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आखिर कौन है दिल्ली का सबसे दानवीर सिपाही?
Saturday, April 19, 2025
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आखिर कौन है दिल्ली का सबसे दानवीर सिपाही?

आज हम आपको दिल्ली के सबसे दानवीर सिपाही से मिलवाने वाले हैं! देश स्वतंत्र एक बार होता है, लेकिन स्वाधीनता को बनाए रखने के लिए देशवासियों को हर दिन क़ुर्बानी देनी होती है। बहुत से लोगों के दिल में देश के लिए कुछ करने का जज्बा सिर्फ 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे दिन के लिए नहीं होता। हमारे देश में ऐसी हजारों मिसालें मौजूद हैं जो किसी भी तरह देश और लोगों के लिए कुछ न कुछ करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। बॉर्डर पर खड़े हमारे सैनिक देश की हिफाजत में अपनी जान देने को तैयार रहते हैं, तो हमारे समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो दूसरों की मदद के लिए जी-जान से जुटे हैं और वह भी बिना किसी नेम और फेम के। कहते हैं न कि अपने लिए तो सभी जीते हैं लेकिन दूसरों की भलाई के लिए अपना सब कुछ समर्पित कर देने का साहस कुछ ही लोग कर पाते हैं। दिलवालों की दिल्ली में ऐसे दिलेरों की कमी नहीं जिनके जीवन का ध्येय ही दूसरों की भलाई करना है। ऐसे लोग हर क्षेत्र और समाज के हर वर्ग से हैं। कोई इसलिए अपनी रातों की नींद छोड़ रहा है कि किसी अनजान इंसान की दुख-तकलीफ़ को बांट सके, तो कोई इसलिए अपने शरीर में खून बढ़ा रहा है कि किसी ज़रूरतमंद को रक्तदान कर उसकी ज़िंदगी बचा सके। किसी ने अपनी ज़िंदगी ऐसे लोगों का अंतिम संस्कार करवाने के काम को समर्पित कर दी है जिनका कोई नहीं है। ऐसे ही रोजमर्रा की जिंदगी में छोटी-छोटी कोशिश कर समाज के लिए कुछ करने वाले दिल्ली के दिलेरों से हम आपकी पहचान करवाएँगे। इस कड़ी में आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसी शख्सियत की जो हैं तो दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल लेकिन इससे इतर इनकी एक अलग पहचान भी है और वह है दिल्ली के सबसे बड़े ब्लड डोनर की। दिल्ली के दिलेरों में आज हम सबसे पहले बात करेंगे 40 साल के आशीष दहिया की जो दिल्ली पुलिस के सिपाही हैं और रक्तदान करने की वजह से इनकी देश-दुनिया भर में पहचान है। उनके ट्टिवर हैंडल @Ashishdahiya777 पर उनकी प्रोफाइल पर लिखा है सैनिक कर्म, साधु धर्म, वंदेमातरम…. 126 बार ब्लड डोनेशन। बेशक यह उनका जज्बा दिखाता है।

किसी भी जरूरतमंद को रक्तदान करने के लिए दहिया हमेशा आगे रहते हैं और अब तक यह 126 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। दहिया मूल रूप से सोनीपत के खरखौदा सिसाना के रहने वाले हैं और वह अपने वॉट्सऐप ग्रुप, सोशल मीडिया के जरिए जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। वह 2003 से ही रक्तदान की अपनी मुहिम चला रहे हैं और इसके लिए उन्होंने एक वॉट्सऐप ग्रुप भी बनाया हुआ है जिसमें बड़ी संख्या में लोग उनसे जुड़े हैं। कोविड के दौरान जरूरतमंदों को रक्तदान करने को लेकर वह काफी चर्चित भी हुए।

वह न सिर्फ खुद रक्तदान करते हैं बल्कि अपने साथियों और लोगों को ब्लड डोनेट करने के लिए जागरूक भी करते हैं और इसके लिए वह हर साल 15 रक्तदान शिविर का आयोजन भी करते हैं ताकि किसी जरूरतमंद की बिना खून के मौत न हो। उनकी इस मुहिम की शुरुआत भी एक ऐसी घटना से ही हुई थी। वह बताते हैं, ‘एक बार मैंने एक युवा को हॉस्पिटल में मरते हुए देखा। उसकी जान इसलिए नहीं बचाई जा सकी क्योंकि उसे चढ़ाने के लिए हॉस्पिटल में खून उपलब्ध नहीं था। यह बात मेरे दिल को चोट दे गई और उस दिन मुझे इस बात का अहसास हुआ कि रक्तदान से किसी का जीवन बचाया जा सकता है। इसके बाद से बस मेरे जीवन का एक ही लक्ष्य है और वह यह कि दिल्ली में बाहर से आने वाले ऐसे जरूरतमंदों मरीजों की मदद की जाए जिनका इस शहर में कोई परिचित नहीं है और उनकी मदद करने वाला यहां कोई नहीं है।’

हाल ही में अपनी भतीजी के जन्मदिवस के मौके पर 126वीं बार रक्तदान करने वाले दहिया ट्विटर पर लिखते हैं- कोई रक्तदान करता है, कोई रक्तपात करता है। अपना कर्म ही अपना धर्म है। हालांकि शुरुआत में उनके लिए यह आसान नहीं था क्योंकि उनका परिवार खासकर उनकी मां ने उन्हें खून भला-बुरा सुनाया था जब उन्होंने पहली बार ब्लड डोनेट किया था। लेकिन अब उनका परिवार उनका पूरा सपोर्ट करता है और उनकी मां को उनपर नाज़ है। ब्लड डोनेशन को लेकर लोगों के मन में मिथ पर उनका कहना है कि लोग रक्तदान से इसलिए बचते हैं कि उन्हें लगता है ऐसा करने से उनके शरीर में कमजोरी आ जाएगी जबकि ऐसा कुछ नहीं है।

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