आखिर इजरायल के साथ खुलकर सामने क्यों आया भारत?

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भारत अब खुलकर इजरायल का साथ दे रहा है! इजरायल पर हमास के बर्बर हमले के बाद दुनिया दो भागों में बंट गई है। मुस्लिम सोसायटी आम तौर पर हमास की सफलता का जश्न मना रही है तो बाकी समुदायों की सहानुभूति इजरायल से जुड़ती दिख रही है। भारत ने भी इतिहास में पहली बार बिल्कुल स्पष्ट रुख दिखाते हुए हमास की कार्रवाई को आतंकी हमला करार दिया है। हमले के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सोशल मीडिया पोस्ट से साफ हो गया कि भारत ने इजरायल का खुलकर समर्थन करने का फैसला कर लिया है। इसी की पुष्टि मंगलवार को पीएम मोदी के एक और एक्स पोस्ट से हुई है। उन्होंने अपनी इस पोस्ट में बताया है कि उनकी इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बात हुई है। पीएम मोदी ने पोस्ट में लिखा, ‘मैं प्रधानमंत्री नेतन्याहू को उनके फोन कॉल और मौजूदा स्थिति पर अपडेट देने के लिए धन्यवाद देता हूं। इस मुश्किल घड़ी में भारत के लोग इजरायल के साथ दृढ़ता से खड़े हैं। भारत किसी भी तरह के आतंकवाद और आतंकी गतिविधि की कड़ी और साफ शब्दों में निंदा करता है।’ इससे पहले भारत मुस्लिम वर्ल्ड की संभावित नाराजगी के दबाव में फिलिस्तीन के साथ संघर्ष की स्थिति में कभी इजरायल के साथ यूं खुलकर खड़ा नहीं होता था। तो सवाल है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि भारत ने इस बार मुस्लिम दुनिया की परवाह किए बिना अपना रुख साफ कर दिया?

भारत को कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने गहरे जख्म दिए हैं। मोदी सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को आर्टिकल 370 को निष्प्रभावी करके कश्मीर में अलगाववादी अभियानों पर जोरदार प्रहार किया। उधर, हमास ने इजरायल की सीमा में घुसकर जिस तरह बर्बरता की है, उसने भारत को निश्चित रूप से कश्मीर में पुराने दिनों की याद दिला दी। वैसे भी पाकिस्तान ने कश्मीर में आतंकी गतिवधियों को अंजाम देने का आइडिया फिलिस्तीन से ही लिया था।

उसने ‘भारत को हजारों जख्म देकर लहूलुहान करने’ की नीति को अंजाम तक पहुंचाने के लिए फिलिस्तीनी मॉडल को ही अपनाया। लेकिन भारत की पहली की सरकारें कभी पाकिस्तान के खिलाफ ही कड़ा स्टैंड नहीं ले पाती थीं तो फिर पूरे मुस्लिम वर्ल्ड को नाराज होने की गुंजाइश भी कैसे छोड़तीं? मौजूदा मोदी सरकार ने एक तरफ पाकिस्तान में सर्जिकल और एयर स्ट्राइक की तो दूसरी तरफे अरब वर्ल्ड के कई मुस्लिम देशों के साथ रिश्तों को नई ऊंचाई तक ले गई। यही कारण है कि आज भारत हमास को खुलकर आतंकी संगठन कहने की स्थिति में आ पाया है।

दरअसल, 1948 में इजरायल के अस्तित्व में आने के बाद से ही भारत का उसके साथ संबंध परोक्ष रूप से ही सही, लेकिन दोस्ताना ही रहे। यह अलग बात है कि भारत ने तब संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के अस्तित्व को नकार दिया था, लेकिन अगले ही वर्ष मुंबई में इजरायल का वाणिज्य दूतावास भी खुल गया। तब से इजरायल ने भारत को जरूरत की घड़ी में हमेशा साथ दिया। यहां तक कहा जाता है कि 1962 में चीन जबकि 1965 और 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्धों में भी इजरायल ने भारत की मदद की थी। हालांकि, तब दोनों देशों के बीच आधिकारिक कूटनीतिक संबंध भी स्थापित नहीं हुए थे।

विश्लेषकों की मानें तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की वर्ष 1984 में हत्या हुई तो भारत और इजरायल और करीब आ गए। मां इंदिरा की हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तो उनकी वीआईपी सिक्यॉरिटी के लिए एसपीजी और एनएसजी का गठन हुआ। बीबीसी का हिंदी न्यूज पोर्टल रक्षा विशेषज्ञ राहुल बेदी के हवाले से लिखता है, ‘इन जवानों को ट्रेनिंग इसरायली जवानों की ट्रेनिंग की तर्ज पर दी गई।’ फिर पाकिस्तान ने परमाणु बम बनाकर भारत-इजरायल की दोस्ती को नई मजबूती दे दी। भारत के लिए तो पाकिस्तान का परमाणु देश बनना खतरनाक है ही, इजरायल को डर लगा कि कहीं यह परमाणु बम उसके दुश्मन देश ईरान या किसी इस्लामी आतंकी संगठन के हाथ न लग जाए। बीबीसी हिंदी लिखता है, ‘इसराइली नेताओं का तर्क है कि इजरायल की तरह भारत के पड़ोस में हालात अच्छे नहीं हैं और दोनों देशों को एक-दूसरे का साथ चाहिए।’

खैर, जहां तक बात इजरायल की मदद की है तो वर्ष 1999 में इजरायल एकमात्र देश था जिसने भारत को कारगिल युद्ध में एरियल ड्रोन, गोला-बारूद, लेजर-गाइडेड मिसाइलें और अन्य हथियार देकर सीधी मदद की। इतना ही नहीं, इजरायल ने 26/11 के मुंबई हमले के दौरान भी भारत को मदद का ऑफर दिया था। इजरायल ने भारत से कहा था कि वो महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों में घुसे पाकिस्तानी आतंकवादियों की सफाई के अभियान में चौतरफा मदद कर सकता है। मुंबई हमले में 166 निर्दोष लोगों की मौत हुई थी जिसमें इजरायली नागरिक भी शामिल थे। भारत-इजरायल के दोस्ताना संबंध की मिसाल तब भी देखी गई जब भारत को कोविड की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। तब इजरायल ने इस वैश्विक महामारी से निपटने के लिए भारत को ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर सहित चिकित्सा सहायता मुहैया कराई।