बिहार में विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी को एक बड़ा झटका तब लगा जब उनके 5 में से चार विधायकों ने लालू यादव की पार्टी आरजेडी का दामन थाम लिया है।
अभी बीजेपी को महाराष्ट्र पर घैरने वाले ओवैसी को पता भी नहीं चला और उनकी पीठ के पीछे ऐसा खेल हुआ कि उनको पता ही नही चला। हालाकि चुनावों में औवेसी ने यहां खूब महनेत की थी पर उनकी सारी मेहनत खराब तब हो गई जान पार्टी के सभी 5 विधायको में से 4 आर जे डी में शामिल हो गए। इससे बिहार की राजनीति से ओवैसी का पत्ता एक झटके में साफ हो गया है। उनके चारों विधायकों की एक तस्वीर भी सामने आ गई है जिसमें उन्हें नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव मिठाई खिलाते दिख रहे हैं।
रातों रात तेजस्वी ने आर जे डी को बिहार में बनया सबसे बड़ी पार्टी।
बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने रातों रात ऐसा खेल खेला ।जिसकी उम्मीद ओवैसी तो छोड़ दीजिए, बिहार में सरकार चला रहे नीतीश कुमार और उनके साथी घटक दल को भी नही हुई। एक तरफ़ जहां मॉनसून सत्र में तेजस्वी ने केंद्र सरकार को अग्निपथ पर घेरने की रणनीति बनाई। वही दुसरी और एक अलग खेल खेल दिया। और सत्ता पक्ष को इसकी भनक तक नहीं लगी। बुधवार को जब ओवैसी के ये चार विधायक एकाएक इजहार अस्फी, शाहनवाज आलम, सैयद रुकुनुद्दीन अहमद और अनजार नईमी विधानसभा अध्यक्ष के पास जाते दिखे तो खेल का रुख साफ हुआ। इस तस्वीर को और साफ करते हुए तेजस्वी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका ऐलान कर दिया की aimim के विधायक अब आर जे डी के नेता है।
आरजेडी बनी बिहार विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी।
AIMIM के चार विधायक लालू यादव की पार्टी के साथ हो गए। जिससे आरजेडी के विधायकों की संख्या अब 80 हो गई। इसके साथ ही महागठबंधन के विधायकों की संख्या बढ़कर 116 हो गई। अगर आरजेडी 6 विधायकों को जोड़ने में कमियांब हो जाती है तो वह जादुई आंकड़ा 122 हासिल कर सकती है। पर ये राह इतनी आसन नही है जितना दिखाई दे रही हैं। बिहार की सत्ता के शिखर पर पहुंचने की राह से आरजेडी केवल 6 विधायक की कमी रह गई हैं। अगर आरजेडी इन 6 विधायको को और अपने साथ लाने में कमियाब हो जाती है तो हो सकता है नीतिश कुमार की विधाई सत्ता से हो जाए।जो खेल ओवैसी के साथ हुआ है वो हो सकता है आने वाले दिनों में जेडीयू के साथ भी होता नजर आ सकता है। अगर ऐसा होता है ये बीजेपी के लिए भी आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए चुनौती साबित होगा।
इस खेल के हीरो रहे तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में लोगो ने आरजेडी को सत्ता पर बैठाया था। पर कुछ लोगो ने उनका साथ बीच छोड़ दिया। जिससे बीजेपी ने विकासशील इंसान पार्टी (VIP) को तोड़कर तीन विधायकों को अपने में मिला लिया था और बड़ी पार्टी बन गई थी।
AIMIM के विधायको के शामिल होने पर तेजस्वी यादव ने अपने विचारो को खुशी के सात रखा और कहा कि आज मुझे खुशी है कि आरजेडी राज्य में एकबार फिर सबसे बड़ी पार्टी बन गई। जिसके लिए जनता ने उनको भेजा था।
एनडीए में अब भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी।
अगर महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी सरकार गिरने की स्थिति होती है तो यह कोई बड़ी बात नही होगी। क्यों की 80 विधायकों के सबसे बड़ी पार्टी राजद हो गई है वही सत्ता धारी बीजेपी 77 विधायकों के साथ दुसरे नंबर पर आ गई है। पर एनडीए के साथ अब भी बहुमत है। गौर तलब है के वीआईपी पार्टी के तीन विधायकों को अपनी तरफ लेकर भाजपा बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। इस खेल के बाद एनडीए अंदर जदयू पर दबाव पहले से बढ़ जायेगा। हालांकि, एनडीए के अंदर भाजपा अभी भी सबसे बड़ी पार्टी है।
कुछ यू है बिहार में राजनितिक समीकरण।
बिहार विधानसभा में विधायकों की संख्या के लिहाज से आज की तारीख में आरजेडी के पास 80 विधायको के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। वही भाजपा के 77 विधायको के साथ दूसरे और जदयू के 45 विधायको के साथ तीसरे नंबर पर खिसक गई है।
इसके अलावा कांग्रेस के 19, लेफ्ट के 16, हम के 4, AIMIM के 1 और निर्दलीय विधायकों की संख्या एक रह गई है।
लेकिन सत्ता का खेल कभी भी बदल सकता है। क्यों की 243 विधानसभा सीटो वाली बिहार विधान सभा में काबिज एनडीए के पास केवल कुछ विधायक ही है जिससे वो सरकार में है। एनडीए के पास 127 विधायक है वही विपक्ष अब 116 का संख्या बल है जो सत्ता से केवल 6 सीट दूर है।