इस साल रामनवमी पर कई दंगे सामने आए! उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र,जी नहीं, ये उन राज्यों की लिस्ट नहीं जहां कोरोना फैल रहा है। ये वे राज्य हैं जहां रामनवमी के मौके पर नफरत का वायरस फैला। और भी इलाके होंगे जहां की बात मीडिया की सुर्खियां नहीं बन पाई। इस कदर नफरत भर चुकी है कि नागरिकों को मूलभूत स्वतंत्रता भी हासिल नहीं। रामनवमी के दिन बंगाल का हावड़ा हो या बिहार का नालंदा, महाराष्ट्र का औरंगाबाद हो या गुजरात का वडोदरा, भगवान राम का जुलूस निशाना बना। पत्थरबाजी, आगजनी की गई। एक साजिश के तहत हिंसा को हवा भी मिली। अगर आप देश को इस आधार पर बांटेंगे कि फलां इस धर्म का इलाका है और फलां दूसरे धर्म का तो यही होगा। ‘अपने इलाके में दूसरे को आने से रोकना है’, इस मानसिकता के लोग ही ऐसी हरकतें करते हैं। इस बार तो सबके चेहरे भी दिख रहे हैं। पहचाना जा सकता है कि ये दंगाई कौन हैं। रामनवमी पर पहली बार हिंसा नहीं हुई। पिछले साल भी रामनवमी पर निकले जुलूस निशाना बने थे। बात सिर्फ रामनवमी भर की नहीं है, दंगाइयों की नजर हिंदुओं के लगभग हर सामूहिक त्योहार पर है। पिछले साल हनुमान जयंती याद कीजिए। ज्यादातर राज्य यही थे जहां पर हिंसा हुई। एमपी, झारखंड, आंध्र प्रदेश समेत कम से कम 10 राज्यों में कई दिन तक छिटपुट हिंसा का दौर चला। अभी होली के दौरान भी कुछ हिस्सों में झड़पें हुईं।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने हिंसा को लेकर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोला। उन्होंने ट्वीट किया, ‘बंगाल जल रहा है, रामभक्तों पर पथराव हो रहा है, पत्रकारों को पीटा जा रहा है, और ममता दीदी चुप हैं, आखिर क्यों? प्रेस फ्रीडम की बात करने वाले ममता राज में पत्रकारों और रामभक्तों की पिटाई पर होंठ सिले बैठे हैं। आखिर क्यों? किसकी शह पर बंगाल अराजकों और दंगाइयों के हवाले है?’ वहीं, ममता ने दावा किया कि रामनवमी के दिन हावड़ा में हुई हिंसा के लिए BJP और दूसरे दक्षिणपंथी संगठन जिम्मेदार हैं। उन्होंने लोगों से इलाके में शांति बनाए रखने की अपील की।
बनर्जी ने एक बांग्ला न्यूज चैनल से कहा, ‘हावड़ा की घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। हावड़ा में हिंसा के पीछे न तो हिंदू थे और न ही मुस्लिम थे। बजरंग दल और अन्य ऐसे संगठनों के साथ BJP हथियारों के साथ हुई इस हिंसा में शामिल थी।’इस मानसिकता के लोग ही ऐसी हरकतें करते हैं। इस बार तो सबके चेहरे भी दिख रहे हैं। पहचाना जा सकता है कि ये दंगाई कौन हैं। रामनवमी पर पहली बार हिंसा नहीं हुई। पिछले साल भी रामनवमी पर निकले जुलूस निशाना बने थे। बात सिर्फ रामनवमी भर की नहीं है, दंगाइयों की नजर हिंदुओं के लगभग हर सामूहिक त्योहार पर है। पिछले साल हनुमान जयंती याद कीजिए। ज्यादातर राज्य यही थे जहां पर हिंसा हुई। एमपी, झारखंड, आंध्र प्रदेश समेत कम से कम 10 राज्यों में कई दिन तक छिटपुट हिंसा का दौर चला। अभी होली के दौरान भी कुछ हिस्सों में झड़पें हुईं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उन सभी लोगों की मदद करेगी जिनकी संपत्तियों को झड़पों के दौरान नुकसान पहुंचा। प्रशासन के एक वर्ग में शिथिलता का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि संघर्ष में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस से बात की और हावड़ा में हुई हिंसा की स्थिति का जायजा लिया।
हिंसा के बाद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने बड़ी सही बात कही।इस मानसिकता के लोग ही ऐसी हरकतें करते हैं। इस बार तो सबके चेहरे भी दिख रहे हैं। पहचाना जा सकता है कि ये दंगाई कौन हैं। रामनवमी पर पहली बार हिंसा नहीं हुई। पिछले साल भी रामनवमी पर निकले जुलूस निशाना बने थे। बात सिर्फ रामनवमी भर की नहीं है, दंगाइयों की नजर हिंदुओं के लगभग हर सामूहिक त्योहार पर है। पिछले साल हनुमान जयंती याद कीजिए। ज्यादातर राज्य यही थे जहां पर हिंसा हुई। एमपी, झारखंड, आंध्र प्रदेश समेत कम से कम 10 राज्यों में कई दिन तक छिटपुट हिंसा का दौर चला। अभी होली के दौरान भी कुछ हिस्सों में झड़पें हुईं। एक बयान जारी कर उन्होंने कहा, ‘जो लोग इस भ्रम में हिंसा का सहारा लेते हैं कि वे लोगों को धोखा दे सकते हैं, उन्हें जल्द ही एहसास होगा कि वे मूर्खों के स्वर्ग में हैं। दोषियों को पकड़कर कानून के सामने लाने के लिए प्रभावी और ठोस कार्रवाई होगी।’ एकदम यही होना चाहिए। हिंसा करने वाला चाहे किसी भी धर्म का हो, कानून का डंडा सब पर एकसमान चोट करे। आखिर रामनवमी पर माहौल खराब करने वाले दंगाइयों को भी पता चले कि नफरत की जो आग वे लगा रहे हैं, एक दिन उसमें उन्हीं को जलकर खाक होना है।