हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा अनावरण किए गए नए संसद भवन की छत पर अशोक स्तंभ पर सियासत अभी थमी नहीं थी,के अब अशोक स्तंभ पर बने शेरों के हाव भाव पर भी विपक्षी दलों ने सवालिया निशान खड़े करना शुरू कर दिया है। नई संसद भवन के निर्माण का विरोध करते हुए पक्ष में अशोक स्तंभ शेरों की भाव का भी विरोध करना शुरू कर दिया है उनका कहना है कि अशोक स्तंभ के शेरों की आकृति को जो भाव किए हैं वह वास्तविक अशोक स्तंभ के शेरों से बिल्कुल भी मेल नहीं खाते।
विपक्ष का आरोप है कि अशोक स्तंभ में शेरों को शांत और सौम्य दिखाया गया है तो वही नए अशोक स्तंभ पर जो शेर है बनाए गए हैं जो शेर है उनका भाव गुस्सैल दिखाया गया है।
विपक्ष का जवाब देते हुए सरकार ने कहा किदोनों आकृति एक जैसी है और उन्हें समझाया कि है ये आकृति अलग अलग क्यों दिखाई दे रही है।गौरतलब है कि बीते सोमवार को नरेंद्र मोदी ने जब नए संसद भवन की छत पर अशोक स्तंभ का अनावरण किया तो विपक्ष पर भी सवाल किए थे और कहा था कि प्रधानमंत्री को इसका कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। और उन्होंने कहा था कि उसने अनावरण पीएम मोदी के हाथों ना होकर लोकसभा के स्पीकर के हाथों होना चाहिए था। इस पर भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि नया संसद भवन सरकार बना रही है। और निर्माण कार्य पूरा होने पर इसे संसद को हस्तांतरित कर दिया जाएगा।
क्या रही विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया।
सरकार के ऊपर सवाल उठाते हुए विपक्ष के नेता रंजन चौधरी ने ट्वीटर में लिखा कि आप दोनों आकृतियों को मिला कर देखे तो आप देखेंगे कि सारनाथ में जो शेर हमें हैं वह शांत और सौम्या प्रवृत्ति हैं तो वही जो शेर संसद भवन की छत पर बने हुए हैं उन की आकृति एकदम भिन्न है। साथ ही अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह जो शेर हैं वह सारनाथ को नहीं बल्कि फिर के शेरों को प्रदर्शित करते हैं और साथ ही उन्होंने सरकार को सलाह दी कि इसे देखिए और जरूरत पड़े तो दुरुस्त करिए।
कांग्रेस महासचिव जय राम नरेश नए संसद भवन पर बनी अशोक स्तंभ के शेरों को सवालों के घेरे में खड़े करते हुए बोला कि सारनाथ के अशोक स्तंभ पर बने शेरों में और नए संसद भवन में बने शेरो में दोनों मैं काफी अंतर है और उसे बदलना जरूरी है। साथ ही उन्होंने कहा कि यह राष्ट्र प्रतिक का अपमान होगा। सरकार को अपनी गलती को तुरंत ठीक करना चाहिए।
विपक्ष की प्रतिक्रिया पर भाजपा का जवाब।
विपक्ष की तीखी आलोचना पर जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने ट्विट करते हुए कहा यह फर्क क्यों दिख रहा है उन्होंने कहा दोनों आकृति एक जैसी है केवल देखने के तरीके में फर्क आ रहा है।
विपक्ष ने पहले ही किया था नए संसद भवन के निर्माण को रोकने की मांग।
विपक्ष का विवाद कोई नया नहीं नया नहीं है उन्होंने संसद भवन बनने से पहले ही विवाद शुरू कर दिया था और सुप्रीम कोर्ट जाकर इस पर रोक लगाने की याचिका दायर की थी। तो सर्वोच न्यायालय ने विपक्ष की इस याचिका को खारिज कर दिया था।
क्या रही शिल्पकार की प्रतिक्रिया।
विपक्ष ने अपने सवालों से ना केवल सरकार को कटघरे में खड़ा किया बल्कि इसे बनाने वाले शिल्पकार को भी सवालों का जवाब देने को कहा। वही शिल्पकार ने विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ और नए संसद भवन की छत पर बने स्तंभ लगभग समान है बस अगर हम उनको देखने के एंगल पर ध्यान दें तो यह सामान नहीं दिखाई देते। सुनील देवर ने बताया कि अगर हम इन शेरों को अलग एंगिल से देखेंगे तो इनमें अंतर दिखाई देता है परंतु अगर इसे हम सामान तरीके से देखेंगे तो यह शेर ठीक उसी तरह दिखाई देंगे जैसे सारनाथ स्थिति अशोक स्तंभ के दिखाई देते हैं। देवर के इस बयान को काशी विश्वनाथ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने भी समर्थन किया।
हरदीप पुरी ने बताया देखने का तरीका।
केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने विपक्ष को समझाया के अशोक स्तंभ की मूल प्रति 1 पॉइंट 6 मीटर की है जबकि संसद भवन पर लगी कृति 6 पॉइंट 5 मीटर की है। अगर इसे सारनाथ स्थित कृति के आकार में कर दिया जाए तो दोनों बिल्कुल एक जैसे ही लगेंगे।