आज हम आपको बताएंगे कि कितने दिन बाद चंद्रयान -3 चांद पर पहुंचेगा! भारत के तीसरे मून मिशन, चंद्रयान-3 में देसी तड़का भी लगा है। चंद्रयान-2 की ट्रैकिंग जहां विदेश से हुई थी, चंद्रयान-3 के लैंडर को यहीं से ट्रैक किया जाएगा। ISRO के एक सीनियर साइंटिस्ट ने बताया कि बेंगलुरु में ISRO के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क स्टेशन से चंद्रयान-3 के हर मूवमेंट पर नजर रखी जाएगी। चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम के 23 अगस्त की शाम करीब 5.47 बजे चांद पर लैंड करने की उम्मीद है। हालांकि, कई फैक्टर्स के चलते इसमें बदलाव हो सकता है। चंद्रयान-3 को शुक्रवार दोपहर श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। ISRO ने खास LVM3 रॉकेट तैयार किया है। चंद्रयान-3 की चांद पर लैंडिंग सफल रही तो भारत उन देशों के एलीट क्लब में शामिल हो जाएगा जो चांद तक पहुंचे। भारत का ऐतिहासिक चंद्रयान-3 मिशन आज चंद्रमा की तरफ उड़ान भरेगा। दोपहर 2:35 बजे सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्चिंग होगी।
अपग्रेडेड बाहुबली रॉकेट यानी लॉन्च वीकल मार्क-3 MV-3 तैयार है। MV-3 का लॉन्चिंग सक्सेस रेट 100% है। चंद्रयान 24-25 अगस्त को चांद पर उतरेगा।चंद्रयान-2 में लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर था। जबकि चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर के बजाय स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल है। जरूरत पड़ने पर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की मदद ली जाएगी। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर को चंद्रमा की सतह पर छोड़कर, चांद की कक्षा में 100 किलोमीटर ऊपर चक्कर लगाता रहेगा। यह कम्युनिकेशन के लिए होगा।अगले 14 दिन रोवर लैंडर के चारों ओर 360 डिग्री में घूमेगा और कई परीक्षण करेगा। रोवर के चलने से पहिए के जो निशान चंद्रमा की सतह पर बनेंगे, उनकी तस्वीर भी लैंडर भेजेगा। चंद्रयान-3 के लैंडर को चांद के साउथ पोल पर उतारा जाएगा। चांद को फतह कर चुके अमेरिका, रूस और चीन ने अभी तक इस जगह पर कदम नहीं रखा है। चांद के इस भाग के बारे में अभी बहुत जानकारी भी सामने नहीं आ पाई है।
चंद्रयान-1 मिशन के दौरान साउथ पोल में बर्फ के बारे में पता चला था। साउथ पोल काफी रोचक है। इसकी सतह का बड़ा हिस्सा नॉर्थ पोल की तुलना में ज्यादा छाया में रहता है। यहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती। तापमान -230 डिग्री सेल्सियस से नीचे जा सकता है। संभावना इस बात की भी जताई जाती है कि इस हिस्से में पानी भी हो सकता है। चांद के साउथ पोल में ठंडे क्रेटर्स गड्ढों में शुरुआती सौर प्रणाली के लुप्त जीवाश्म रिकॉर्ड मौजूद हो सकते हैं। अगर चंद्रयान-3 यहां लैंड करता है तो यह ऐतिहासिक होगा।
चंद्रयान-2 में लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर था। जबकि चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर के बजाय स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल है। जरूरत पड़ने पर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की मदद ली जाएगी। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर को चंद्रमा की सतह पर छोड़कर, चांद की कक्षा में 100 किलोमीटर ऊपर चक्कर लगाता रहेगा। यह कम्युनिकेशन के लिए होगा।
यही नहीं आपको बता दें कि इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने 14 जुलाई को जबसे चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष में भेजा है, पूरे देश की निगाहें इसकी सफलता पर टिकी हैं. चंद्रयान सफल रहा तो सिर्फ देश के वैज्ञानिकों को गर्व ही नहीं होगा, बल्कि शेयर बाजार की 6 कंपनियों में पैसे लगाने वाले निवेशक भी मालामाल हो जाएंगे. इन 6 कंपनियों ने चंद्रयान के इस सफर में ISRO के साथ बड़ी भूमिका निभाई है. अगर मिशन सफल रहा तो इन कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त उछाल आना तय है!अगर चंद्रमा पर भारत के अंतरिक्ष यान की सफलतापूर्वक लैंडिंग हो जाती है तो मून एक्सप्लोरेशन में भारत के लिए नए रास्ते खुलेंगे और इसे भारत की इकोनॉमी के लिए भी सकारात्मक माना जा रहा है. इससे भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनियों लिए नए मौके और नए इनवेस्टमेंट्स के रास्ते खुलेंगे!
ग्लोबल स्पेस मार्केट की वैल्यू 486 बिलियन डॉलर यानी करीब 40 लाख करोड़ रुपये है, जिसके 2032 तक 1879 बिलियन डॉलर यानी 154 लाख करोड़ तक होने की संभावना है. इस मार्केट में भारत का योगदान अभी से कई गुना ज्यादा बढ़ सकता है! मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, स्काईरूट एयरोस्पेस के कोफाउंडर और CEO पवन चांदना का कहना है कि अगर चंद्रयान 3 सफलतापूर्वक लैंड कर पाता है तो भारत अमेरिका, रूस और चीन के साथ स्पेस एक्सप्लोरेशन के टॉप लीग में शामिल हो जाएगा.चलिए जानते हैं कि वो कंपनियां कौन सी हैं जिन्होंने चंद्रयान 3 के लॉन्च में ISRO का सहयोग किया है! BHEL ने चंद्रयान 3 के निर्माण के लिए बैटरीज़ उपबल्ध करवाई. 2021 में कंपनी ने ऑफिशियल स्टेटमेंट दिया था कि BHEL ने चंद्रयान 3 मिशन के लिए ISRO को 100 बैटरी सप्लाई करके एक यूनीक माइलस्टोन अचीव किया है!