असम में मानव निर्मित बाढ़ की स्थिति गंभीर, सिलचर शहर छठे दिन भी जलमग्न।असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को कहा कि सिलचर शहर में अभूतपूर्व बाढ़ मानव निर्मित आपदा है। ये बाढ़ आई नही है लाई गई है। उन्होंने यह भी कहा कि बराक घाटी के मुख्य केंद्र दक्षिणी असम शहर में फंसे करीब 2.8 लाख लोगों में से कई तक राहत सामग्री नहीं पहुंच पाई है इसके लिए सरकार लगातार अपने प्रयास कर रही और जल्द ही लोगो को इससे बहार निकल लिया जाएगा।
असम में अभी भी बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी रही और इसके चलते मृतकों की संख्या बढ़कर 118 हो गई। कछार जिले का सिलचर आज भी जलमग्न रहा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी की बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन अभी करना काफी मुश्किल है। अधिकारियों ने बताया कि पिछले दिनों में बाढ़ और भूस्खलन के कारण दस लोगों की मौत हुई है जिनमें बारपेटा, धुबरी, करीमगंज और उदलगुरी जिलों के दो-दो व्यक्तियों और कछार तथा मोरीगांव के एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है।
असम राज्य प्रबंधन आपदा प्राधिकरण (एएसडीएमए) द्वारा दी गई सूचना के अनुसार राज्य के 28 जिलों में बाढ़ प्रभावित लोगों की संख्या अब घटकर 33.03 लाख रह गई है, जबकि इससे पहले 30 जिलों में यह आंकड़ा 45.34 लाख था हालाकि आकड़ो में कमी तो दर्ज़ की गई है पर अभी अधिकारियों ने कहा कि कुछ जिलों में स्थिति में मामूली सुधार ही देखने को मिला है।
सिलचर में आई बाढ़ मानव निर्मित थी। जिससे लाखो लोग प्रभावित हुए। अगर बेथुकंडी में तटबंध को कुछ बदमाशों ने नहीं तोड़ा होता तो ऐसा नहीं होता असम सरकार का कहना है की उन्होंने आंशिक रूप से राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की एक फुलाए हुए नाव में और आंशिक रूप से सिलचर में बाढ़ वाली सड़कों से गुजरते हुए स्थिति का आकलन किया जिससे पता लगा हैं की बाढ़ के कारण होने वाला नुकसान काफी ज्यादा है। कही कही पानी का स्तर 12 फीट तक बढ़ गया। वही मुख्यमंत्री ने कहा कि शहर से तीन किलोमीटर से अधिक दूरी पर बेथुकंडी में बराक नदी के तटबंध में गड्ढा छोड़ने वाले दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और उन्हें इसकी ऐसी सजा दी जाएगी के आने वाले दिनों में ऐसे लोगो को ऐसा करने से पहले 100 बार सोचना होगा।
असम के मुख्यमंत्री ने कहा अगर किसी भी अधिकारी की तरफ से किसी भी तरह की चूक होती है तो आधिकारी को इसका खामियाजा भुगतना होगा। जांच के बाद उस आधिकारी के खिलाफ भी कानूनी करवाही की जा सकती है। साथ ही उन्होने कहा की ये विनाशकारी बाढ़ हम लोगो के लिए एक सबक है। इसके लिए अब आने वाले दिनों में तटबंधों पर में पुलिसकर्मियों को तैनात करना होगा ताकि कोई भी इस गुस्ताकी को दुबारा न कर सके। शसरमा ने कहा कि कछार जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने एक एडवाइजरी जारी की थी, लेकिन कई निवासियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया क्योंकि शहर ने कभी ऐसी बाढ़ नहीं देखी थी। पानी की कमी अनियमित या आंशिक राहत वितरण की शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को अधिक से अधिक लोगों की मदद करने के निर्देश दिए।“वापस जाने के बाद, मैं गुवाहाटी से सिलचर में सब्जियां भेजने की कोशिश करूंगा,” उन्होंने कहा। यह भी पढ़ें शहरी बाढ़ ने असम के मानसून संकट को और बढ़ा दिया है स्वच्छ पेयजल शहर में सबसे दुर्लभ वस्तुओं में से एक रहा है, कई लोग बाढ़ के पानी को पानी के स्तर से ऊपर किसी भी मंजिल या संरचना पर उबालने के बाद पीते हैं। कई गैर सरकारी संगठनों ने अपील जारी की है और शहर के असहाय लोगों के लिए कम से कम 1 लाख लीटर पीने योग्य पानी की खरीद के लिए धन उगाहने की शुरुआत की है। मिजोरम से सटे, आइजोल स्थित सेंट्रल यंग मिजो एसोसिएशन और राज्य भर में इसकी शाखाओं ने वाहनों और पैकेज्ड पेयजल की व्यवस्था की है। एसोसिएशन के एक नेता ने बताया कि प्रभावित लोगों में वितरण के लिए 15000 लीटर बोतलबंद पानी आइजोल से सिलचर भेजा गया है। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, अप्रैल से अब तक राज्य में बाढ़ और भूस्खलन से 126 लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें से पांच रविवार को हैं। बाढ़ प्रभावित 28 जिलों के 680 गांवों में कुल 2.17 लाख लोग प्रभावित हैं। भारत सरकार भी असम सरकार से इस मामले को लेकर जुड़ी हुई है। और साथ ही भारत सरकार द्वारा हर संभव मद्द करने का आश्वासन दिया ।