आखिर कौन होगा 2024 में विपक्ष का महा नेता?

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2024 में विपक्ष का महा नेता अब कोई और ही बनने वाला है! विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A की लॉन्चिंग में सोनिया गांधी की बड़ी भूमिका रही। बेंगलुरु में जमा हुए 26 राजनीतिक दलों को एक तरह से सोनिया ने लीड किया। वहां सोनिया की मौजूदगी से कांग्रेस ने एक तीर से कई शिकार कर डाले। सोनिया के मीटिंग में होने से क्षेत्रीय दलों को भरोसा मिला है, ‘मैं हूं ना।’ कांग्रेस अपने सहयोगियों के साथ खड़ी दिखेगी, यह मेसेज देने की कोशिश हुई। सोनिया की मौजूदगी से बाकी विपक्षी दल कोई दांव भी नहीं चल पाए। सोनिया का राजनीतिक रिकॉर्ड शानदार रहा है। करीब 20 साल पहले, सोनिया ने ही संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन UPA का खाका खींचा था। 2004 और 2009 के आम चुनावों में कांग्रेस तीन गठबंधन को जीत दिलाई। सोनिया का आभामंडल ऐसा है कि बड़े से बड़े नेता भी उनका नाम आते ही मंद पड़ जाता है। पटना की बैठक में राहुल गांधी लीड कर रहे थे तो बेंगलुरु में सोनिया। पार्टी में राहुल की पूछ ज्यादा है मगर विपक्षी खेमे में तो सोनिया की स्वीकार्यता है। यह बात भी साफ है कि सोनिया 2024 की लड़ाई में विपक्ष की सूत्रधार नहीं होंगी। उनकी तबीयत ठीक नहीं रहती। मगर वह गठबंधन के भीतर कांग्रेस की ढाल बनकर रहेंगी। बीजेपी और नरेंद्र मोदी के खिलाफ 2024 लोकसभा चुनाव में विपक्ष गठबंधन की अगुवाई तो कोई और ही करेगा!

सोनिया की तबीयत नासाज रहती है, ऐसे में वह I.N.D.I.A के लिए अधिक सक्रियता नहीं दिखा पाएंगे। हां, विपक्ष के खेमे में कुछ मतभेद उभरे तो सोनिया की मदद जरूर ली जाएगी। I.N.D.I.A में सोनिया गांधी का होना कांग्रेस और राहुल, दोनों को नीतीश कुमार, शरद पवार, ममता बनर्जी जैसे बड़े नेताओं से ‘कवच’ की तरह बचाएगा। विपक्षी दलों की अगली बैठक मुंबई में होनी है, वहीं पर I.N.D.I.A का चेयरपर्सन चुना जा सकता है। चर्चा है कि सोनिया को यह जिम्मेदारी मिल सकती है, वह यूपीए की चेयरपर्सन भी रही हैं। नीतीश को I.N.D.I.A का संयोजक बनाया जा सकता है।

क्‍या कानून की कसौटी पर खरा उतरेगा विपक्ष का I.N.D.I.A?26 विपक्षी दलों ने अपने गठबंधन का नाम I.N.D.I.A रखा है। यह कैची तो है मगर सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या देश का नाम का किसी राजनीतिक मोर्चे के लिए इस्तेमाल हो सकता है? इस नाम की कानूनी वैधता को चुनौती जरूर दी जाएगी। ऐसे में विपक्ष को उसका भी ध्यान रखना होगा। कहीं चुनाव से ऐन पहले अदालत का फैसला उसके खिलाफ गया तो?

आपको बता दें कि साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों के बीच दूसरी बार बैठक हुई थी। इससे पहले पहली बार बैठक का आयोजन बिहार में किया गया था। हालांकि, उस बैठक में विपक्षी दलों के गठबंधन के नाम को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया था, लेकिन अब बेंगलुरु में हुई बैठक में विपक्षी दलों के गठबंधन को इंडिया नाम मिला है। इंडिया नाम से बना विपक्षी दलों का ये गठबंधन कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए का एक नया वर्जन है। हालांकि, इस गठबंधन में सीट बंटवारे और मोर्चे के लिए पीएम के चेहरे समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इसके लिए जल्द ही 11 सदस्यीय समन्वय समिति का गठन किया जा सकता है।

26 विपक्षी दलों वाले ‘INDIA’ की बड़ी परीक्षा अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के NDA से होगी। आज बेंगलुरु में हुई विपक्षी दलों की बैठक में गठबंधन के नाम का प्रस्ताव राहुल गांधी ने प्रस्तावित किया था। इस नाम को 26 दलों द्वारा सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। हालांकि, कुछ सूत्रों ने कहा कि इस नाम का सुझाव टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने दिया था। दरअसल, इस गठबंधन का मुख्य उद्देश्य किसी भी हालत में भाजपा को केंद्र की सत्ता पर काबिज होने से रोकना है। इसके अलावा INDIA गठबंधन का मकसद भारत के संविधान की रक्षा करना, समावेशी विकास को बढ़ावा देना, भारत के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को कायम रखना समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं।

इस गठबंधन का नेता कौन होगा, इसके लिए 11 सदस्यों की एक समिति गठित की जाएगी। इस बात की जानकारी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दी। उन्होंने कहा कि समन्वय के लिए 11 सदस्यों की एक समिति गठित की जाएगी और मुंबई में विपक्ष की अगली बैठक में एक संयोजक का चयन किया जाएगा। खरगे ने यह भी कहा कि गठबंधन के अभियान प्रबंधन के लिए दिल्ली में एक कार्यालय भी स्थापित किया जाएगा और अलग-अलग मुद्दों के लिए विशिष्ट समितियां बनाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि मुंबई बैठक की तारीख की घोषणा जल्द होगी।