वर्तमान में देश में सामूहिक आत्महत्या के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं! जिंदगी किसे अच्छी नहीं लगती, लेकिन फिर भी कोई मौत को गले लगा ले और वो भी अकेला नहीं अपने पूरे परिवार के साथ तो दिल दहल जाता है। आज सूरत में एक ही परिवार के 7 लोगों ने आत्महत्या कर ली। ये खबर जिसने भी सुनी उसके होश उड़ गए। इसके ठीक एक महीने पहले जयपुर में भी एक परिवार ने सुसाइड कर लिया था। पत्नी पत्नी और चौदह साल का बेटा जहर खाकर मौत की नींद सो गए थे। कुछ महीनों पहले भोपाल में भी एक शख्स ने अपने दो छोटे-छोटे बच्चों और पत्नी के साथ मौत को गले लगाया था। आत्महत्या अपराध है, लेकिन ऐसी वारदातों का जिम्मेदार कौन है क्या सिर्फ वो इंसान जो इतना मजबूर है कि अपने आशियाने को ही श्मशान में तब्दील कर रहा है? खैर सबसे पहले जान लीजिए इन तीनों परिवारों ने जिंदगी को छोड़कर मौत के साये में जाना क्यों चुना। सूरत के पालनपुर पाटिया इलाके का एक घर। इस घर में मनीष सोलंकी उनकी पत्नी, 3 छोटे-छोटे बच्चे और माता-पिता रहते थे। आस-पड़ोस में उठना बैठना, हर किसी को लगता था मनीष का एक खुशहाल परिवार है, लेकिन आज सुबह जब इस घर में एक के बाद एक अलग-अलग साइज, अलग अलग उम्र की 7 लाशें दिखी तो आस पड़ोस वाले ही नहीं पूरा देश दहल गया। मनीष सोलंकी का फर्नीचर का कारोबार था, वो नुकसान से परेशान थे। पैसों की तंगी थी। सुसाइड नोट में किसी को उधार देने का भी जिक्र है। सोचिए ये परिवार इतना मजबूर था, लेकिन अपार्टमेंट में जहां शायद ये सालों से रहते होंगे अड़ोस-पड़ोस वालों को कुछ भी पता नहीं। जब सुसाइड हो गया तब जाकर हर कोई जागा। माना जा रहा है कि सिद्धेश्वर ने पूरे परिवार को जहर देने के बाद खुद फांसी लगा ली।
जयपुर में भी पिछले महीने ऐसी ही रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना सामने आई। नवीन सैन जो एक केमिस्ट थे उन्होंने अपनी पत्नी, अपने 14 साल के बेटे और खुद के जूस में जहर मिलाया और तीनों ने मौत को गले लगा लिया। नवीन की दोनो किडनियां खराब हो चुकी थी जिसकी वजह से वो घर पर ही रहते थे। उनका बड़ा बेटा मेडिकल स्टोर चला रहा था। आर्थिक तंगी और बीमारी ने नवीन सैन को तोड़ दिया और उन्होंने परिवार के साथ मौत को चुना। शायद वो अपना दर्द किसी बांट ही नहीं पाए।
दो प्यारे-प्यारे बच्चों की लाश एक घर में पड़ी थी, साथ ही माता-पिता की भी। भूपेन्द्र विश्वकर्मा क परिवार ने भी इसी साल मास सुसाइड किया। भूपेन्द्र ने अपनी पत्नी, 3 साल की बेटी और 8 साल के बेटे को सल्फास की गोलियां दी और फिर खुद पंखे में लटक कर जान दे दी। इस परिवार की जब सेल्फी सामने आई तो देखकर हर किसी का दिल दहल गया। कितना खुशहाल परिवार लग रहा था, लेकिन कर्ज के बोझ में भूपेन्द्र फंसते चले गए थे। भूपेन्द्र ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि वो एक ऑनलाइन गेमिंग एप के जाल में फंस गए थे जिसके बाद उनके ऊपर लोन का बोझ डाल दिया गया था। उन्हें ब्लैकमेल भी किया जा रहा था। बस समाज के डर और कर्ज की चिंता ने उन्हें इतना खौफनाक कदम उठाने में मजबूर कर दिया।
सोचिए किस समाज में जी रहे हैं हम। आस पड़ोस, नाते रिश्तेदार, दोस्त, सोशल मीडिया फ्रेंड्स क्या किसी के पास भी दूसरे की मजबूरी को समझने का वक्त नहीं है। एक दूसरे से सटे हुए घर जरूर है, लेकिन किसी की परेशानियों से किसी का कोई लेना देना नहीं। कहने को तो अपने कई हैं, लेकिन जब मुसीबत है तो आपके पास कोई एक शख्स नहीं जिसे आप अपनी परेशानी तक बता सकें। फर्नीचर का कारोबार था, वो नुकसान से परेशान थे। पैसों की तंगी थी। सुसाइड नोट में किसी को उधार देने का भी जिक्र है। सोचिए ये परिवार इतना मजबूर था, लेकिन अपार्टमेंट में जहां शायद ये सालों से रहते होंगे अड़ोस-पड़ोस वालों को कुछ भी पता नहीं। जब सुसाइड हो गया तब जाकर हर कोई जागा। माना जा रहा है कि सिद्धेश्वर ने पूरे परिवार को जहर देने के बाद खुद फांसी लगा ली।इन तीनों ही घटनाओं में आर्थिक तंगी सबसे बड़ी वजह थी। इन तीनों ही परिवारों को बचाया जा सकता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दोस्त, रिश्तेदार, समाज, सरकार हर कोई मौत के बाद घड़ियाली आंसूओं को लिए तैयार हैं, लेकिन कब जब आशियाने उजड़ गए, हंसते खेलते घर मुर्दाघर बन गए।