आज के समय की बात करें तो सभी का दिन दौड़ भाग में लगे रहते है. जिससे लोग मानसिक और शारीरिक दोनों ही रूप से थक जाते हैं और थकान दून करने के लिए थोड़ी देर गहरी नींद लेना चाहते हैं पर सही से सो नहीं पाते जैसा कि आपने कभी आज़माकर देखा ही होगा की आप सोना चाहते होंगे परंतु आपका दिमाग़ आपको सोना देने की अनुमति नहीं देता. उसी समय आपके दिमाग़ में अलग-अलग ख़याल आने लगते हैं जिससे पीछा छुड़ाने के लिए आप करवट बदलते रहते है. अलग–अलग घायलों को रोकने के लिए आप अपने दिमाग़ को भटकाने की कोशिश करते हैं कभी टी.वी. (TV) देखकर या फिर कभी मोबाइल इस्तेमाल करे. जिसके वजह से आप अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते जिस समय आपके शरीर को नींद की ज़्यादा आवश्यकता होती है.
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप अपने नींद से अत्यधिक ज़्यादा थक जाते हैं, यह समस्या बूढ़े बच्चों और युवाओं तीनों में देखी जाती है लेकिन उनमें भावनाएँ शरीर के डिफॉल्ट शटडाउन प्रोग्राम को रोकने में मदद करती है. अगर आप ज़्यादा थके होते हैं तो आप को बड़ी मुश्किल से नींद आती है. आज हम आपको ऐसे 3 तरीक़े बताने वाली है जिससे अत्यधिक थकान होने के बाद भी आराम से सो पाएँगे. आइए तो जानते हैं तीनों उपायों के बारे में
ज़्यादा थकान कैसे बिगाड़ती है नींद ?
आइए पहले बताते हैं ज़्यादा थकान कैसे नींद को बिगाड़ती है विशेषज्ञों के अनुसार अत्यधिक थका होना बेहद खराब विरोधाभास माना जाता है. जिसमें अपने शरीर को थोड़ा आराम देना चाहते हैं पर ऐसा मुमकिन नहीं हो पाता और जब आप शारीरिक और मानसिक कामों से खुद को काफी थका हुआ महसूस कर सकते हैं, तो आपका मस्तिष्क वास्तव में अत्यधिक उत्तेजित अवस्था में होता है. इसका एक अन्य नाम भी है जिसे हाइपरसोरल कहा जाता है.
तंत्रिका विज्ञान के ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मैट जोंस द्वारा कहा गया है. नींद का दबाव बनाने के साथ मस्तिष्क की बाहरी परत मतलब आपके सेरेब्रल कॉर्टेक्स में न्यूरॉन्स जागने के दौरान तेजी से उत्तेजना पैदा करता है.
अगर आप किसी दिन बहुत ज़्यादा थक जाए और सोने के समय तकिया के उपर सर रखते ही आपका दिमाग़ हाइपरसोरल दशा में आ जाए तो समझ लीजिए किसी ज़रूरी काम को ख़त्म नहीं किया हैं. मनोविज्ञान कील विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. एलेक्स स्कॉट नेबताया कि मौजूदा दौर में मनुष्य के रूप में हम आम तौर पर अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने और हमारे साथ हुई चीजों से निपटने में काफी खराब हैं. दूसरे शब्दों में बताए तो हम दिन के अंत में अपनी भावनाओं के बारे में सकारात्मक तरीके से सोचने में असफल हो चुके हैं. हम चीजों को अपने कंट्रोल से बाहर कर देते हैं और सोने के समय में अपनी चिंताओं के बारे सोचते रहते हैं. डॉ. स्कॉट कहते हैं कि हमें ऐसा लगता है कि किसी से अपनी चिंता के विषय पर बात करने से हम अपनी भावनाओं को काबू करने की कोशिश के तौर पर महसूस करते हैं. जब की, असल में हम इन विचारों को सकारात्मक तौर पर ढाल नहीं पा रहे होते हैं. यह अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता है.
डॉक्टर्स सकोट ने यह भी कहा है कि सोने से पहले अपने दिमाग़ को पहले थोड़ा आराम दीजिए और सोने से क़रीब एक घंटे पहले का अलार्म लगा लीजिए इस एक घंटे के दौरान आराम करने और अपने दिमाग को भावनात्मक थकावट से उबरने के लिए करें. इस एक घंटे में आप जो भी काम करेंगे वे पूरी तरह से आपके इच्छा पर होगा. जैसे अगर आप को डायरी लिखना पसंद हो या किताबें पढ़ना पसंद होतो आप दोनों में से कुछ भी कर सकते हैं या कोई सीरियल देखना पसंद हो तो वह भी देख सकते हैं. वह सब कर सकते हैं जो आपको रिलेक्स महसूस करा सकें. इससे आपको अच्छी और जल्दी नींद आने में मदद मिलेगी.
आप खुद सोने की इच्छा नहीं कर सकते हैं इसे जान लीजिए असलियत में आप जितनी ज्यादा कोशिश करेंगे, सोना उतना ही कठिन होता जाएगा. इसीलिए यह देखा गया है कि नींद में जाने के पारंपरिक तरीके अत्यधिक थकान की स्थिति में कारगर साबित नहीं होते हैं.
नींद लेने के लिए सबसे पहले यह समझ लीजिए कि कोशिश करने से नींद नहीं आती दूसरा उपाय सोने से पहले डायरी लिखा करिए. अपनी भावनाओं को डायरी में लिखने की कोशिश करिए जिससे आपको नींद लेने में काफ़ी हद तक मदद मिल सकती है. स्कॉट के मुताबिक़, यह सरल व्यायाम नियमित रूप से नींद की समस्या वाले रोगियों को गहरी नींद में मदद करता है.