आखिर कौन है आरएसएस के दत्तात्रेय होसबाले?

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आज हम आपको आरएसएस के दत्तात्रेय होसबाले के बारे में बताने जा रहे हैं!  दत्तात्रेय होसबाले को फिर संघ का सरकार्यवाह चुना गया है। होसबाले को 2021 में चार बार से संघ के नंबर दो का पद संभाल रहे भैय्या जी जोशी की जगह पर नया सरकार्यवाह बनाया गया था। सरकार्यवाह संघ में नंबर दो पोजिशन है लेकिन यह पद सबसे अहम माना जाता है क्योंकि यह नीतियों को जमीन पर उतारने के लिहाज से सबसे बड़ा है। यानी कहें तो व्यवहारिक स्तर पर सरकार्यवाह आरएसएस का सर्वोच्च कार्यकारी अधिकारी होता है। सरसंघचालक यानी संघ प्रमुख मूलतः राजनीतिक और वैचारिक दिशा-निर्देश देने तक सीमित रहते हैं जबकि रोजमर्रा के काम की निगरानी सरकार्यवाह ही करते हैं। सरकार्यवाह की एक बड़ी भूमिका उसकी राजनीतिक संस्था भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी के साथ तालमेल बिठाने की भी होती है। ऐसे में दत्तात्रेय होसबाले को फिर से तीन साल के लिए सरकार्यवाह का दायित्व देना अहम माना जा रहा है क्योंकि उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है। दोनों के बीच अच्छा तालमेल है। होसबाले संघ में ‘शाखा तंत्र’ से बाहर के पहले सरकार्यवाह हैं। दत्तात्रेय होसबाले शुरू में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एबीवीपी में रहे हैं। आरएसएस की विचारधारा को बीजेपी में प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को आरएसएस के मूल्यों और सिद्धांतों से अवगत कराते हैं। सरकार्यवाह आरएसएस और बीजेपी के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करते हैं। वे दोनों संगठनों के बीच विचारों और नीतियों के आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे चुनावी रणनीति बनाने और उसे लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।वो कर्नाटक के रहने वाले हैं। आरएसएस और बीजेपी के बीच तालमेल बिठाने में सरकार्यवाह की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। वे दोनों संगठनों के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करते हैं, विचारों और नीतियों का आदान-प्रदान करते हैं और समन्वय स्थापित करते हैं।

सरकार्यवाह RSS के विचारों और नीतियों को बीजेपी तक पहुंचाते हैं। वे बीजेपी के नेताओं को आरएसएस के दृष्टिकोण से अवगत कराते हैं और उन्हें महत्वपूर्ण मुद्दों पर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। सरकार्यवाह चुनावी रणनीति बनाने और उसे लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे बीजेपी के नेतृत्व के साथ मिलकर काम करते हैं और चुनावों में जीत सुनिश्चित करने के लिए योजनाएं बनाते हैं। सरकार्यवाह आरएसएस और बीजेपी के बीच संगठनात्मक तालमेल को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे दोनों संगठनों के बीच बैठकों और कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, और सदस्यों के बीच समन्वय को बढ़ावा देते हैं।

सरकार्यवाह आरएसएस की विचारधारा को बीजेपी में प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को आरएसएस के मूल्यों और सिद्धांतों से अवगत कराते हैं। सरकार्यवाह आरएसएस और बीजेपी के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करते हैं। वे दोनों संगठनों के बीच विचारों और नीतियों के आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे चुनावी रणनीति बनाने और उसे लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे संगठनात्मक तालमेल को बनाए रखने और विचारधारा को प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए अगला साल बेहद अहम होने वाला है। 2025 में संगठन के 100 साल पूरा होने वाले हैं। संघ इस मौके पर पूरे साल की स्तर पर जनसंवाद और जनसंपर्क अभियान चलाने वाली है। संघ में मौजूदा बदलाव को उस प्रिज्म से देखा जा रहा है। पिछले कुछ सालों से संघ ने अपनी शाखाओं में काफी वृद्धि की है। शताब्दी वर्ष में आएरएसएस गांव-गांव में अपनी शाखाओं का विस्तार करने के मिशन पर है।फिर से तीन साल के लिए सरकार्यवाह का दायित्व देना अहम माना जा रहा है क्योंकि उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है। दोनों के बीच अच्छा तालमेल है। होसबाले संघ में ‘शाखा तंत्र’ से बाहर के पहले सरकार्यवाह हैं। दत्तात्रेय होसबाले शुरू में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एबीवीपी में रहे हैं। वो कर्नाटक के रहने वाले हैं। आरएसएस और बीजेपी के बीच तालमेल बिठाने में सरकार्यवाह की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।चुनावी रणनीति बनाने और उसे लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे संगठनात्मक तालमेल को बनाए रखने और विचारधारा को प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसी उद्देश्य से बदली जरूरत को देखते हुए संघ भी अपनी टीम में बदलाव और विस्तार करने की कोशिश में है और अगले कुछ दिनों में कई और बदलाव देखने को मिल सकते हैं।