यह सवाल उठना लाजमी है कि छत्तीसगढ़ की जनता आखिर किस पार्टी के बड़ों पर विश्वास करेगी! छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के पहले चरण में आज 20 सीटों पर वोटिंग हो रही। जिसमें बस्तर रेंज की 12 सीटें शामिल हैं। छत्तीसगढ़ का पूरा चुनाव वादों के इर्द गिर्द घूम रहा है और चुनाव नतीजा इस बात पर निर्भर करेगा कि जनता किसके वादों पर भरोसा करती है और किसके वादे उसे ज्यादा लुभाते हैं। कांग्रेस और बीजेपी दोनों की बीच ही यहां वादों की जंग हैं। दोनों पार्टियों ने लगभग एक जैसे वादे किए हैं लेकिन टक्कर कांग्रेस के कर्ज माफी और फ्री बिजली के दांव और बीजेपी के विवाहित महिलाओं को हर साल 12 हजार रुपये देने के वादे के बीच है। बीजेपी ने वादा किया है कि उनकी सरकार बनने पर 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान की खरीदी 3100 रुपए में की जाएगी। किसानों को एक मुश्त भुगतान किया जाएगा। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान की खरीद की जाएगी और धान 3200 रुपये मे खरीदेगी। अभी भी 20 क्विंटल की खरीद की जा रही है लेकिन दाम अभी 2800 रुपये दे रहे हैं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही वादा किया है कि भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को हर साल 10000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी। कांग्रेस सरकार अभी 7 हजार रुपये दे रही है। बीजेपी ने तेंदुपत्ता संग्राहकों को प्रति मानक बोरा 5500 रुपये और 4500 के बोनस का वादा किया है तो कांग्रेस ने प्रति बोरा 6 हजार रुपये और 4 हजार रुपये बोनस का वादा किया है। बीजेपी ने 500 रुपये में गैस सिलेंडर का तो कांग्रेस ने गैस सिलेंडर में 500 रुपये की सब्सिडी का वादा किया है। बीजेपी ने छात्रों को कॉलेज आने-जाने के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से मासिक ट्रेवल अलॉउंस देने का तो कांग्रेस ने पीजी तक निशुल्क शिक्षा का वादा किया है।
कांग्रेस ने किसानों से कर्ज माफी का वादा किया है साथ ही ऐलान किया है सरकार बनने पर महिला स्वसहायता समूह का भी कर्जा माफ किया जाएगा। इसके अलावा 200 यूनिट तक फ्री बिजली का कांग्रेस का वादा है। बीजेपी ने हर विवाहित महिला को 12 हजार रुपये सालाना का वादा किया है। चुनाव का नतीजा इस पर निर्भर करेगा कि लोग कर्जमाफी पर दांव लगाते हैं या फिर महिलाओं को सालाना आर्थिक मदद पर। छत्तीसगढ़ में किसान पहले कर्जमाफी का फायदा ले चुके हैं और ऐसे में उन्हें इस पर भरोसा दिलाना कांग्रेस के लिए कठिन नहीं है, यह बात कांग्रेस के पक्ष में भी जाती है।
बीजेपी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को उसके वादों के लिए भी घेर रही है। बस्तर रेंज की 12 सीटों पर अभी कांग्रेस के ही विधायक हैं। बीजेपी को यहां से काफी उम्मीद है। जगदलपुर में बीजेपी नेता श्रीनिवास मद्दी कहते हैं कि बस्तर में रोजगार बड़ा मुद्दा है। जब बीजेपी की सरकार थी तो हमने स्थानीय लोगों को भर्ती करने पर प्राथमिकता दी थी क्योंकि जब तक वनांचल क्षेत्र में रोजगार नहीं बढ़ाएंगे विकास नहीं होगा। लेकिन कांग्रेस सरकार ने बस्तर में बस्तर के लोगों को ही प्राथमिकता देने का प्रावधान हटा दिया। जिसे लेकर लोगों में गुस्सा है। बीजेपी नेता मद्दी कहते हैं कि गोठान भी एक बड़ा मुद्दा है। वह कहते हैं कि कांग्रेस ने वादा किया था कि आवारा पशुओं के लिए गोठानों की व्यवस्था करेंगे और गोबर भी वहीं से खरीदना था। लेकिन गोठान के नाम पर भ्रष्टाचार चल रहा है। उन्होंने कहा कि हमने गोठान ढूंढने का अभियान चलाया, जो मिला ही नहीं। जहां कुछ शेड बने भी हैं तो वहां कोई पशुधन नहीं मिला। न कहीं गोबर मिला। गोठान का मुद्दा बीजेपी के प्रचार वाले होर्डिंग्स में भी प्रमुखता से दिख रहा है।
छत्तीसगढ़ के चुनाव में दोनों मुख्य पार्टियां जिस तरह वादे कर रही हैं उससे लग रहा है कि बीजेपी भी अब कहीं न कहीं कांग्रेस के पिच पर खेल रही है। बीजेपी पहले ‘रेवड़ी पॉलिटिक्स’ के नाम पर कांग्रेस को घेरती रही है। लेकिन इस बार बीजेपी ने भी वादों से जनता को लुभाने की कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ी है। दोनों पार्टी के मेनिफेस्टो से लग रहा है कि इसकी होड़ मची है कि कौन कितना ज्यादा देने का वादा कर सकता है। जहां पहले लग रहा था कि भूपेश बघेल सरकार राम वन गमन पथ और गोठान जैसी स्कीम के जरिए बीजेपी के हिंदुत्व के पिच पर खेलने की कोशिश कर रही है वहीं चुनावी वादों में अब बीजेपी, कांग्रेस की पिच पर घूमती दिख रही है। वह पिच जिसमें कांग्रेस माहिर है।