बांग्लादेश की राजधानी ढाका स्थित इस्कॉन (ISKCON) के राधाकांत मंदिर पर 200 कट्टरपंथियों की भीड़ ने श्रद्धालुओं पर हमला किया और मंदिर में तोड़फोड़ की। इस्कॉन की ओर से जारी बयान के मुताबिक, इस घटना में तीन श्रद्धालु घायल हो गए। बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर पर महज छह महीने के अंदर ये दूसरा हमला है। बांग्लादेश में पिछले कुछ वर्षों के दौरान अल्पसंख्यकों-खासतौर पर हिंदुओं पर हमले तेजी से बढ़े हैं।\
बांग्लादेश में इस्कॉन (ISKCON) मंदिर पर पिछले 13 वर्षों में छठा हमला
होली से ठीक एक दिन पहले, यानी 17 मार्च को राजधानी ढाका के वारी में स्थित इस्कॉन के राधाकांत मंदिर पर 200 कट्टरपंथियों ने हमला करके तोड़फोड़, लूटपाट और श्रद्धालुओं से मारपीट की। ये हालिया हमला हाल के वर्षों में बांग्लादेश में इस्कॉन और हिंदुओं पर बढ़ते हमलों में से एक था।
पिछले साल 13 अक्टूबर को दुर्गा पूजा के दौरान कुरान के अपमान की एक झूठी अफवाह के बाद देशभर में हिंदुओं के खिलाफ दंगा भड़क उठा था और हजारों कट्टरपंथियों ने देश भर के सैकड़ों मंदिरों पर हमला किया था। हमलावरों ने इस दौरान एक बौद्ध मठ को भी आग लगा दी थी।इस हमले में हिंदुओं के सैकड़ों घरों और दुकानों को आग लगा दी गई थी। इस घटना में 6 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों घायल हो गए थे।इस दौरान 15 अक्टूबर को इस्कॉन के नोआखली स्थित मंदिर पर भी हमला किया गया था, जिसमें 2 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी।बांग्लादेश में पिछले 13 वर्षों में अकेले इस्कॉन पर ही 6 हमले हो चुके हैं। पिछले एक दशक में दुनियाभर में इस्कॉन मंदिरों पर सबसे ज्यादा हमले बांग्लादेश में हुए हैं।
बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिरों पर बढ़े हमले
- 2009: इस्कॉन मंदिर, चटगांव द्वारा संचालित एक अनाथालय पर हमला। अनाथालय में फर्नीचर और मूर्तियां तोड़ दी गईं और श्रद्धालुओं की पिटाई की गई। दंगाइयों ने मंदिर और अनाथालय पर नियंत्रण करने की भी कोशिश की।
- 2015: इस्कॉन मंदिर, दिनाजपुर पर जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश के आतंकियों ने हमला किया था। आतंकियों ने गोलियां चलाईं और हमले में कम से कम 2 लोग घायल हो गए।
- 2016: सिलहट में इस्कॉन मंदिर पर कट्टरपंथियों ने हमला किया था, इसमें कम से कम 10 लोग घायल हो गए थे।
- 2018: इस्कॉन ढाका की ओर से निकाली जाने वाली रथ यात्रा पर हमला किया गया, जिसमें 6 श्रद्धालु घायल हो गए थे।
- 2020: अंसार अल-इस्लाम समूह ने इस्कॉन मंदिर, ढाका पर हमले की योजना बनाई, लेकिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था।
- 2021: दुर्गा नवमी (15 अक्टूबर) के दौरान, मुस्लिमों की भीड़ ने नोआखली में इस्कॉन मंदिर पर हमला किया, 2 श्रद्धालुओं की मौत हुई।
बांग्लादेश में पिछले कुछ वर्षों में बढ़े हैं हिंदुओं पर हमले
बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर पर हालिया हमला इस देश के लिए नया नहीं है। 17 मार्च को हुआ हमला हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ बांग्लादेश में पिछले एक दशक से जारी हिंसा की एक और घटना थी।
बांग्लादेश मानवाधिकार संगठन ऐन ओ सलीश केंद्र (ASK) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 से 2021 तक बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाते हुए 3600 हमले हुए।
इस स्टडी के अनुसार, इन 8 वर्षों के दौरान हिंदुओं के खिलाफ हमलों में 550 से अधिक घरों और 440 दुकानों और व्यवसायों को निशाना बनाया गया और उनमें तोड़फोड़ और आगजनी की गई। इस दौरान हिंदू मंदिरों, मूर्तियों और पूजा स्थलों में तोड़फोड़ और आगजनी के 1,670 से अधिक मामले दर्ज किए गए।
इन हिंसक घटनाओं में हिंदू समुदाय के 11 सदस्यों की मौत हुई, जबकि 862 अन्य घायल हो गए। इस दौरान हिंदू महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के कई मामले भी सामने आए।रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश हिंदू बौद्धिस्ट क्रिस्चियन यूनिटी काउंसिल (BHBCUC) का कहना है कि हिंदुओं पर हमले की वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा है।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले का है खास पैटर्न
बांग्लादेश में पिछले कुछ वर्षों के दौरान हिंदुओं पर हमले में एक खास तरीका काम करता रहा है। पहले सोशल मीडिया के जरिए इस्लाम के अपमान की अफवाह फैलाई जाती है, जिसके बाद कुछ कट्टरपंथियों का समूह उन जगहों पर हमले करते हैं, जहां हिंदू रहते हैं।
उदाहरण के लिए पिछले साल बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान दुर्गा मंदिर में कुरान के कथित अपमान के एक फेक वायरल वीडियो की वजह से ही हिंदुओं के खिलाफ दंगे भड़क उठे थे।
बांग्लादेश में तेजी से घट रही हिंदुओं की आबादी
2011 की जनगणना के मुताबिक, 16.5 करोड़ की आबादी वाले बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 8.5% है, जबकि 90% से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। वहीं, अन्य अल्पसंख्यकों में बौद्ध 0.6% और ईसाई 0.4% ही हैं। बांग्लादेश में मुस्लिम और हिंदू दोनों मुख्यत: बंगाली हैं, यानी भाषा और सांस्कृतिक रूप से उनमें समानता है, लेकिन धर्म की वजह से उनकी दूरियों का कट्टरपंथी फायदा उठाते हैं।
बांग्लादेश सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 1980 के दशक में बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 13.5% थी। वहीं, 1947 में जब भारत, पाकिस्तान की आजादी के साथ बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान बना था, तो उस समय वहां हिंदुओं की आबादी करीब 30% थी।
करीब चार दशकों में बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 13.5% से घटकर 8.5% रह गई। बांग्लादेशी सरकार के 2011 के जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, एक दशक में हिंदुओं की संख्या में कम से कम 10 लाख की कमी आई।
डायचे वैली की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ढाका यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री और प्रोफेसर अब्दुल बरकत ने अपनी स्टडी में पाया कि पिछले कुछ सालों में सुरक्षा और आर्थिक वजहों से हर दिन करीब 750 हिंदू बांग्लादेश से पलायन कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर हिंदू भारत आने की कोशिश करते हैं।