आज हम आपको बताएंगे कि Z प्लस सिक्योरिटी किन-किन लोगों को मिलती है! केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की सुरक्षा बढ़ा दी है। उनकी सुरक्षा की कैटेगरी बढ़ाकर ‘जेड प्लस’ कर दी गई है। राज्यपाल खान के खिलाफ केरल के कोल्लम जिले में शनिवार को स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। उनके ऐसा करने पर खान अपने वाहन से बाहर निकले। फिर प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सड़क किनारे एक दुकान के सामने बैठ गए। इस घटना के बाद ही उनकी सिक्योरिटी बढ़ाने का फैसला लिया गया। जेड प्लस सिक्योरिटी का क्या मतलब होता है? किन-किन लोगों को यह मिली हुई है? इस पर कितना खर्च आता है? आइए, यहां इन सवालों के जवाब जानते हैं। देश में Z+ सिक्योरिटी अव्वल मानी जाती है। यह सुरक्षा की सर्वोच्च श्रेणी है। Z+ सिक्योरिटी के तहत 10 से ज्यादा एनएसजी कमांडो और पुलिस कर्मी समेत 55 ट्रेंड जवान मिलते हैं। जिस किसी को यह सिक्योरिटी मिलती है, ये सभी कमांडो 24 घंटे उस व्यक्ति के चारों ओर पैनी नजर रखते हैं। सुरक्षा में तैनात हर कमांडो मार्शल आर्ट का स्पेशलिस्ट होता है। ये आधुनिक हथियारों से लैस होते हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय वित्त मंत्री, मुकेश अंबानी और उनके परिवार, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जैसे कई शीर्ष गणमान्य व्यक्तियों को यह सिक्योरिटी कवर मिला हुआ है।खतरे के साथ सुरक्षा श्रेणी बढ़ती है। ऐसे में जाहिर है कि यह उन्हें मिलती है जिनकी जान को सबसे ज्यादा खतरा होता है। प्रधानमंत्री को मिलने वाले एसपीजी यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के बाद कह सकते हैं कि यह दूसरा सबसे सख्त कवर है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी उन लोगों में हैं जिन्हें जेड प्लस सिक्योरिटी दी गई है। Z+ सुरक्षा पर एक व्यक्ति पर महीने में 40 से 45 लाख रुपये का खर्च आता है।
इस सुरक्षा का खर्च केंद्रीय गृह मंत्रालय उठाता है। हालांकि, अंबानी परिवार का उदाहरण लें तो वही इसका खर्च उठाता है। खतरे के साथ सुरक्षा श्रेणी बढ़ती है। ऐसे में जाहिर है कि यह उन्हें मिलती है जिनकी जान को सबसे ज्यादा खतरा होता है। प्रधानमंत्री को मिलने वाले एसपीजी यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के बाद कह सकते हैं कि यह दूसरा सबसे सख्त कवर है। वहीं अगर बात राम मंदिर की करे तो अयोध्या में नव-निर्मित राम मंदिर में कल ही प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इससे पहले मंदिर परिसर की सुरक्षा की जिम्मेदारी सिक्योरिटी, फेसिलिटी मैनेजमेंट और कैश लॉजिस्टिक कंपनी एसआईएस को सौंपी गई है। इस बात की घोषणा खुद कंपनी के मैनेजिंग डाइरेक्टर ऋतुराज सिन्हा ने की है। इस खबर के बाहर आते ही कंपनी के शेयर रॉकेट हो गए। कल बीएसई में इसके शेयर 10 फीसदी से भी ज्यादा चढ़ते हुए 52 हफ्ते के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए।
एसआईएस की तरफ से यहां जारी एक बयान में बताया गया कि राम मंदिर ट्रस्ट अयोध्या ने एसआईएस को ऑफिशियल प्राइवेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर के रूप में नियुक्त किया है। हालांकि जब वहां मंदिर का निर्माण शुरू हुआ था, तभी से कंपनी के सिक्योरिटी गार्ड वहां तैनात थे। मतलब कि वहां मई 2022 से कंपनी के जवान सुरक्षा व्यवस्था संभाले हुए हैं। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जैसे कई शीर्ष गणमान्य व्यक्तियों को यह सिक्योरिटी कवर मिला हुआ है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी उन लोगों में हैं जिन्हें जेड प्लस सिक्योरिटी दी गई है। Z+ सुरक्षा पर एक व्यक्ति पर महीने में 40 से 45 लाख रुपये का खर्च आता है।लेकिन इस बात की औपचारिक घोषणा अभी की गई है। सिक्योरिटी गार्ड का आमतौर पर मतलब लगाया जाता है सिर्फ मैनपावर से। लेकिन अयोध्या में एसआईएस ने लेटेस्ट टेक्नोलोजी का उपयोग करने की योजना तैयार की है। कंपनी से मिली जानकारी के अनुसार उसने मंदिर परिसर में और उसके आसपास सुरक्षा जनशक्ति की तैनाती के अलावा, भीड़ प्रबंधन में शामिल कर्मियों के लिए बॉडी कैमरे, सीसीटीवी वीडियो के लिए एआई सहित श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ तकनीक भी तैनात की है। इसमें अपनी सहयोगी कंपनी StaqU का भी साथ लिया गया है। तभी तो वहां सीसीटीवी वीडियो एनालिटिक्स में एआई का उपयोग हो रहा है। इसी के साथ वहां कस्टमाइज्ड ट्रेनिंग डिलीवरी के लिए एमट्रेनर वैन भी तैनात किये गए हैं। इसके साथ ही MySIS ऐप से भी इसकी जानकारी ली जा सकेगी।