Friday, December 20, 2024
HomeFashion & Lifestyleसिद्धासन का रोजाना अभ्यास करने से शरीर को मिलते हैं ये फायदे!

सिद्धासन का रोजाना अभ्यास करने से शरीर को मिलते हैं ये फायदे!

योग हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं! भारत में प्राचीन काल से ही योग का अभ्यास शरीर को स्वस्थ और निरोगी बनाने के लिए किया जा रहा है। योग का नियमित अभ्यास करने से शरीर स्वस्थ रहता है और बीमारियों से छुटकारा मिलता है इस बात की पुष्टि आधुनिक विज्ञान और मेडिकल साइंस ने भी की है। शरीर और सेहत के लिए योग के अलग-अलग आसनों का अभ्यास किया जाता है। इन्हीं आसनों में से एक है सिद्धासन। सिद्धासन को अंग्रेजी में Accomplished Pose भी कहा जाता है। सिद्धासन योग की एक पूर्ण मुद्रा है और यह एक शुरूआती योगासन है। सिद्धासन का नियमित रूप से अभ्यास शरीर और मन दोनों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। ऐसा कहा जाता है कि सिद्धासन का अभ्यास प्राचीन काल में ऋषि, मुनि और तपस्वी सालों तक एक ही स्थिति में बैठे रहने के लिए करते थे।

सिद्धासन का अभ्यास

सिद्धासन का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है, पहला सिद्ध जिसका अर्थ होता है किसी चीज में पूर्ण होना या परफेक्ट होना और दूसरा आसन जिसका अर्थ मुद्रा है। योग विज्ञान में यह माना जाता है कि इसका अभ्यास पूर्णता या सिद्धि पाने के लिए किया जाता है। हठ योग में इस आसन का उल्लेख किया गया है। सिद्धासन का अभ्यास ध्यान लगाने के लिए सबसे शक्तिशाली माना जाता है। योग विज्ञान के अनुसार सिद्धासन मन और शरीर दोनों को शांत और स्वस्थ रखने का काम करता है।

सिद्धासन के फायदे!

सिद्धासन का रोजाना अभ्यास करने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं। इस आसन का अभ्यास ज्यादातर ऋषि, मुनि और योगियों द्वारा किया जाता था इसलिए आम लोगों में इसके बारे में उतनी जागरूकता नहीं है। योग ग्रंथों के मुताबिक इस आसन का अभ्यास ध्यान लगाने के लिए सबसे अच्छा होता है। सिद्धासन का अभ्यास करने से शरीर की मुद्रा में सुधार होता है और रीढ़ की हड्डी को भी फायदा मिलता है। इसका नियमित अभ्यास छाती, कुल्हे और कंधों के लिए भी फायदेमंद होता है। कमर और जांघ की मांसपेशियों को लचीला बनाने के लिए भी सिद्धासन का अभ्यास उपयोगी माना गया है। सिद्धासन का नियमित रूप से अभ्यास करने से होने वाले फायदे इस प्रकार हैं।

सिद्धासन का रोजाना अभ्यास करने से एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ाने में मदद मिलती है। इस आसन का रोजाना अभ्यास करने से मन को फोकस करने में फायदा मिलता है। इसके साथ ही यह आसन नसों और पूरे नर्व्स सिस्टम के लिए फायदेमंद माना जाता है। सिद्धासन का अभ्यास करने से चिंता और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्या में भी फायदा मिलता है।

सिद्धासन का अभ्यास करने से घुटने, टखने और कूल्हों को फायदा मिलता है। इसका अभ्यास कमर और कूल्हों की मांसपेशियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। नियमित रूप से सिद्धासन का अभ्यास करने से आपकी जांघों की मांसपेशियां स्वस्थ और लचीली होती हैं।

रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ और मजबूत बनाये रखने के लिए सिद्धासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। जो लोग पद्मासन का अभ्यास करने में कठिनाई महसूस करते हैं उनके लिए इस आसन का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना गया है। नियमित रूप से सिद्धासन का अभ्यास करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत और लंबी होती है।

शरीर में तनाव और चिंता के स्तर को कम करने में सिद्धासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। तनाव, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं से ग्रसित व्यक्तियों के लिए इस आसन का अभ्यास बहुत उपयोगी होता है। इन समस्याओं में सिद्धासन का रोजाना अभ्यास करने से फायदा मिलता है। 

सिद्धासन का अभ्यास करने से पेरिनेम पर दबाव पड़ता है जिससे आपकी यौन इच्छाएं भी संतुलित रहती हैं। इसका नियमित अभ्यास प्रोस्टेट (पेशाब और मूत्राशय) से जुड़ी समस्या में फायदेमंद होता है।

सिद्धासन योग के सरल और शुरूआती आसनों में से एक है। इसका अभ्यास पद्मासन से भी आसान माना जाता है। सिद्धासन का अभ्यास करने के लिए इन स्टेप्स को फॉलो करें।

सबसे पहले किसी चटाई या योग मैट के सहारे खुले और हवादार स्थान में बैठें।

अब अपने दोनों पैरों को आगे की तरफ रखें और हाथों को जमीन के सहारे टिकाएं।

इसके बाद अपने बाएं घुटने को मोड़ते हुए बाएं पैर की एड़ी को अपने कमर के पास पेट के नीचे लेकर जाएं।

यही प्रक्रिया दाहिने पर के साथ भी करें।

दोनों पैरों को एक दूसरे के ऊपर रखने के बाद सांस अंदर की तरफ खींचे और धीरे-धीरे बाहर की तरफ छोड़ें।

अपने दोनों हाथों की हथेलियों को घुटने पर रखें और ध्यान की मुद्रा में बैठें।

इस दौरान रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधा रखें।

इसके बाद इस मुद्रा में लगभग 2 से 3 मिनट तक बैठें और आराम से सांस अंदर और बाहर करते हुए सामने किसी एक बिंदु पर ध्यान केन्द्रित करें।

शुरुआत में 2 से 3 मिनट तक इसका अभ्यास करें और उसके बाद आप इसकी समयसीमा को बढ़ा सकते हैं।

सिद्धासन का अभ्यास करते समय दोनों पैरों को सही तरीके से रखना चाहिए। हर बार इसका अभ्यास करते समय पैरों को बदल कर एक दूसरे के ऊपर या नीचे रखें।

इस आसन का शुरुआत में अभ्यास करते समय टखनों या घुटने पर अधिक जोर नहीं देना चाहिए। अगर पूर्ण स्थिति में आने के लिए आपके घुटनों पर जोर पड़ता है तो जहां तक आराम से पैर जाएं उसी स्थिति में अभ्यास करें।

इस आसन का अभ्यास करते समय रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधा रखना चाहिए। रीढ़ की हड्डी को टेढ़ा रखकर सिद्धासन का अभ्यास करने से आपको समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

आर्थराइटिस या घुटनों से जुड़ी गंभीर बीमारियों में सिद्धासन का अभ्यास करने से बचना चाहिए अन्यथा आपको फायदे की जगह नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

Disclaimer:

Mojo Patrakar may publish content sourced from external third-party providers. While we make every reasonable effort to verify the accuracy, reliability, and completeness of this information, Mojo Patrakar does not guarantee or endorse the views, opinions, conclusions, or authenticity of content provided by these third-party entities. Such content is presented solely for informational purposes, and it is not intended to substitute professional advice or to serve as a comprehensive basis for decision-making.

Mojo Patrakar expressly disclaims any liability for errors, omissions, or inaccuracies that may arise from third-party content, as well as any reliance readers may place upon it. Users are strongly encouraged to conduct independent verification and consult with qualified professionals as necessary before making any decisions based on information obtained through Mojo Patrakar.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments