फैक्ट चेक करने यानी सच और झूठ पकड़ने वाली वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज़’ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) को गिरफ्तार किया गया है। दिल्ली पुलिस ने धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में सोमवार को उन्हें गिरफ्तार किया। जुबैर को मजिस्ट्रेट ने एक दिन की पुलिस हिरासत में भेजा है। जुबैर की तरफ से कहा गया कि एफआईआर की कॉपी नहीं दी गई। जैसे ही जुबैर की गिरफ्तारी की ‘सच्ची खबर’ सोशल मीडिया पर फैलने लगी, कई विपक्षी नेता सरकार पर निशाना साधने लगे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि सच की एक आवाज को गिरफ्तार करने से ऐसी हजार आवाजें उठेंगी। तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन, पार्टी सांसद महुआ मोइत्रा, TRS, AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी गिरफ्तारी की निंदा की है। सोशल मीडिया पर लोग दो गुटों में बंट गए हैं। एक तरफ जुबैर को सपोर्ट करने वाले हैं तो दूसरी तरफ गिरफ्तारी को सही बताया जा रहा है। तो क्या मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी गलत है? आइए जानते हैं कि पत्रकार को किस आरोप और सेक्शन में गिरफ्तार किया गया है।
2017 में बनाई थी फैक्ट चेक की वेबसाइट
मोहम्मद जुबैर, फैक्ट चेकिंग वेबसाइट आल्टन्यूज के को-फाउंडर हैं. सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहे, प्रतीक सिन्हा के साथ जुबैर ने साल 2017 में आल्टन्यूज वेबसाइट शुरू की थी. जुबैर ने ही बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता रहीं नुपुर शर्मा के विवादित बयानों को ट्वीट किया था, जिसके बाद खाड़ी देशों से भारत सरकार को कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. एक ओर जहां बीजेपी ने नुपुर शर्मा को निष्कासित कर दिया था तो वहीं सरकार ने भी बयानों से दूरी बना ली थी.
हिन्दू शेर सेना के सीतापुर प्रमुख ने की शिकायत
जुबैर जिस मामले में गिरफ्तार हुए हैं उसमें हिन्दू शेर सेना की सीतापुर इकाई के प्रमुख भगवान शरण ने शिकायत की थी. दिल्ली पुलिस की प्राथमिकी में भगवान शरण की शिकायत का जिक्र करते हुए कहा गया है “27 मई को, मैंने ट्विटर पर देखा कि मोहम्मद जुबैर ने राष्ट्रीय हिंदू शेर सेना के राष्ट्रीय संरक्षक बजरंग मुनि के खिलाफ ‘हेटमॉन्गर’ जैसे अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया. जुबैर ने हिंदू यति नरसिंहानंद और स्वामी आनंद स्वरूप का भी अपमान किया था.’
शिकायत में कहा गया है कि “जुबैर ने जानबूझकर समाज में नफरत फैलाने और मुसलमानों को भड़काने और साजिश के तहत हिंदू भावनाओं को आहत करने की कोशिश की है. उनके इस तरह के बयानों से हिन्दुओं में नाराजगी है.” भगवान शरण की शिकायत में आरोप लगाया गया कि जुबैर “मुसलमानों को हिंदू नेताओं की हत्या के लिए उकसा रहे थे.”
NCPCR ने 2020 में दर्ज कराई शिकायत
इससे पहले साल 2020 में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने जुबैर के खिलाफ मामला दर्ज किया था. जुबैर ने 6 अगस्त 2020 को एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने एक नाबालिग की पहचान उजागर की थी. ट्विटर द्वारा जुबैर का ट्वीट हटाए जाने से इनकार करने पर एनसीपीसीआर, हाईकोर्ट गया और वहां आरोप लगाया कि संबंधित ट्वीट से कानूनों का उल्लंघन हो रहा है.
इसी साल फरवरी में इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी. मई में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट को बताया था कि जुबैर द्वारा किए गए ट्वीट से ‘कोई संज्ञेय अपराध’ का मामला नहीं बनता है.
पुलिस का क्या है कहना
पुलिस उपायुक्त के पी एस मल्होत्रा ने बताया इस माह की शुरुआत में पत्रकार ज़ुबैर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153-ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) और 295-ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने फैक्ट-चेकर मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी को ‘बेहद चिंताजनक’ और ‘बेशर्म’ करार दिया है. गिल्ड ने गिरफ्तारी की आज निंदा की और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की. जर्मनी में जी-7 की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ऑनलाइन और ऑफलाइन सामग्री की रक्षा करके एक लचीला लोकतंत्र सुनिश्चित करने के लिए की गई प्रतिबद्धताओं की ओर इशारा करते हुए गिल्ड ने कहा कि ज़ुबैर की रिहाई इस मुद्दे पर भारत की स्थिति का समर्थन करेगी. गौरतलब है कि कल जारी G7 के संयुक्त बयान में कहा गया है कि देश सार्वजनिक बहस, स्वतंत्र और बहुलवादी मीडिया और ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यमों से सूचनाओं के मुक्त प्रवाह के लिए प्रतिबद्ध हैं, साथ ही नागरिकों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए वैधता, पारदर्शिता, जिम्मेदारी और जवाबदेही को समान रूप से बढ़ावा देते हैं.