंपनियां दे रही हैं, उसके लिए क्या व्यवस्था है, दूसरे किन देशों में पीरियड लीव मिलती है? आइए, यहां ऐसे हर सवाल का जवाब जानते हैं।
सीयूएसएटी ने फीमेल स्टूडेंट्स को मेन्सट्रुएशन बेनिफिट देने का फैसला किया है। इसके तहत हर सेमेस्टर में छात्राओं की उपस्थिति में कमी के लिए अतिरिक्त दो फीसदी छूट दी जाएगी। इसके लिए स्टूडेंट काफी समय से मांग कर रहे थे। इस बाबत एक प्रपोजल दिया गया था। काफी मंथन करने के बाद इस प्रस्ताव को यूनिवर्सिटी ने मंजूरी दे दी। इसके लिए प्रत्येक छात्रा के लिए अलग-अलग छूट होगी। यह उसकी अटेंडेंस पर निर्भर करेगा।
माहवारी के वक्त छुट्टी की मांग सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुकी है। इसे लेकर एडवोकेट शैलेंद्रमणि त्रिपाठी ने जनहित याचिका दाखिल की है। इसमें पीरियड्स के समय छुट्टी देने की मांग की गई है। याचिका में एडवोकेट ने लंदन की एक स्टडी का हवाला दिया है। इस स्टडी के अनुसार, इन 4-5 दिनों में महिलाओं में बहुत ज्यादा दर्द होता है। कई में यह दर्द हार्ट अटैक के बराबर का होता है। इसके चलते कार्यस्थल पर महिलाओं की परफॉरमेंट पर असर पड़ता है। बेशक, कुछ राज्यों में पीरियड लीव की व्यवस्था है। लेकिन, कोई साफ दिशानिर्देश नहीं हैं।
देश-विदेश की कई कंपनियों में पीरियड लीव की व्यवस्था है। ऐसी कंपनियों में जोमैटो, स्विगी, बायजूस, कल्चर मशीन, जयपुरकुर्ती डॉट कॉम, गोजूप ऑनलाइन, मैग्जटर, वेट एंड ड्राय, iVIPANAN, FlyMyBiz, हॉर्सेज स्टेबल न्यूज, ओरियंट इलेक्ट्रिक शुमार हैं। पीरियड लीव पॉलिसी के अनुसार, महिला कर्मचारियों को माहवारी के वक्त एक या दो दिन की छुट्टी लेने की स्वीकृति दी जाती है। यह हर कंपनी में अलग-अलग होती है। इसका मकसद वर्क एनवॉयरमेंट को ज्यादा डायवर्स और इनक्लूसिव बनाना होता है। यह छुट्टी अतिरिक्त होती है। यानी इसका कैजुअल, अर्न्ड और मेडिकल लीव से कोई लेनादेन नहीं होता है।
भारत इकलौता देश नहीं है जहां कंपनियां पीरियड लीव की पैरवी कर रही हैं। जापान, दक्षिण कोरिया, स्पेन, ताइवान, इंडोनेशिया और इटली जैसे देशों में मेन्सट्रुएल लीव की व्यवस्था है। यह कामकाजी महिलाओं की लीव पॉलिसी का हिस्सा होता है। इस तरह का बेनिफिट देने का मकसद पुरुष कर्मचारियों संग भेदभाव करना कतई नहीं है। अलबत्ता, इसके जरिये दोनों के शारीरिक अंतरों को स्वीकार किया जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि पुरुषों के साथ महिलाओं की भी कार्यस्थल पर बराबर की मौजूदगी हो।
महिलाओं के शरीर की बनावट पुरुषों से अलग होती है। पीरियड्स के दौरान महिलाओं के शरीर के हार्मोन्स में बदलाव होता है। इसके चलते गर्भाशय से स्त्राव होता है।जापान, दक्षिण कोरिया, स्पेन, ताइवान, इंडोनेशिया और इटली जैसे देशों में मेन्सट्रुएल लीव की व्यवस्था है। यह कामकाजी महिलाओं की लीव पॉलिसी का हिस्सा होता है। इस तरह का बेनिफिट देने का मकसद पुरुष कर्मचारियों संग भेदभाव करना कतई नहीं है। अलबत्ता, इसके जरिये दोनों के शारीरिक अंतरों को स्वीकार किया जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि पुरुषों के साथ महिलाओं की भी कार्यस्थल पर बराबर की मौजूदगी हो। जबर्दस्त दर्द होता है। कइयों को तो पेनकिलर तक खाने की नौबत आ जाती है। हालांकि, सच यह है कि देश में इसका खुलकर जिक्र तक नहीं किया जाता है। इसे ‘उन दिनों की समस्या’ बताया जाता है। इस पीड़ा के बाद भी महिलाएं सामान्य तरीके से अपना काम करती हैं। महसूस कराती हैं कि उन्हें कुछ नहीं हुआ है। यह और बात है कि इससे उनका कॉन्फिडेंस कम पड़ता है। हार्ट अटैक से से पीरियड्स के दर्द की तुलना ही अपने में यह बताने के लिए काफी है कि महिलाएं इस दौरान किस स्थिति से गुजरती हैं।