दिल्ली में इस बार तीसरी बार भी मेयर चुनाव नहीं हो पाया! दिल्ली में मेयर चुनाव लगातार तीसरी बार टल गया। पिछले साल दिसंबर में एमसीडी चुनाव और नतीजे घोषित होने के बाद सदन की ये तीसरी बार बैठक बुलाई गई लेकिन हर बार हंगामे की वजह से मेयर, डेप्युटी मेयर और स्टैंडिंग कमिटी के सदस्यों का चुनाव नहीं हो पाया। दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों ही एक दूसरे पर चुनाव से भागने का आरोप लगा रही हैं। AAP अब कोर्ट की निगरानी में चुनाव की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान कर दिया है। इस बार भी पेच फंसा है एल्डरमैन यानी एलजी की तरफ से 10 मनोनीत सदस्यों को लेकर। ट्विस्ट तब आया जब प्रीसाइडिंग ऑफिसर सत्या शर्मा ने ऐलान किया कि एल्डरमैन भी एमसीडी चुनाव में वोट डालेंगे। इसके अलावा पीठासीन अधिकारी ने जब दिल्ली असेंबली स्पीकर की तरफ से नॉमिनेटेड आम आदमी पार्टी के विधायकों में से दो को जब आपराधिक मामले में सजा के आधार पर वोट देने से रोकने का ऐलान किया तब AAP सदस्य और भड़क गए। आखिरकार तीसरी बार मेयर चुनाव टल गया। आखिर क्या है ये एल्डरमैन ट्विस्ट, सोमवार को एमसीडी की बैठक में क्या-क्या हुआ, AAP और बीजेपी का पक्ष क्या है और क्या है मेयर चुनाव में वोटों का गणित, आइए समझते हैं।
सोमवार को दिल्ली सिविक सेंटर में सुबह 11 बजे शुरू होने वाली एमसीडी की बैठक आधे घंटे की देरी से करीब साढ़े 11 बजे हुई। प्रीसाइडिंग ऑफिसर (पीठासीन अधिकारी) सत्या शर्मा ने ऐलान किया कि मेयर, डेप्युटी मेयर और स्टैंडिंग कमिटी के सदस्यों के चुनाव एक ही साथ होंगे। शर्मा ने ये भी स्पष्ट किया कि इसमें एल्डरमैन यानी एलजी की तरफ से नॉमिनेटेड सदस्य भी वोट डालेंगे। उनके इतना कहते ही आम आदमी पार्टी ने ऐतराज जताया। पार्टी नेता मुकेश गोयल ने कहा कि एल्डरमैन वोट नहीं डाल सकते। इस पर शर्मा ने कहा कि 16 मई 2022 के डीएमसी ऐक्ट साफ-साफ कहता है कि एल्डरमैन वोट डाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे मत सिखाएं कि क्या कहना है। फिर क्या था। आम आदमी पार्टी के सदस्य हंगामा करने लगे। जवाब में बीजेपी पार्षद भी नारेबाजी करने लगे। जिसके बाद पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने सदन की कार्यवाही को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। बाद में जब फिर कार्यवाही शुरू हुई तो पीठासीन अधिकारी ने कहा कि जिनके पास वोट देने का अधिकार नहीं है वे सदन से बाहर जाएं। शर्मा ने स्पीकर की तरफ से नॉमिनेटेड आम आदमी पार्टी के दो विधायकों संजीव झा और अखिलेश पति त्रिपाठी को सदन से बाहर जाने के लिए कहा क्योंकि दोनों को आपराधिक मामले में अदालत से सजा हुई है। इसके बाद AAP के पार्षदों ने फिर हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे को देखते हुए पीठासीन अधिकारी शर्मा ने कहा, ‘ऐसे माहौल में चुनाव नहीं हो सकता। सदन की कार्यवाही अगली तारीख तक के लिए स्थगित की जाती है।’ इस तरह तीसरी बार भी दिल्ली मेयर चुनाव नहीं हो पाया। डीएमसी ऐक्ट 1957 के तहत मेयर और डेप्युटी मेयर का चुनाव एमसीडी चुनाव के बाद सदन की होने वाली पहली ही बैठक में होना चाहिए। लेकिन चुनाव नतीजे घोषित होने के करीब दो महीने बाद भी मेयर चुनाव नहीं हो पाया है। इस दौरान निगम सदन की 6 जनवरी, 25 जनवरी और 6 फरवरी को तीन बार बैठक बुलाई गई लेकिन तीनों ही बार चुनाव नहीं हो पाया।
6 जनवरी को पहली बैठक में एल्डरमैन को सबसे पहले शपथ दिलाने को लेकर मचे हंगामे की वजह से चुनाव नहीं हो पाया। फिर 24 जनवरी को जब दूसरी बार सदन की मीटिंग बुलाई गई तब एल्डरमैन और निर्वाचित पार्षदों का शपथ तो हो गया लेकिन मेयर चुनाव नहीं हुआ जिस पर आम आदमी पार्टी ने करीब 5 घंटे तक सदन में धरना-प्रदर्शन किया। 6 फरवरी को भी एल्डरमैन को लेकर ही विवाद हुआ। इस बार आम आदमी पार्टी ने एल्डरमैन को वोटिंग का अधिकार दिए जाने पर हंगामा किया। दरअसल, डीएमसी ऐक्ट, 1957 के तहत 10 ऐसे विशेषज्ञ मनोनीत पार्षद के तौर पर चुने जाएंगे जिनके पास स्पेशल नॉलेज या निगम के प्रशासन का अनुभव हो। ऐक्ट की धारा 3(3)(b)(1) के मुताबिक, ’10 व्यक्ति जिनकी उम्र 25 साल से कम न हो और जिनके पास निगम प्रशासन का स्पेशल नॉलेज या अनुभव हो, उन्हें प्रशासक की तरफ से मनोनीत किया जाएगा।’ एलजी ने जिन 10 एल्डरमैन को नॉमिनेट किया है वे सभी बीजेपी के सदस्य हैं। उन्हें वोटिंग का अधिकार मिलने से मेयर, डेप्युटी मेयर और स्टैंडिंग कमिटी के सदस्यों के चुनाव में बीजेपी का अंकगणित मजबूत होगा।
आम आदमी पार्टी एल्डरमेन को मेयर चुनाव में वोटिंग का अधिकार दिए जाने पर ऐतराज है। इसके अलावा उसने मेयर, डेप्युटी मेयर और स्टैंडिंग कमिटी के सदस्यों के चुनाव एक साथ कराए जाने पर भी आपत्ति की है। दिल्ली के डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया ने बीजेपी पर मेयर चुनाव नहीं कराने देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि एमसीडी चुनाव में हार के बाद बीजेपी मेयर चुनाव न करवा कर अफसरों के जरिए निगम को चला रही है और AAP इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी। सिसोदिया ने कहा, ‘7 दिसंबर को एमसीडी चुनाव के नतीजे घोषित हुए और आज 6 फरवरी है। AAP को स्पष्ट बहुमत मिला लेकिन बीजेपी मेयर चुनाव नहीं होने दे रही है। 2 महीने होने के बावजूद बीजेपी एमसीडी में मेयर के चुनाव नहीं होने दे रही है। संविधान में लिखा है कि एल्डरमैन को वोट देने का अधिकार नहीं है इसके बावजूद बीजेपी की पीठासीन अधिकारी ने आज कहा कि ये मेयर के चुनाव में वोट डालेंगे। साथ ही कहा गया कि मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमिटी के मेंबर्स का चुनाव एक साथ होगा, जबकि कानून में कहा गया है कि ये एक सीक्वेंस में होंगे।’ सिसोदिया ने ये भी दावा किया कि बीजेपी उनकी पार्टी के पार्षदों को खरीदने की भी कोशिश की थी लेकिन उनमें से किसी ने भी उनकी पेशकश को स्वीकार नहीं किया।
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि आम आदमी पार्टी मेयर चुनाव टालने के लिए तरह-तरह के बहाने कर रही है। इसे लेकर बीजेपी के पार्षद, एल्डरमैन और दिल्ली के सांसद मंगलवार को आम आदमी पार्टी के मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे। बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने पार्टी के अन्य नेताओं के साथ किए गए प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि एल्डरमेन को मेयर चुनाव में वोट देने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि कानून ने केंद्र सरकार को ये अधिकार दिया है कि वह ये फैसला करे कि एमसीडी सदन में कौन वोट दे सकेगा। बीजेपी नेता राज्यसभा में मनोनीत सदस्यों का भी हवाला दे रहे हैं जिन्हें सदन में वोट देने का अधिकार होता है।
एमसीडी के 250 वार्डों के लिए पिछले साल 4 दिसंबर को वोटिंग हुई थी। 7 दिसंबर को जब नतीजे घोषित हुए तो आम आदमी पार्टी ने जबरदस्त जीत हासिल करते हुए एमसीडी की सत्ता पर पिछले 15 सालों से काबिज बीजेपी को बहुत बड़ा झटका दिया। AAP को 134, बीजेपी को 104, कांग्रेस को 9 और अन्य को 3 सीटों पर जीत मिली। मेयर चुनाव में ये सभी चुने हुए पार्षद वोट डालते हैं। इस लिहाज से आम आदमी पार्टी को मेयर चुनाव में कोई दिक्कत ही नहीं होनी चाहिए क्योंकि आंकड़े उसके पक्ष में है। लेकिन ट्विस्ट ये है कि निर्वाचित पार्षदों के अलावा दिल्ली के सांसद और स्पीकर की तरफ से मनोनीत विधायक भी वोट डालते हैं। इसके अलावा एलजी की तरफ से मनोनीत एल्डरमैन भी वोट डालेंगे। दिल्ली में कुल 10 लोकसभा सांसद हैं- 7 लोकसभा के और 3 राज्यसभा के। सातों लोकसभा सांसद बीजेपी के हैं तो तीनों राज्यसभा सांसद आम आदमी पार्टी के। इसके अलावा स्पीकर की तरफ से 14 विधायक नॉमिनेट किए जाते हैं जो मेयर चुनाव में वोट डाल सकते हैं। मौजूदा स्थिति में ये बात आप के पक्ष में है लेकिन इनमें से 2 AAP विधायकों को पीठासीन अधिकारी वोट डालने के लिए अयोग्य ठहरा चुकी हैं। 10 एल्डरमैन हैं जो बीजेपी के सदस्य हैं। यहां ध्यान रखने वाली बात ये भी है कि दिल्ली मेयर चुनाव में दलबदल विरोधी कानून लागू नहीं होता यानी क्रॉसवोटिंग करने वाले सदस्यों की सदस्यता नहीं जाएगी। इसका मतलब हुआ कि चुनाव में क्रॉसवोटिंग की गुंजाइश बनी रहेगी। अगर क्रॉस वोटिंग नहीं होती है तो आम आदमी पार्टी के पक्ष में 149 वोट और बीजेपी के पक्ष में 121 वोट मिल सकते हैं।