युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारीय छात्रों की वासपी के लिए ‘ऑपरेशन गंगा’ चलाया जा रहा है। इसके जरिए लगातार पड़ोसी देशों से भारत के लिए उड़ान जारी है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान पालतू जानवरों को भी लाने की होर मची हुई है। मेडिकल (पांचवी वर्ष) की छात्रा कीर्तना आखिरकार शनिवार को अपने पालतू कुत्ते ‘कैंडी’ के साथ चेन्नई पहुंच गई। वह भारत के लिए उड़ान भरते समय अपने पालतू जानवर को नहीं छोड़ने की जिद पर अड़ी हुई थी। कीर्तना ने इसके लिए कम से कम चार फ्लाइट उड़ने दी। बाद में भारतीय दूतावास ने उसे पेकिंगीज़ नस्ल के कुत्ते के साथ उड़ान भरने की अनुमति दी।
सरकार ने यूक्रेन से फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए ‘ऑपरेशन गंगा’ के हिस्से के रूप में कई विशेष एयरलाइनों को सेवा में लगाया है। शनिवार को कीर्तना ‘कैंडी’ के साथ चेन्नई एयरपोर्ट पहुंचीं जहां उनके परिवार वालों ने उनका स्वागत किया।
कीर्तना ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया, “मुझे चार बार अपनी उड़ानें रद्द करनी पड़ीं क्योंकि पहले मुझे पालतू जानवर को वापस लाने की अनुमति नहीं थी। मैंने अतिरिक्त दो-तीन दिनों तक इंतजार किया। आखिरकार मुझे दूतावास से एक फोन आया। मुझे पालतू जानवर को अपने साथ लाने की अनुमति दी।”
हालांकि, कीर्तना को दो साल के पेकिंगीज नस्ल के पिल्ले को वापस लाने के लिए अपना सामान छोड़ना पड़ा। उसने कहा, “अधिकारियों ने मुझसे कहा कि मैं अपना पिल्ला ला सकती हूं, लेकिन मुझे अपना सामान छोड़ना होगा। मैंने कहा, ठीक है। मेरे लिए मेरा पालतू जानवर सामान से ज्यादा महत्वपूर्ण है।”
कीर्तना ने कहा कि वह यूक्रेन के एक सीमावर्ती इलाके में रहती थी। इसलिए उसे कई कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ा जैसा कि अन्य छात्रों को करना पड़ा। आपको बता दें कि यूक्रेनी सीमाओं तक पहुंचने के लिए छात्रों को सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ रही है।
कीर्तना तमिलनाडु के मयिलादुथुराई की रहने वाली है। यूक्रेन के उझहोरोड नेशनल यूनिवर्सिटी में पढ़ रही थी। इससे पहले शनिवार को विदेश मंत्रालय ने कहा कि संकटग्रस्त यूक्रेन से ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत अब तक 13,300 से अधिक लोग भारत लौट चुके हैं। मंत्रालय ने यह भी बताया कि लगभग सभी भारतीय यूक्रेन के खार्किव शहर छोड़ चुके हैं। सरकार का मुख्य ध्यान सूमी क्षेत्र से नागरिकों को निकालने पर है।
सरकार ने यूक्रेन की सीमा से लगे पांच पड़ोसी देशों में भारतीय नागरिकों की निकासी प्रक्रिया में समन्वय और निगरानी के लिए ‘विशेष दूत’ भी तैनात किए हैं।
हालांकि, कीर्तना को दो साल के पेकिंगीज नस्ल के पालतू को साथ लाने के लिए अपना सामान छोड़ना पड़ा. उन्होंने बताया कि अधिकारियों ने मुझसे कहा कि मैं उसे ला सकती हूं, लेकिन मुझे अपना सामान छोड़ना होगा. मैंने कहा, ठीक है. मेरे लिए मेरा पालतू सामान से ज्यादा महत्वपूर्ण है.
कीर्तना ने कहा कि वह यूक्रेन के एक सीमावर्ती इलाके में रहती थी, इसलिए दूसरे स्टूडेंट्स की तरह उन्हें कई कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ा जैसा अन्य छात्रों ने झेला था. कीर्तना तमिलनाडु के मयिलादुथुराई की रहने वाली हैं और यूक्रेन के उझहोरोड नेशनल यूनिवर्सिटी में पढ़ रही थीं.