आखिर कांग्रेस के घोषणा पत्र की तुलना किस से कर रही है बीजेपी?

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हाल ही में बीजेपी ने कांग्रेस के घोषणा पत्र की तुलना एक मुस्लिम घोषणा पत्र से कर दी है! लोकसभा के चुनावी रण में जैसे-जैसे वोटिंग की तारीख करीब आ रहा सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जुबानी जंग तेज होती जा रही है। हाल ही में कांग्रेस ने इस चुनाव को लेकर पार्टी का घोषणा-पत्र जारी किया। कांग्रेस ने इसका नाम न्याय पत्र दिया है, जिसमें 5 ‘न्याय’ और 25 ‘गारंटी’ का जिक्र किया गया है। हालांकि, कांग्रेस का न्याय पत्र सामने आते ही बीजेपी ने इस पर सवाल खड़े कर दिए। केंद्र की सत्ताधारी पार्टी ने कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में ‘मुस्लिम लीग की छाप’ नजर आ रही। पीएम मोदी ने पहले बिहार के नवादा, फिर यूपी के सहारनपुर और इसके बाद पुष्कर रैली में भी इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में वही सोच झलकती है, जो आजादी के समय मुस्लिम लीग में थी। जैसे ही ये मुद्दा उठा तो कांग्रेस ने इसे लेकर चुनाव आयोग से शिकायत कर दी। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से कहा कि पीएम मोदी ने नवादा, सहारनपुर और पुष्कर की रैलियों में कांग्रेस के घोषणा-पत्र (न्याय पत्र) को पूरी तरह से मुस्लिम लीग की छाप वाला बताया था। साथ ही यह भी कहा था कि न्याय पत्र का जो हिस्सा बचा हुआ है, उस पर वामपंथियों का प्रभाव है। इसे लेकर विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग को छह शिकायतें दी हैं। इनमें दो शिकायत पीएम मोदी को लेकर भी है। कांग्रेस ने भले ही अपनी शिकायत चुनाव से कर दी है। दूसरी ओर बीजेपी ने भी स्पष्ट किया कि उन्होंने किन मुद्दों के आधार पर कांग्रेस के घोषणा-पत्र में मुस्लिम लीग की छाप होने का जिक्र किया है। पार्टी ने इसके लिए मुस्लिम लीग का 88 साल पुराना मेनिफेस्टो पेश किया है।

बीजेपी ने मुस्लिम लीग के 1936 में आए घोषणा-पत्र और कांग्रेस के 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर आए न्याय पत्र में उठाए गए मुद्दों की तुलना की। इसमें उन्होंने तीन प्वाइंट्स को फोकस किया। बीजेपी ने कहा कि 1936 में आए मुस्लिम लीग के घोषणा-पत्र में कहा गया था कि मुस्लिमों के लिए शरिया पर्सनल लॉ की रक्षा की जाएगी। अब 2024 में कांग्रेस के घोषणा-पत्र में पार्टी ने वादा किया है कि अल्पसंख्यकों के पर्सनल लॉ हों। 1936 में आए मुस्लिम लीग के घोषणा पत्र में उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी बहुसंख्यकवाद के खिलाफ लड़ेगी। कुछ ऐसा ही जिक्र 2024 चुनाव को लेकर आए कांग्रेस के घोषणा-पत्र में भी देखने को मिला है। कांग्रेस ने इसमें कहा है कि भारत में बहुसंख्यकवाद के लिए कोई जगह नहीं है। बीजेपी ने बताया कि 1936 के मुस्लिम लीग की ओर से जारी मेनिफेस्टो में उन्होंने कहा था कि हम मुसलमानों के लिए खास छात्रवृत्ति और नौकरियों के लिए संघर्ष करेंगे। वहीं 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने जो घोषणा पत्र निकाला है उसमें वादा किया है कि मुस्लिम छात्रों को विदेश में पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप मिले, इसे इंश्योर किया जाएगा।

उधर, कांग्रेस ने उसके चुनावी घोषणा़पत्र में ‘मुस्लिम लीग की छाप’ होने संबंधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी को लेकर सोमवार को चुनाव आयोग का रुख किया। इस मामले में कार्रवाई की मांग की। पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने आयोग के समक्ष इस विषय के साथ कुछ और मुद्दों को रखा। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक और सलमान खुर्शीद, कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा और कांग्रेस कार्य समिति के स्थायी आमंत्रित सदस्य गुरदीप सप्पल शामिल थे। प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के नवादा जिले में रविवार को एक चुनावी सभा में कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया था कि उसके चुनाव घोषणापत्र में मुस्लिम लीग की छाप है। उसके नेताओं के बयानों में राष्ट्रीय अखंडता और सनातन धर्म के प्रति शत्रुता दिखाई देती है।

सलमान खुर्शीद ने कहा कि पीएम मोदी ने अपने भाषणों में कांग्रेस के घोषणा पत्र को झूठ का पुलिंदा कहा है, यह काफी दुखद है। आप किसी भी पार्टी से मतभेद रख सकते हैं, लेकिन एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी के घोषणा पत्र के बारे में ऐसा कहना दुखी करने वाली बात है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि यह उन पार्टियों का घोषणा पत्र लगता है, जो हमारे धर्मनिरपेक्ष समाज की आजादी का विरोध कर रहे हैं। हम समझते हैं कि प्रधानमंत्री को ऐसी बात कहने का कोई अधिकार नहीं है। खुर्शीद ने कहा कि हमने इस मामले को चुनाव आयोग के समक्ष रखा है और उनसे विशेष अनुरोध किया है कि वे इसे गंभीरता से लें और इस पर कार्रवाई करें।