आखिर किसानों का साथ क्यों दे रही है कांग्रेस क्या है उद्देश्य?

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आज हम आपको बताएंगे कि किसानों का साथ कांग्रेस क्यों दे रही है और उसका उद्देश्य क्या है! फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी समेत कई दूसरी मांगों को लेकर किसान दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। सरकार की ओर से किसानों के साथ बातचीत की कोशिश जारी है लेकिन बात अब तक बनी नहीं है। किसानों की कई मांगों को सरकार ने मान लिया है लेकिन तीन मांगों पर मामला अटका है। किसानों के दिल्ली कूच को देखते हुए हरियाणा से लेकर दिल्ली के बॉर्डर पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है। किसानों ने अपनी मांगों के समर्थन में 16 फरवरी को भारत बंद बुलाया है। इन सबके बीच कांग्रेस पूरी तरह से इस मुद्दे पर बीजेपी को घेरने में जुटी है। जिस गारंटी की मांग किसान कर रहे हैं उसका वह समर्थन कर रही है साथ ही बंद का भी समर्थन किया है। कांग्रेस पार्टी इस पूरे मुद्दे पर फ्रंटफुट पर खेलती नजर आ रही है। किसानों के दिल्ली चलो आंदोलन के बीच कांग्रेस ने ऐलान किया है कि इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव के बाद वह सत्ता में आती है तो उसकी सरकार फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी प्रदान करेगी। इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में आने पर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का भी ऐलान किया। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले यह कांग्रेस की पहली गारंटी है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस घोषणा को लेकर कहा कि देश के किसानों के लिए ऐतिहासिक दिन। यह कदम 15 करोड़ किसान परिवारों की समृद्धि सुनिश्चित कर उनका जीवन बदल देगा। उन्होंने यह भी कहा कि हमारी एमएसपी पर कानूनी गारंटी किसानों के जीवन में 3 बड़े बदलाव लाएगी। फसल के सही दाम मिलने से किसान कर्ज की मुसीबत से छुटकारा पा जाएगा। कोई भी किसान आत्महत्या को मजबूर नहीं होगा। खेती मुनाफे का व्यवसाय होगा और किसान समृद्ध बनेगा।

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को एक के बाद एक कई झटके लग रहे हैं। विपक्षी गठबंधन इंडिया के कई साथी उसे छोड़कर जा चुके हैं और जो बचे हैं वह भी कांग्रेस को सीटों के लिए आंख दिखा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर एनडीए का कुनबा बढ़ रहा है और स्थिति मजबूत हो रही है। इन सबके बीच राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू है। चुनाव करीब है और कांग्रेस पार्टी किसी खास मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने में नाकाम रही है। चुनावी जानकार कांग्रेस के इस वादे को चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं क्योंकि एक वक्त सरकार में रहते कांग्रेस इसे नकार चुकी है। पिछली बार किसानों की मांग के आगे सरकार को झुकना पड़ा था और तीन कृषि कानून वापस हुए थे। किसानों का प्रदर्शन एक बार फिर शुरू है और कांग्रेस इस बार इस मुद्दे पर प्रदर्शनकारी किसानों के साथ पूरी तरह दिखना चाहती है। प्रदर्शनकारी किसानों में अधिक संख्या पंजाब के किसानों की है और इस राज्य में भी कांग्रेस AAP के सामने काफी कमजोर दिख रही है। ऐसे में इस मुद्दे पर वह पूरी तरह प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में खुलकर आ गई है।

केंद्र में जब यूपीए की सरकार थी तब संसद में साल 2010 में एमएसपी से जुड़ा सवाल बीजेपी की ओर से पूछा गया था। इस सवाल के जवाब में तत्कालीन यूपीए सरकार की ओर से कहा गया था कि इससे अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। बीजेपी नेता प्रकाश जावड़ेकर संसद में 16 अप्रैल 2010 को सवाल किया था कि क्या किसानों को एमएसपी दिए जाने के मसले पर सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने जा रही है। तत्कालीन राज्यसभा सांसद प्रकाश जावड़ेकर के सवाल पर उस वक्त के केंद्रीय कृषि मंत्री केवी थॉमस ने विस्तार से जवाब देते हुए बताया था कि इससे अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी। प्रदर्शनकारी किसानों में अधिक संख्या पंजाब के किसानों की है और इस राज्य में भी कांग्रेस AAP के सामने काफी कमजोर दिख रही है। ऐसे में इस मुद्दे पर वह पूरी तरह प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में खुलकर आ गई है।इस फैसले को लागू करना इतना आसान नहीं है। कांग्रेस इन मुद्दों से वाकिफ है लेकिन चुनाव से ठीक पहले वह इस मुद्दे पर बीजेपी को घेरना चाहती है। यही वजह है कि न केवल पार्टी की ओर से वादा किया जा रहा है बल्कि दूसरे मुद्दों पर भी साथ दिए जाने की बात कही जा रही है।