वर्तमान में लोग लड़का या लड़की में किसको ले रहे हैं सबसे ज्यादा गोद?

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आज हम आपको बताएंगे कि वर्तमान में लोग लड़का या लड़की में से किसे सबसे ज्यादा गोद ले रहे हैं! मरने के बाद हमारा का अंतिम संस्कार कौन करेगा? हिंदू समाज में नि:संतान बुजुर्ग आदमी या औरत बेटे के हाथों अंतिम संस्कार से स्वर्ग पाने की लालसा मन में पाले रहते हैं। हिंदू धर्म में बेटे के हाथों अंतिम संस्कार के महत्व वर्णन भी पढ़ने-सुनने को मिलता है। अंतिम संस्कार के अलावा और कई कारणों से नि:संतान दंपती बड़े चाव से बच्चे को गोद लेते हैं। हालांकि, पिछले कुछ समय से लड़कों को गोद लेने की पारंपरिक लालसा में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। पिछले दो साल में हिंदू अडॉप्शन और मेंटिनेंस एक्ट के तहत बच्चा गोद लेने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ ही देश में लड़कियों को गोद लेने की प्राथमिकता में उल्लेखनीय झुकाव देखा गया है। इसमें सबसे हैरानी की बात यह है कि पंजाब इस ट्रेंड लड़कियों को गोद में सबसे आगे दिख रहा है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी के माध्यम से केंद्र सरकार की तरफ से पेश आंकड़े इस ट्रेंड को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं जो वैदिक युग जितनी पुरानी है। जबकि 10 राज्यों ने पिछले साल 20 नवंबर को हाई कोर्ट की तरफ निर्देशित एचएएमए के तहत गोद लेने से संबंधित डेटा प्रस्तुत नहीं किया था। एएसजी ने 11 राज्यों द्वारा रिकॉर्ड पर रखा गया डेटा प्रस्तुत किया। इसमें 2021-2023 की अवधि में कुल 15,486 गोद लेने की बात दर्ज की गई थी। एचएएमए के तहत दर्ज किए गए कुल गोद लेने में से, गोद लेने वाले माता-पिता ने 6,012 लड़कों मुकाबले 9,474 लड़कियों को घर ले जाना पसंद किया।

हालांकि, गोद लिए गए बच्चों की पसंदीदा उम्र छह साल से कम रही, चाहे उनका लिंग कुछ भी हो। सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी टेबल से पता चलता है कि 69.4% रजिस्टर्ड भावी दत्तक माता-पिता 0 से 2 वर्ष की आयु के बच्चों को चुनते हैं। 2 से 4 वर्ष के आयु वर्ग में 10.3% और 4 से 6 वर्ष के आयु वर्ग में 14.8% भावी माता-पिता ने रुचि दिखाई। पंजाब और चंडीगढ़ भारत में लैंगिक समानता की दिशा में आगे बढ़ने में अग्रणी बनकर उभरे हैं। आंकड़ों से ऐसा लगता होता है कि गोद लेने में इन दोनों पर जोर दिया जा रहा है। राज्य में एचएएमए के तहत पंजीकृत कुल 7,496 गोद लेने वालों में से 4,966 लड़कियां और 2,530 लड़के थे। केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में गोद लिए गए कुल 167 बच्चों में से 114 लड़कियां थीं।

हिमाचल प्रदेश के दंपतियों ने 2,107 बच्चों 1,278 लड़कियों को गोद लिया। तमिलनाडु 1,671, 985 लड़कियां; दिल्ली में 1,056, 558 लड़कियां; उत्तराखंड में 685 472 लड़कियां; आंध्र प्रदेश में 1,415, 835 लड़कियां बच्चों को गोद लिया गया। इसके अलावा ओडिशा में 291 165 लड़कियां बच्चों को गोद लिया गया। वहीं, तेलंगाना के हिंदू जोड़ों ने लड़कों को गोद लेना अधिक पसंद किया। यहां कुल 242 बच्चों को गोद लिया गया जिनमें से महज 48 लड़कियां थीं। पश्चिम बंगाल में कपल ने कुल 228 बच्चों को गोद लिया, जिनमें से 112 लड़कियां थीं। उत्तर प्रदेश के नोएडा में सेक्टर-39 थाना एरिया से संदिग्ध परिस्थितियों में पिछले 19 दिन से लापता कारोबारी का बेटा मिल गया है। यह बच्चा सीडब्ल्यूसी के ऑफिस में मिला। वहां पर एक दंपती इसे आधिकारिक रूप से गोद लेने के लिए पहुंचे हुए थे। एक मंदिर के पास भटकते मिले बच्चे ने इस दंपती को बताया था कि उसका कोई नहीं है और वह अनाथ है। इसलिए पति-पत्नी गोद लेने ने की प्रक्रिया के लिए उसे लेकर गए थे। इतने में भटकते हुए कारोबारी का परिवार भी वहां पहुंच गया।

फिर पुलिस पहुंची और इस हाईप्रोफाइल गुमशुदगी का खुलासा हो गया। थाना प्रभारी सेक्टर-39 ने बताया कि बच्चे को सेक्टर 12 स्थित सांईं कृपा संस्थान में रखा गया है। आगे सीडब्ल्यूसी में पेश किया जाएगा। बाल कल्याण समिति का जब आदेश होगा, उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। जांच के दौरान पुलिस को पता चला है कि बच्चा घर से नाराज होकर चला गया था। 20 नवंबर को हाई कोर्ट की तरफ निर्देशित एचएएमए के तहत गोद लेने से संबंधित डेटा प्रस्तुत नहीं किया था। एएसजी ने 11 राज्यों द्वारा रिकॉर्ड पर रखा गया डेटा प्रस्तुत किया। इसमें 2021-2023 की अवधि में कुल 15,486 गोद लेने की बात दर्ज की गई थी। एचएएमए के तहत दर्ज किए गए कुल गोद लेने में से, गोद लेने वाले माता-पिता ने 6,012 लड़कों मुकाबले 9,474 लड़कियों को घर ले जाना पसंद किया।मालूम हो कि बच्चे की यह गुमशुदगी पूरे कमिश्नरेट पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई थी। व्यापारी कई पुलिस अधिकारियों से मिले थे। पुलिस की सेक्टर-39 थाना समेत अन्य टीमें भी लगी हुई थीं। परिवारीजन के मन में कई तरह की आशंकाएं आ रहीं थीं। अपहरण की आशंका भी जताई जा रही थी।