ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क ने आते ही विजया गाड्डे को ट्विटर से निकाल दिया है! आखिरकार ट्विटर को दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने टेकओवर कर लिया। विवादों के बीच सात महीनों से चल रही 44 अरब डॉलर की डील गुरुवार को पूरी हो गई। ट्विटर का मुखिया बनते ही 51 वर्षीय मस्क ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट के CEO पराग अग्रवाल, पॉलिसी हेड और लीगल मामलों की टॉप अफसर विजया गाड्डे, CFO नेड सेगल और जनरल काउंसल सीन एजेट को बर्खास्त कर दिया। इसके बाद मस्क ने ट्वीट किया कि ‘पंछी आजाद हुआ।…अच्छे दिन आने दें।’ मस्क इन अफसरों पर ट्विटर में फर्जी खातों को लेकर निवेशकों को गुमराह करने का आरोप लगाते रहे हैं। एजेट को तो ऑफिस से बाहर निकाला गया। जो 4 टॉप एक्जीक्यूटिव्स निकाले गए, उनमें से दो भारतीय मूल के हैं। पराग अग्रवाल तो ज्यादा दिन CEO नहीं रहे, लेकिन गाड्डे काफी ताकतवर थीं।
ट्विटर का कंट्रोल हाथ में लेने के साथ ही मस्क ने पराग अग्रवाल और विजया गाड्डे को बाहर कर दिया। गाड्डे ट्विटर में पॉलिसी, लीगल और सेफ्टी इशूज जैसे अहम डिपार्टमेंट्स देख रही थीं। वह कंपनी की लीगल डायरेक्टर भी रही हैं। मीडिया उन्हें ट्विटर का ‘मॉरल अथॉरिटी’ बताता था। 2014 में ‘फॉर्च्यून’ ने विजया गाड्डे को ट्विटर की सबसे ताकतवर महिला एक्जीक्यूटिव बताया था।
एलन मस्क ने जब ट्विटर को खरीदने की पेशकश की और सौदा तय हुआ, उससे विजया गाड्डे खासी दुखी थीं। अप्रैल 2022 में, विजया ने ट्विटर की पॉलिसी और लीगल टीमों की वर्चुअल मीटिंग बुलाई। नए मालिक के बाद स्टाफ का क्या होगा, इसपर बात हो रही थी। विजया यह बताते-बताते कि कंपनी कैसे बदल जाएगी, रोने लगीं। रिपोर्ट के अनुसार, विजया ने माना कि मस्क के नेतृत्व में कंपनी कैसी होगी, इसे लेकर काफी अनिश्चितताएं हैं। उनकी आशंकाएं सच साबित हुईं। मस्क ने विजया समेत टॉप एक्जीक्यूटिव्स को बाहर कर दिया है। Twitter स्टाफ में भी तगड़ी कटौती के संकेत हैं।
विजया को कंपनी का ‘सबसे ताकतवर कर्मचारी’ यूं ही नहीं बताया जाता। वह कई मौकों पर Twitter के साथ जुड़े विवादों के केंद्र में रहीं। 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान सभी तरह के राजनीतिक विज्ञापन हटाने का फैसला विजया का ही था। उन्होंने ही जैक डॉर्सी को मनाया। कैपिटल हिल पर उपद्रव के बाद, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ट्विटर अकाउंट बंद करने का फैसला भी विजया गाड्डे ने लिया। ट्रंप समर्थकों ने तभी कहा था कि ‘डॉर्सी कंपनी का पब्लिक फेस हैं मगर प्रॉडक्ट और स्ट्रैटजी से लेकर, ट्विटर के नियमों से जुड़े सभी फैसले विजया करती हैं।’तीन साल की उम्र में अमेरिका आईं विजया की परवरिश टेक्सस में हुई है। कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से बैचलर्स और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ से वकालत की पढ़ाई करने वाली विजया 2018 में भारत आई थीं। विजया और ट्विटर फाउंडर जैक डॉर्सी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिले थे।
नवंबर 2018 में जैक डॉर्सी और विजया गाड्डे भारत आए। यहां उन्होंने कुछ महिला पत्रकारों, एक्टिविस्ट्स से मुलाकात की। इस मीटिंग के दौरान जैक के हाथों में एक प्लेकार्ड था जिसपर लिखा था ‘Smash Brahminical patriarchy’। तस्वीर पर खूब बवाल मचा कि ट्विटर के स्टाफ को राजनीतिक संदेश देने की क्या जरूरत है। ट्विटर इंडिया ने बयान में कहा कि डॉर्सी को यह प्लेकार्ड किसी दलित एक्टिविस्ट ने पकड़ाया था।
हालांकि कुछ देर बाद, विजया गाड्डे ने माफी मांग ली। उन्होंने एक ट्वीट में तब कहा था, ‘मैं इसके लिए बेहद दुखी हूं। यह हमारे विचारों का नहीं दर्शाता।विजया को कंपनी का ‘सबसे ताकतवर कर्मचारी’ यूं ही नहीं बताया जाता। वह कई मौकों पर Twitter के साथ जुड़े विवादों के केंद्र में रहीं। 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान सभी तरह के राजनीतिक विज्ञापन हटाने का फैसला विजया का ही था। उन्होंने ही जैक डॉर्सी को मनाया। कैपिटल हिल पर उपद्रव के बाद, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ट्विटर अकाउंट बंद करने का फैसला भी विजया गाड्डे ने लिया। ट्रंप समर्थकों ने तभी कहा था कि ‘डॉर्सी कंपनी का पब्लिक फेस हैं मगर प्रॉडक्ट और स्ट्रैटजी से लेकर, ट्विटर के नियमों से जुड़े सभी फैसले विजया करती हैं।’तीन साल की उम्र में अमेरिका आईं विजया की परवरिश टेक्सस में हुई है। कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से बैचलर्स और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ से वकालत की पढ़ाई करने वाली विजया 2018 में भारत आई थीं। विजया और ट्विटर फाउंडर जैक डॉर्सी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिले थे। हमें जो गिफ्ट दिया गया, हमने उसके साथ एक निजी तस्वीर ली- हमें थोड़ा और सोचना चाहिए था। ट्विटर सबके लिए निष्पक्ष प्लेटफॉर्म बनने की कोशिश करता है। हम यहां ऐसा करने में नाकाम रहे और हमें भारत में अपने ग्राहकों की सेवा के लिए और बेहतर करना चाहिए।’