Sunday, November 10, 2024
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क्या कनाडा का साथ दे रहे हैं अमेरिका और ब्रिटेन?

वर्तमान में अमेरिका और ब्रिटेन कनाडा का साथ देते हुए नजर आ रहे हैं! कनाडा के भारत से अपने 41 डिप्लोमैट्स को वापस बुलाने की घोषणा के बाद ब्रिटेन और अमेरिका भी इस विवाद में कूद पड़े हैं। दोनों देशों की इस मामले पर जो प्रतिक्रिया है वह कनाडा के तर्कों का समर्थन करती दिख रही हैं। दोनों ही देश भारत से कह रहे हैं कि वह वियेना कन्वेंशन के नियमों को माने। साथ ही उनका ये भी मानना है कि भारत डिप्लोमैट्स की मौजूदगी को कम करने पर जोर न दे। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा, ‘हम कनाडा के डिप्लोमैट्स के भारत छोड़ने से चिंतित हैं।’ अमेरिका की ओर से कहा गया कि समस्याओं के समाधान के लिए डिप्लोमैट्स का ग्राउंड पर रहना जरूरी है। साथ ही अमेरिका ने कनाडा की ओर से भारत को अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जुड़ी जांच में सहयोग देने के लिए भी कहा गया है। अमेरिका ने भारत को वियेना कन्वेंशन के नियमों को मानने की नसीहत भी दी है। नोट के मुताबिक, ‘अमेरिका भारत से उम्मीद करता है कि वह 1961 के वियेना कन्वेंशन के तहत अपने दायित्वों को निभाएगा, जिसमें कनाडा के मिशन सदस्यों की राजनयिक प्रतिरक्षा और सुविधाओं के लिए सम्मान शामिल है।’

इस मसले पर ब्रिटेन की ओर से भी तीखी प्रतिक्रिया आई है। ब्रिटेन के फॉरेन, कॉमनवेल्थ एंड डिवेलपमेंट ऑफिस के प्रवक्ता की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘हम भारत की ओर से लिए गए उस फैसले से सहमत नहीं है जिसकी वजह से कनाडा के डिप्लोमैट्स को बड़ी तादाद में भारत छोड़ना पड़ा।’ ब्रिटेन के बयान में वियेना कन्वेंशन को मानने की बात कही गई है। बयान में लिखा है कि डिप्लोमैट्स की सुरक्षा से जुड़ी सुविधाएं और प्रतिरक्षा एकतरफा तरीके से हटाना वियेना कन्वेंशन के मूल्यों के साथ मेल नहीं खाता।

शुक्रवार को कनाडा सरकार की ओर से आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अपने 41 डिप्लोमैट्स को भारत से इसलिए वापस बुला लिया है क्योंकि भारत ने 20 अक्टूबर के बाद उनकी राजनयिक प्रतिरक्षा हटाने की एकतरफा घोषणा की थी। इसी के साथ कनाडा ने भारत के तीन शहरों में काउंसलर और वीजा सर्विस भी रोक दी थी। इसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ कहा था कि भारत की राजनयिक मौजूदगी में समानता को लेकर कनाडा से इस तरह की मांग करना अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन नहीं है। वियेना कन्वेंशन का आर्टिकल 11.1 राजनयिक समानता के तहत कदम उठाने की इजाजत देता है।

आपको बता दें कि कनाडा के राष्ट्रपति जस्टिन ट्रूडो को लेकर पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि वे बहुत ज्यादा समय तक पद पर नहीं बने रह सकते हैं, उनके जाने के बाद अमेरिका दोबारा कनाडा के साथ संबंध स्थापित कर लेगा! माइकल रुबिन ने कहा, ‘कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने बहुत बड़ी गलती की है. उन्होंने जो आरोप लगाए हैं उसका वह समर्थन नहीं कर पाए हैं. ऐसे में दो संभावनाएं हैं, एक तो यह कि जस्टिन ट्रूडो बगैर सोचे समझे बोल रहे थे, उनके पास भारत सरकार के खिलाफ लगाए गए आरोपों के समर्थन के लिए सबूत नहीं है या दूसरी संभावना है कि वहां कुछ तो है आंतकी गतिविधियां, ऐसे में उन्हें यह बताने की जरूरत है कि उनकी सरकार एक ऐसे आतंकवादी को क्यों पनाह दे रही थी, जिसके हाथ खून से सने थे!

माइकल ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कहा कि उसकी हत्या को मानवाधिकार से नहीं जोड़ना चाहिए, क्योंकि वो आतंकवादी था और कई हमलों में शामिल था. उनसे पूछा गया कि क्या जस्टिन ट्रूडो ने देश की समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए विदेश नीति को देश के सामने परोस दिया है?जवाब में माइकल रुबिन कहते हैं, ‘हां, मुझे लगता है कि ऐसा ही है. जस्टिन ट्रूडो घरेलू स्तर कनाडा में राजनीति कर रहे हैं, वह दोबारा चुनाव जीतने के संकट से परेशान है, लेकिन मुझे लगता है कि जस्टिन ट्रूडो एक राजनेता के तौर पर काम कर रहे हैं. वह दूरदर्शी नहीं हैं. किसी को भी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र यानी भारत के साथ लंबे वक्त के संबंधों एवज में अपनी क्षणिक राजनीतिक महात्वकांक्षा की वजह से सौदा नहीं करना चाहिए!

पीएम ट्रूडो और उनकी अपनी पार्टी की सरकार की निंदा करते हुए आर्य ने कहा, “मुझे समझ में नहीं आता कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आतंकवाद के महिमामंडन या एक धार्मिक समूह को लक्षित करने वाले को हेट क्राइम की इजाजत कैसे दी जाती है. कनाडा में गुस्सा फैल जाएगा अगर एक श्वेत वर्चस्ववादी ने नस्लीय कनाडाई लोगों के किसी भी समूह पर हमला किया, लेकिन जाहिर तौर पर कोई भी खालिस्तानी नेता हेट क्राइम से बच जाता है!

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