आखिर उपेंद्र कुशवाहा ने क्यों ली Y प्लस सिक्योरिटी?

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उपेंद्र कुशवाहा को Y प्लस सिक्योरिटी मिल चुकी है! बिहार की राजनीति का सिरा जैसे-जैसे आगामी लोकसभा चुनाव 2024 की तरफ बढ़ता जा रहा है। बीजेपी वर्तमान सरकार को जंगल राज 2 के दायरे में समेटने का एक भी मौका नहीं छोड़ रही है। सदन से ले कर सड़क तक बीजेपी एक रणनीति के तहत राज्य में तमाम अपराध के मामलों को उठा रही है। जंगलराज का सबसे बड़ा संदेश तो बीजेपी राज्य के उन नेताओं को विशेष सुरक्षा दे कर फैला रही है जो महागठबंधन की राजनीति से खुद को अलग कर चुके हैं। वैसे नेता भी जो अलग होने वाले हैं। इस कड़ी में राज्य के कई नेता को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने शामिल किया है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से उपेंद्र कुशवाहा भी अब केंद्र सरकार की नजरों में महत्त्वपूर्ण हो गए हैं।बिहार की राजनीतिक गलियारों में यह कहा जा रहा है कि जदयू से अलग होकर अपनी नई पार्टी बनाने वाले उपेंद्र कुशवाहा को बतौर तोहफा केंद्र सरकार की ओर से वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। दरअसल कुशवाहा बीते कुछ दिनों से नीतीश कुमार के खिलाफ हमलावर हैं। बीते दिनों ही कुशवाहा ने नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड से अलग होकर नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल का गठन किया था।

भाजपा की आगामी राजनीति की धूरी कुशवाहा वोट को समेट कर अपना वोट प्रतिशत बढ़ाने की है। अभी तक की राजनीति में परोक्ष रूप से भाजपा बिहार में अकेले है। संभावनाओं के दायरे में चिराग पासवान, मुकेश सहनी, आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा ही ऐसे नेता बचे हैं जो महागठबंधन के प्रभाव में नही है और एनडीए को मजबूत आधार दे सकते हैं।

विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआईपी के नेतृत्वकर्ता मुकेश सहनी को वाई प्लस कैटेगरी की सुरक्षा दी है। हालांकि भाजपा अपने दामन को स्वच्छ दिखाने के लिए कह रही है कि केंद्र सरकार इंटेलिजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट के आधार पर यह सुरक्षा अब मुकेश सहनी को देने का मन बनाया है। अभी तक की राजनीति में परोक्ष रूप से भाजपा बिहार में अकेले है। संभावनाओं के दायरे में चिराग पासवान, मुकेश सहनी, आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा ही ऐसे नेता बचे हैं जो महागठबंधन के प्रभाव में नही है और एनडीए को मजबूत आधार दे सकते हैं।अब इनकी सुरक्षा में 11 सुरक्षाकर्मी साथ में रहेंगे। राजनीतिक गलियारों में इसे न केवल मुकेश सहनी की जरूरत के रूप में देखा जा रहा ही बल्कि इस फैसले के साथ जंगल राज का प्रभाव दिखाना चाहती है।

इसके पूर्व भी लोजपा (आर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को भी सुरक्षा सुरक्षा के खेल में शामिल किया गया है।अभी तक की राजनीति में परोक्ष रूप से भाजपा बिहार में अकेले है। संभावनाओं के दायरे में चिराग पासवान, मुकेश सहनी, आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा ही ऐसे नेता बचे हैं जो महागठबंधन के प्रभाव में नही है और एनडीए को मजबूत आधार दे सकते हैं। ।केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुछ दिन पहले चिराग पासवान को जेड कैटेगरी की सुरक्षा दी। इसके बाद अब चिराग के साथ लगभग 22 सुरक्षाकर्मी साथ में रहेंगे। हालांकि इसके पहले उन्हें वाई सुरक्षा मुहैया कराया गया था। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि चिराग पासवान को उप चुनाव में भाजपा को दो सीटों पर जीत दिलाने का उपहार दिया गया। भाजपा नेतृत्व की नजर लोजपा के सात प्रतिशत वोट पर है।

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इस संदर्भ में बिहार सरकार से कोई फीड बैक नही ली गई।अभी तक की राजनीति में परोक्ष रूप से भाजपा बिहार में अकेले है। संभावनाओं के दायरे में चिराग पासवान, मुकेश सहनी, आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा ही ऐसे नेता बचे हैं जो महागठबंधन के प्रभाव में नही है और एनडीए को मजबूत आधार दे सकते हैं।अभी तक की राजनीति में परोक्ष रूप से भाजपा बिहार में अकेले है। संभावनाओं के दायरे में चिराग पासवान, मुकेश सहनी, आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा ही ऐसे नेता बचे हैं जो महागठबंधन के प्रभाव में नही है और एनडीए को मजबूत आधार दे सकते हैं।राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि चिराग पासवान को उप चुनाव में भाजपा को दो सीटों पर जीत दिलाने का उपहार दिया गया। भाजपा नेतृत्व की नजर लोजपा के सात प्रतिशत वोट पर है। आईबी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। खूफिया विभाग की रिपोर्ट पर गृह मंत्रालय ने उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान या मुकेश सहनी को सुरक्षा दी गई है। वैसे तो यह सुरक्षा का मामला है पर इससे भाजपा को भी अपने किले को चाक चौबंद रखने में भी मदद मिलेगी।