यह सवाल उठना लाजिमी है कि बीजेपी और कांग्रेस की यात्रा का लोकसभा चुनाव पर कैसा प्रभाव पड़ेगा! इस समय देश में दो यात्राएं चल रही हैं.एक राहुल गांधी की ”भारत जोड़ो न्याय यात्रा” और दूसरी ”विकसित भारत संकल्प यात्रा”.राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा 14 जनवरी 2024 को मणिपुर से शुरू हुई और 20 मार्च 2024 को मुंबई में समाप्त होगी. जबकि विकसित भारत संकल्प यात्रा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 नवंबर 2023 को झारखंड के खूंटी में शुरू किया था.यह यात्रा 26 जनवरी 2024 को समाप्त होने वाली थी लेकिन लक्ष्य पूरा न होने के चलते इसे आगे ब़ढ़ा दिया गया है.अब यह यात्रा लक्ष्य पूरा होने तक जारी रहेगी. इस यात्रा के तहत 2 लाख पचास हजार 362 आयोजन होने थे लेकिन 22 जनवरी 2024 तक 2 लाख 44 हजार 652 आयोजन ही हो सके.अब यह यात्रा तब तक चलेगी जब तक पूरे दो लाख पचास हजार 362 आयोजन नहीं हो जाते! इन दोनों यात्राओं में एक यात्रा राहुल गांधी वाली की तो खूब चर्चा हो रही है लेकिन दूसरी वाली विकसित भारत की बिल्कुल भी नहीं हो रही है.अब आप कह सकते हैं कि चूंकि राहुल गांधी की यात्रा राजनैतिक है और उसे कांग्रेस पार्टी आयोजित कर रही है इसलिए उसकी चर्चा हो रही है जबकि विकसित भारत संकल्प यात्रा सरकारी है, इसलिए उसकी चर्चा नहीं हो रही.लेकिन यह सच नहीं है.इन दोनों ही यात्राओं का मकसद राजनीतिक ही है.
आप याद करिये जब प्रधानमंत्री ने यह यात्रा शुरू की थी तब कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया था. कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चुनाव प्रचार में सरकारी अफसरों को लगा दिया है. इस यात्रा का मकसद मोदी सरकार की योजनाओं को लोगों को बताना और इस बात की गारंटी करना कि इन योजनाओं का लाभ इन श्रेणी में आने वाले लोगों को मिले. इन योजनाओं में आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जवाहर आवास योजना, प्रधानमंत्री गरीब योजना ग्रामीण, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, किसान क्रेडिट कार्ड, पोषण अभियान, हर घर जल, जल जीवन मिशन, जन धन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और अटल पेंशन योजना प्रमुख हैं. इस योजना के राजनैतिक होने का एक दूसरा उदाहरण भी दिया जा सकता है.
अभी पीछे जब पांच राज्यों के चुनाव हुए तो कांग्रेस ने विकसित भारत संकल्प यात्रा की शिकायत की. उसका कहना था कि इससे मतदाताओं को प्रभावित किया जा सकता है. तब चुनाव आयोग ने पांचों राज्यों में इस यात्रा पर रोक लगा दी थी. वैसे भी अधिकारी इस योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए अपनी सुविधा के लिए बीजेपी कार्यकर्ताओं की मदद लेते हैं.
तो आपने देखा कि इन दोनों ही यात्राओं का मकसद राजनैतिक ही है.अब अगर एक की चर्चा हो रही है और दूसरे की नहीं तो इसकी वजह भी है.राहुल गांधी की यात्रा जहां लोगों को आकर्षित कर रही है वहीं विकसित भारत संकल्प यात्रा में लोग बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं ले रहे.भाजपा शासित राज्यों में तो इस यात्रा का थोड़ा असर दिख भी रहा है लेकिन जिन राज्यों में विपक्षी सरकारें हैं वहां तो यह यात्रा बिल्कुल लोट गई है.
उदाहरण के लिए ओडिशा में नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल की सरकार है. वह सरकार विभिन्न मुद्दों पर केंद्र में मोदी सरकार का समर्थन भी करती है. इस तरह नवीन पटनायक को मोदी के सहयोगी के तौर पर मान सकते हैं. बावजूद इसके वहां विकसित भारत संकल्प यात्रा में महज पांच प्रतिशत लोगों ने दिलचस्पी दिखाई. कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है. वहां छह प्रतिशत लोगों ने रुचि ली तो पंजाब में आप की सरकार के लोगों ने भी इतनी ही दिलचस्पी दिखाई. बिहार में सात प्रतिशत तो तमिलनाडु और तेलंगाना में आठ प्रतिशत लोगों ने रुचि दिखाई. हां, बीजेपी शासित राज्यों में जरूर इस यात्रा का असर दिखा. वह भी उतना ज्यादा नहीं. बीजेपी को उन राज्यों में जितना वोट मिलता है उससे भी कम लोगों ने इस यात्रा में उत्साह दिखाया. हरियाणा में प्रति ग्राम पंचायत इस यात्रा में 33 प्रतिशत लोगों ने शिरकत की तो गुजरात में 35 प्रतिशत. उत्तर प्रदेश में 38 प्रतिशत तो मध्य प्रदेश में 47 प्रतिशत. राजस्थान में इस यात्रा को सबसे ज्यादा रिस्पांस मिला. वहां इस यात्रा को 68 प्रतिशत लोगों ने समर्थन दिया.
इसके विपरीत असम में इस यात्रा की स्थिति विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों जैसी दिखी. वहां महज पांच प्रतिशत लोगों ने इस यात्रा में दिलचस्पी दिखाई.आपने देखा कि जब राहुल गांधी असम पहुंचे तो वहां उनकी यात्रा में शामिल होने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी. यहां तक कि वहां की सरकार ने जब राहुल गांधी को एक स्कूल के छात्रों से मिलने की इजाजत नहीं दी तो छात्र खुद क्लास छोड़कर उनसे मिलने सड़क पर आ गये. यह स्थिति निश्चित ही मोदी सरकार और भाजपा के लिए चिंतनीय है खासकर तब जब 2024 के आम चुनाव काफी नजदीक आ गये हैं.