क्या वर्तमान की सरकार से परेशान है जनता?

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यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या जनता वर्तमान की सरकार से परेशान है या विपक्ष भ्रांतियां फैला रहा है! जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक हिमसागर एक्सप्रेस में हमारा सफर करीब 72 घंटे में पूरा हुआ। 3800 किलोमीटर के सफर में 68 स्टॉप आए। 12 राज्यों से गुजरती हुई इस ट्रेन में कई स्टेशनों पर यात्री बदले। सफर के साथ साथ राज्य बदला, भाषा बदली, खान-पान बदला लेकिन बेरोजगारी के बात हर कहीं सुनाई दी। युवाओं ने बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बताया। सरकार को अच्छी एजुकेशन देनी चाहिए और बेरोजगारी कम होनी चाहिए, लगभग हर राज्य के लोगों ने इस बात का जिक्र किया। बेरोजगारी का जिक्र करने वाले तीन तरह के लोग मिले। एक जिन्होंने बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बताया और उसके आगे चुप्पी साध ली। वहीं ऐसे लोग भी मिले जिन्होंने बेरोजगारी की बात की साथ ही बदलाव की भी बात की और ऐसे लोग भी मिले जिन्होंने बेरोजगारी और महंगाई को मुद्दा माना लेकिन साथ ही यह भी कहा कि मोदी सरकार अच्छा काम कर रही है और साथ ही मोदी सरकार के कामों को गिनाने लगे। जिन लोगों ने मुद्दा बताकर चुप्पी साध ली, उनका झुकाव किस तरफ होगा, ये चुनाव के नतीजों में सामने आएगा। लेकिन यह साफ है कि वे एक अहम फैक्टर बन गए हैँ।

महंगाई का जिक्र भी लगभग हर बातचीत में सुनाई दिया। सिलेंडर के दाम से लेकर खाने-पीने की चीजों के महंगाई की बात लोगों ने की। सरकारी कर्मचारियों ने जहां सरकार से मांग की कि ओल्ड पेंशन स्कीम लागू होनी चाहिए वहीं प्राइवेट कर्मचारियों का यह दर्द था कि महंगाई के साथ प्राइवेट कर्मचारियों की तनख्वाह नहीं बढ़ती और इसके लिए भी सरकार को कुछ करना चाहिए। हरियाणा की दो बुजुर्ग महिलाएं जहां वृद्धावस्था पेंशन बढ़ने से खुश थी वहीं उन्होंने कहा कि मोदी फिर आएगा तो फिर पेंशन और बढ़ाएगा।

तमिलनाडु के युवाओं ने बिजनेस और इकॉनमी ग्रोथ की बात की और स्टार्टअप्स के लिए ज्यादा सुविधाओं की मांग की। केरल के यात्रियों ने सबसे पहली बात सफाई की कही। केरल से बढ़ी संख्या में पर्यटक कश्मीर आते हैं। हिमसागर एक्प्रेस अकेली ट्रेन है जो जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी के बीच चलती है। उन्होंने कहा कि यह ट्रेन बहुत स्लो है साथ ही बहुत गंदगी है। वंदे भारत जैसी ट्रेन चलाई जानी चाहिए। दरअसल 72 घंटों के इस सफर में शुरू के 24 घंटे तो सफाई दिखी और हर 5-6 घंटे में कोच में सफाई की भी जा रही थी लेकिन उसके बाद पूरे सफर में कोई सफाई नहीं हुई। डस्टबिन इतने छोटे कि दो कोच के बीच में कूड़े का ढेर जमा हो गया। टॉयलेट की हालत जितनी बुरी सोची जा सकती है, उतनी ही खराब। केरल के यात्रियों ने तंज कसते हुए कहा कि लोगों को आकर केरल के स्टेशन और वहां की सफाई देखनी चाहिए।

कई लोगों ने ऐसे मुद्दे गिनाए जिन पर ज्यादा चर्चा ही नहीं होती। ट्रेन जब रोहतक से गुजरी तो बढ़ी संख्या में महिलाएं बच्चों को लेकर चढ़ी। दो एसी कोच के बीच में एकदम भीड़ हो गई। ट्रेन में रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि यह बड़ी दिक्कत है और कोई इसका कुछ करता नहीं। लगातार ट्रेन में एसी कोच बढ़ रहे हैं लेकिन स्लिपर और जनरल डिब्बे कम हो गए हैं। ऐसे में लोग जहां दरवाजा खुला दिखे वहीं चढ़ जा रहे हैं। बता दें कि सरकार को अच्छी एजुकेशन देनी चाहिए और बेरोजगारी कम होनी चाहिए, लगभग हर राज्य के लोगों ने इस बात का जिक्र किया। बेरोजगारी का जिक्र करने वाले तीन तरह के लोग मिले। एक जिन्होंने बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बताया और उसके आगे चुप्पी साध ली। वहीं ऐसे लोग भी मिले जिन्होंने बेरोजगारी की बात की साथ ही बदलाव की भी बात की और ऐसे लोग भी मिले जिन्होंने बेरोजगारी और महंगाई को मुद्दा माना लेकिन साथ ही यह भी कहा कि मोदी सरकार अच्छा काम कर रही है और साथ ही मोदी सरकार के कामों को गिनाने लगे। वह कहने लगे, देखो इन महिलाओं को छोटे छोटे बच्चों के साथ कैसे चढ़ी, अगर मैं इन्हें चढ़ने नहीं देता तो ट्रैक पर ही बच्चे कट जाते। कई बार हमें अपनी आंखें बंद करनी पड़ती हैं लेकिन इस दिक्कत का समाधान होना चाहिए। यात्रियों ने भी कहा कि आम जनता को सुविधा के नाम पर सिर्फ एसी कोच बढ़ाने से गरीबों की दिक्कत बढ़ी है। गरीब कैसे महंगी ट्रेन में जाएगा।