Monday, December 23, 2024
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क्या नागपुर में हो रही है प्रशासनिक गलतियां?

नागपुर में प्रशासनिक गलतियों की वजह से आम जनता को भुगतना पड़ रहा है! महाराष्ट्र के नागपुर निवासियों को बारिश के साथ-साथ जहरीली फ्लाई ऐश की तकलीफ से भी जूझना पड़ रहा है। जिसकी वजह से बीते दिनों जिले के 5 गांव बुरी तरह से प्रभावित हुए थे। नागपुर जिले को पानी सप्लाई करने वाली नदी भी इस जहरीली फ्लाई ऐश की वजह से बुरी तरह से प्रदूषित हो गई थी। आपको बता दें कि कोराड़ी थर्मल पावर प्लांट से आने वाली फ्लाई ऐश फिलहाल बारिश की वजह से लोगों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है।

आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक इस जहरीली फ्लाई ऐश की वजह से कई हेक्टेयर की कृषि योग्य भूमि बर्बाद हो गयी है। साथ ही बाढ़ की वजह से खासला, मासला, खैरी, कवथा और सुरादेवी जैसे गांव भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। कई नालों से गुजरती हुई यह फ्लाई ऐश जिले को पानी देने वाली कान्हा नदी में मिल गयी है। यह वो इलाका है जहां नागपुर को पानी सप्लाई करने के लिए पम्पिंग स्टेशन बना हुआ है।

सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की डायरेक्टर लीना बुद्धे के मुताबिक हमने इस समस्या को संबंधित अथॉरिटी के सामने कई बार उठाया लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। केटीपीएस कोराड़ी थर्मल पावर प्लांट लगातार फ्लाई ऐश घोल को खासला गांव के पास के तालाब में डंप करता है। जून के महीने में हुई मीटिंग में संबंधित विभाग के अधिकारियों ने 6.27 करोड़ टन फ्लाई ऐश होने की बात को स्वीकार किया था। हैरत की बात यह है कि इस यह जानते हुए भी कि यह फ्लाई ऐश जहरीली है। संबंधित विभाग इसके निस्तारण के विषय में कोई खास ध्यान नहीं देता। जबकि यह राख का ढेर दिन प्रतिदिन बड़ा होता जा रहा है।

सीएसडी सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट ने साल 2021 के नवंबर महीने में ही इस विषय को लेकर स्टडी की थी जिसमें यह पता चला था कि महाराष्ट्र स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी 2400मेगावाट यानी थर्मल पावर प्लांट खापरखेड़ा थर्मल पॉवर प्लांट 1340मेगावाट के आसपास तेजी से प्रदूषण बढ़ रहा है। यह दोनों प्लांट नागपुर के पास हैं। इसकी वजह से जमीन के अंदर और बाहर दोनों जहां का पानी प्रदूषित हो रहा है। जिसमें खतरनाक मेटल जैसे मरकरी, आर्सेनिक, एल्युमीनियम ऑयर लिथियम मिल रहे हैं। खासला का तालाब तो काफी पुराना है जबकि खापरखेड़ा का तालाब सुरक्षित बनाया जाना था। लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा अब जनता को उठाना पड़ रहा है।

यह जानते हुए भी कि इस जहरीली राख से लोगों के शरीर पर हानिकारक असर होगा। बावजूद इसके कंपनी सभी पर्यावरण नियमों को ताक पर रखकर फ्लाई ऐश को लगातार डंप कर रही है। बुद्धे ने कहा मांग की है कि कोराड़ी थर्मल पावर प्लांट के सीएमडी को निजी तौर पर इस मामले का दोषी माना जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने सब कुछ जानते हुए कई लोगों की जिंदगियों को खतरे में डाला है उन्हें इस मामले में कड़ी सजा भी दी जानी चाहिए। इस मामले पर केटीपीएस अधिकारियों की प्रतिक्रिया अभी तक नहीं मिल पाई है।

महाराष्ट्र के पूर्व ऊर्जा मंत्री और बीजेपी नेता चंद्रशेखर बावनकुले ने इस इलाके का शनिवार की दोपहर मुआयना किया है। उन्होंने स्थानीय निवासियों को भरोसा दिलाया है कि वह इस मामले को राज्य सरकार के समक्ष पेश करेंगे। साथ ही, इस बात का पूरा प्रयास करेंगे कि सभी लोगों को जल्द से जल्द राहत दी जा सके। वहीं नागपुर जिला प्रशासन ने दावा किया है कि उन्होंने इस मामले में डिजास्टर मैनेजमेंट के अधिकारी को इलाके में तैनात किया है जो लोगों की मदद करेंगे।

फ्लाई ऐश को आमतौर पर उड़ने वाली राख कहा जाता है। यह कोयला जलाने की वजह से बनती है। जो काफी महीन कणों वाली होती है। यह हल्की होने के कारण उत्सर्जित गैसों के साथ ऊपर उड़ जाती हैं और धीरे-धीरे आसपास के इलाकों में फैल जाती हैं। ज्यादातर कोयले से बनाई जाने वाली बिजली के प्लांट से इस तरह की फ्लाई ऐश निकलती है। इसमें भारी धातु की होती है साथ ही पीएम 2.5 और ब्लैक कार्बन भी होता है। इसमें पाया जाने वाला पीएम 2.5 गर्मियों में हवा के माध्यम से उड़ते उड़ते 20 किलोमीटर तक की दूरी तक फैल सकता है। यह पानी और अन्य सतह पर जम जाता है।

फ्लाई ऐश में सिलिका, अल्मुनियम और कैल्शियम के ऑक्साइड की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। आर्सेनिक, बोरोन, क्रोमियम और शीशा जैसे तत्व भी सूक्ष्म मात्रा में पाए जाते हैं। जिसकी वजह से यह फ्लाई ऐश पर्यावरण और इंसानों के स्वास्थ्य दोनों के लिए बेहद खतरनाक होती है। फैक्ट्रियों से निकलने वाले कोयले के दोनों से फ्लाई ऐश तो वातावरण में फैलता ही है। साथ ही कई बार फैक्ट्री इस फ्लाई ऐश को जमाकर के उनका भंडार भी बना देती हैं। यह सारे कचरा जमा होकर कभी-कभी पहाड़ का आकार भी ले लेता है। जहां से फ्लाई ऐश धीरे-धीरे वातावरण को प्रदूषित करती है। कई बार यह फ्लाई ऐश नदियों और नहरों में में भी चली जाती है। जिसके बाद ऐसे दूषित पानी को पीने से लोग बीमार पड़ते हैं।

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